लोकसभा चुनाव: आप और कांग्रेस के गठबंधन से दिल्ली में क्या बदलेंगे समीकरण? समझें सियासी गणित

दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें 2014 से भाजपा के पास हैं. 2019 के चुनावों में, भाजपा उम्मीदवारों को प्रत्येक सीट पर कांग्रेस और आप उम्मीदवारों की संयुक्त वोट से अधिक वोट मिले थे.   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 24, 2024, 11:21 PM IST
  • सभी सात सीटों पर बीेजेपी का कब्जा
  • समझें सीटवार समीकरण
लोकसभा चुनाव: आप और कांग्रेस के गठबंधन से दिल्ली में क्या बदलेंगे समीकरण? समझें सियासी गणित

नई दिल्लीः दिल्ली में आम आदमी पार्टी (आप) और कांग्रेस के बीच औपचारिक रूप से सीटों के बंटवारे की शनिवार को घोषणा के बाद आगामी लोकसभा चुनाव की बिसात बिछ गई. दिल्ली में दोनों दलों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबले के लिए सीट बंटवारे समझौते को अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत आप दिल्ली में चार सीटों पर, जबकि कांग्रेस तीन सीटों पर चुनाव लड़ेगी. 

बीजेपी तीसरी बार करना चाहेगी स्विप
आप और कांग्रेस के एकसाथ आने से दिल्ली में चुनावी मुकाबला द्विध्रुवीय हो जाएगा, जिसमें भाजपा शामिल होगी, जो लगातार तीसरी बार दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटों पर जीत दर्ज करना चाहती है. कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव मुकुल वासनिक ने आप नेताओं के साथ संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि आप चार सीट- नयी दिल्ली, दक्षिण दिल्ली, पश्चिम दिल्ली और पूर्वी दिल्ली - पर अपने उम्मीदवार उतारेगी, जबकि कांग्रेस उत्तर पूर्वी दिल्ली, उत्तर पश्चिमी दिल्ली और चांदनी चौक सीट पर चुनाव लड़ेगी. 

भाजपा ने लहराया था परचम
सीट बंटवारे की जानकारी देते हुए उन्होंने कहा कि हालांकि कांग्रेस दिल्ली में तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, लेकिन उसके कार्यकर्ता और नेता सभी सात निर्वाचन क्षेत्रों में ‘इंडिया’ गठबंधन की जीत के लिए प्रयास करेंगे. दिल्ली की सभी सात लोकसभा सीटें 2014 से भाजपा के पास हैं. 2019 के चुनावों में, भाजपा उम्मीदवारों को प्रत्येक सीट पर कांग्रेस और आप उम्मीदवारों की संयुक्त वोट से अधिक वोट मिले थे. 

क्या बोल रही आप
आप ने एक बयान में कहा, ‘‘मूल रूप से, जीतने की क्षमता के लिहाज से सभी सात सीटें आप के लिए उपयुक्त हैं. हालांकि, दिल्ली के लिए, हम कांग्रेस द्वारा दी गई पसंद पर सहमत हुए हैं. गठबंधन में, सभी सात सीटों पर ‘इंडिया’ गठबंधन द्वारा चुनाव लड़ा जा रहा है और हम सभी सात सीटें ‘इंडिया’ गठबंधन के लिए जीतने के लिए काम करेंगे.’’ हालांकि, विपक्षी ‘इंडिया’ गठबंधन के उम्मीदवारों के सामने एक बड़ी चुनौती 2019 के चुनाव में जीतने वाले भाजपा उम्मीदवारों और पराजित उम्मीदवारों के बीच वोट के भारी अंतर को पाटना होगा. 

वर्ष 2019 के चुनाव में भाजपा उम्मीदवारों ने कांग्रेस और आप उम्मीदवारों को लाखों मतों के अंतर से हराया था. आप और कांग्रेस ने 2019 में भी दिल्ली में गठबंधन करने की कोशिश की थी, लेकिन ऐसा करने में असफल रहे थे. भाजपा के दो बार के सांसद मनोज तिवारी ने 2019 में उत्तर पूर्व दिल्ली सीट पर दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री एवं कांग्रेस उम्मीदवार शीला दीक्षित को 3.6 लाख वोट से हराया था. सूत्रों ने कहा कि कांग्रेस इस सीट पर अपनी दिल्ली इकाई के प्रमुख अरविंदर सिंह लवली को मैदान में उतार सकती है, जहां शहर के सभी संसदीय क्षेत्रों के मुकाबले मुस्लिम आबादी का प्रतिशत सबसे अधिक (29 प्रतिशत से अधिक) है. 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में दिल्ली की सभी सात सीट पर भारी हार के बावजूद कांग्रेस छह सीट पर दूसरे नम्बर पर रही थी, जबकि आप तीसरे स्थान पर रही थी. दक्षिणी दिल्ली से आप के राघव चड्ढा एकमात्र ऐसे उम्मीदवार थे, जो दूसरे नम्बर पर रहे थे. इसके अलावा, आप के तीन उम्मीदवारों ----पंकज गुप्ता चांदनी चौक से, नयी दिल्ली से ब्रिजेश गोयल और उत्तरपूर्व दिल्ली से दिलीप पांडे - की 2019 में जमानत जब्त हो गई थी. 

आप महासचिव (संगठन) संदीप पाठक ने कहा कि चुनाव के लिए प्रचार रणनीति पर दोनों पक्ष बाद में मिलकर चर्चा करेंगे. उन्होंने कहा कि दोनों दलों के बीच गठबंधन भाजपा की "रणनीति" को "उलट" देगा और लोगों की मदद से ‘इंडिया’ गठबंधन सभी सीटें जीतेगा. 

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