न इस पार, न उस पार... Raja Bhaiya ने सपा-BJP का साथ न देकर क्यों चुनी बीच की राह?

Raja Bhaiya Lok Sabha Election 2024: कुंडा के विधायक राजा भैया ने लोकसभा चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल का समर्थन नहीं करने की बात कही है. इसके पीछे कई कारण माने जा रहे हैं. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : May 15, 2024, 01:55 PM IST
  • जनसत्ता दल के प्रमुख हैं राजा भैया
  • अमित शाह से भी हुई थी मीटिंग
न इस पार, न उस पार... Raja Bhaiya ने सपा-BJP का साथ न देकर क्यों चुनी बीच की राह?

नई दिल्ली: Raja Bhaiya Lok Sabha Election 2024: यूपी की राजनीति में रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया ऐसे नेता हैं, जिनके समर्थन की दरकार हर दल को रहती है. लोकसभा चुनाव में भी राजा भैया का रुख काफी अहम माना जा रहा था. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भी राजा भैया से मीटिंग की थी, ताकि वे कौशांबी और प्रतापगढ़ लोकसभा सीट पर भाजपा का समर्थन कर दें. लेकिन मंगलवार को राजा भैया ने न्यूट्रल रहने का निर्णय सुना दिया. 

'विवेक के आधार पर करें वोट'
राजा भैया ने कहा है कि न तो हम लोकसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी उतार रहे हैं और न ही किसी दल का समर्थन कर रहे हैं. जनता अपनी पसंद और विवेक के आधार पर वोट करे. बड़ा सवाल ये है कि राज्यसभा चुनाव में भाजपा का साथ देने वाले राजा भैया ने इस बार किसी को समर्थन न देने का फैसला क्यों किया? आइए, जानते हैं इसका जवाब...

ये हैं बीच की राह चुनने के कारण 

जातिगत समीकरण: राजा भैया की खुद की पार्टी है, जिसका नाम 'जनसत्ता दल' है. जनसत्ता दल को क्षत्रिय वोटरों के अलावा, यादव, पासी, कुर्मी और मुस्लिम भी वोट करते हैं. सपा ने प्रतापगढ़ से कुर्मी समुदाय के प्रत्याशी को उतारा है, कौशांबी से पासी उम्मीदवार को टिकट दिया है. ऐसे में राजा भैया भाजपा का समर्थन कर देते तो उनका वोट बैंक खिसक सकता था. 

प्रत्याशियों से मतभेद: सपा ने कौशांबी से पुष्पेंद्र सरोज और प्रतापगढ़ से एसपी सिंह पटेल को प्रत्याशी बनाया है. जबकि भाजपा ने कौशांबी से विनोद सोनकर और प्रतापगढ़ से संगम लाल गुप्त को टिकट थमाया है. विनोद सोनकर और पुष्पेंद्र सरोज के पिता पूर्व मंत्री इंद्रजीत सरोज से राजा भैया की पटरी नहीं बैठती. इसी तरह संगम लाल गुप्ता से भी उनके मतभेद रहे हैं. 

सपा-भाजपा से नहीं चाहते दूरी: राजा भैया के सपा प्रमुख अखिलेश यादव से संबंध काफी बिगड़ गए थे. लेकिन बीते कुछ महीनों में रिश्ते फिर सहज हुए हैं. दूसरी ओर, राज्य के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी राजा भैया की करीबी है. कहा जाता है कि CM योगी ने राजा भैया घरेलू विवाद भी सुलझाने का प्रयास किया था. राजा भैया नहीं चाहते कि किसी एक पार्टी का सपोर्ट करके वे दूसरी की खिलाफत मोल लें. इसलिए उन्होंने किसी का समर्थन न करने का फैसला किया. 

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