शेर का 'अकबर' और शेरनी का नाम 'सीता' क्यों रखा? हाई कोर्ट का बंगाल सरकार से सवाल

Bengal Safari Park Lions Name issue: न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि देश में लोगों के एक बड़े वर्ग द्वारा सीता की पूजा की जाती है और अकबर एक धर्मनिरपेक्ष मुगल सम्राट था.

Written by - Nitin Arora | Last Updated : Feb 22, 2024, 06:15 PM IST
  • कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा- शेरों का नाम 'अकबर' और 'सीता' से बदलें
  • न्यायमूर्ति ने जानवरों के ऐसे नाम रखने पर सवाल उठाए
शेर का 'अकबर' और शेरनी का नाम 'सीता' क्यों रखा? हाई कोर्ट का बंगाल सरकार से सवाल

Bengal Safari Park Lions Name issue: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने गुरुवार को पश्चिम बंगाल सरकार से 'अकबर' नाम के शेर और 'सीता' नाम की शेरनी का नाम बदलने को कहा, जिन्हें बंगाल सफारी पार्क में एक ही बाड़े में रखा गया है.

बार और बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, अदालत ने राज्य सरकार के वकील से पूछा कि क्या वह अपने पालतू जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान या मुस्लिम पैगंबर के नाम पर रखेंगे?

न्यायमूर्ति सौगत भट्टाचार्य की एकल-न्यायाधीश पीठ ने कहा कि देश में लोगों के एक बड़े वर्ग द्वारा सीता की पूजा की जाती है और अकबर एक धर्मनिरपेक्ष मुगल सम्राट था.

अदालत ने कहा, 'मिस्टर काउंसिल, क्या आप खुद अपने पालतू जानवर का नाम किसी हिंदू भगवान या अकबर जैसे नाम पर रखेंगे... मुझे लगता है, अगर हममें से कोई भी अधिकारी होता, तो हममें से कोई भी उनका नाम अकबर और सीता नहीं रखता. क्या कोई ऐसा कर सकता है? क्या हम किसी जानवर का नाम रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम पर रखने के बारे में सोचते हैं?'

अदालत विश्व हिंदू परिषद (VHP) की बंगाल शाखा की याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें दो बड़ी बिल्लियों को एक साथ रखने के पश्चिम बंगाल सरकार के फैसले का विरोध किया गया था. संगठन ने शेरनी के नाम में बदलाव की मांग करते हुए तर्क दिया कि दोनों जानवरों को एक साथ रखना हिंदुओं के लिए अपमानजनक है.

पश्चिम बंगाल सरकार ने क्या कहा?
पश्चिम बंगाल सरकार ने अदालत को सूचित किया कि दोनों शेरों का नामकरण त्रिपुरा चिड़ियाघर के अधिकारियों द्वारा 2016 और 2018 में बंगाल सफारी पार्क में उनके हालिया ट्रांसफर से पहले किया गया था.

अतिरिक्त महाधिवक्ता (AAG) देबज्योति चौधरी ने दलील दी कि शेरों के पश्चिम बंगाल पहुंचने के बाद ही उनके नामों को लेकर मुद्दा उठा.

न्यायमूर्ति भट्टाचार्य ने कहा कि उन्होंने इस मुद्दे पर रात भर सोचा और सोचा कि क्या किसी जानवर का नाम किसी भगवान, या किसी पौराणिक चरित्र या स्वतंत्रता सेनानियों के नाम पर रखा जाना चाहिए. जज ने कहा, 'हम चिड़ियाघर विभाग के किसी अधिकारी के पालतू जानवरों के नाम की बात नहीं कर रहे हैं. लेकिन आप एक कल्याणकारी और धर्मनिरपेक्ष राज्य हैं, आपको सीता और अकबर के नाम पर एक शेर का नाम रखकर विवाद क्यों खड़ा करना चाहिए.'

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह भी कहा कि पश्चिम बंगाल इस समय कई विवादों के केंद्र में है और शेरों के नाम को लेकर मौजूदा विवाद कुछ ऐसा है जिससे बचा जा सकता है.

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