क्या है बनारस की ज्ञानवापी का पूरा मामला, यहां पढे़ं विवाद की पूरी कहानी

अयोध्या में राम मंदिर निर्माण का रास्ता साफ होने के बाद काशी में ज्ञानवापी का मामला अदालत में सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया है. इस मामले में स्वयंभू भगवान विश्वनाथ और यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड के बीच मुकदमा चल रहा है. दावा है कि ज्ञानवापी परिसर में अब भी भगवान विश्वनाथ का स्वयंभू शिवलिंग विराजमान है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 6, 2020, 06:38 PM IST
    • वाराणसी की ज्ञानवापी का मामला सिविल कोर्ट में सुनवाई के लिए स्वीकार
    • 17 फरवरी की तारीख रखी गई है सुनवाई के लिए
    • साल 1991 में मुकदमा दर्ज किया गया था
    • हाईकोर्ट ने 1998 में स्टे लगाया था
क्या है बनारस की ज्ञानवापी का पूरा मामला, यहां पढे़ं विवाद की पूरी कहानी

वाराणसी: विश्वप्रसिद्ध विश्वेश्वर ज्योतिर्लिंग के मुकदमे की सुनवाई वाराणसी फास्ट ट्रैक कोर्ट में शुरु हो गई है. इस मामले में उत्तर प्रदेश सुन्नी वक्फ बोर्ड और अंजुमन इंतेजामिया बनारस मिलकर सुनवाई का विरोध कर रहे हैं. लेकिन अदालत ने इस मामले को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है.  

1991 में दायर हुआ था मुकदमा
ज्ञानवापी में हिंदुओं को पूजा पाठ का अधिकार दिलाने के लिए पंडित सोमनाथ व्यास ने 29 साल पहले मुकदमा दर्ज कराया था. इसमें ये बताया गया था कि ज्ञानवापी मस्जिद भगवान विश्वनाथ मंदिर का ही एक हिस्सा है. ये वाद स्वयंभू ज्योतिर्लिंग भगवान विश्वेश्वरनाथ की तरफ से दायर किया गया था. इस अर्जी में कहा गया था कि ज्ञानवापी परिसर में स्वयंभू भगवान का ज्योतिर्लिंग आज भी स्थापित है. लेकिन इस मामले पर आगे सुनवाई नहीं हो पाई. क्योंकि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 13 अक्टूबर 1998 को इस विवाद पर स्टे लगा दिया था. बाद में पंडित सोमनाथ की मृत्यु हो गई. 

फिर से खुला मामला
अब 22 साल बाद इस मामले की सुनवाई फिर से शुरु की गई है. पं. सोमनाथ की मृत्यु के बाद इस मुकदमे का जिम्मा वाद मित्र विजय शंकर रस्‍तोगी ने संभाल रखा है. उनकी ओर से कोर्ट में दी गई अर्जी में कहा गया है कि ज्ञानवापी परिसर में स्‍वयंभू विश्‍वेश्‍वरनाथ का शिवलिंग आज भी स्‍थापित है.  मंदिर परिसर के हिस्‍सों पर मुसलमानों ने जबरदस्ती कब्जा करके मस्जिद बना दी. दिसंबर 2019 में अधिवक्ता विजय शंकर रस्तोगी ने वादमित्र के तौर पर अदालत में आवेदन दिया था. 

सच सामने लाने के लिए पुरातत्व विभाग से जांच कराने की मांग
आरोप है कि ज्ञानवापी परिसर में समय समय पर बदलाव किए गए. आजादी के दिन तक ज्ञानवापी परिसर का स्वरुप मंदिर के जैसा था, लेकिन बाद में इसे मस्जिद में तब्दील कर दिया गया. इस दावे की पुष्टि के लिए हिंदु पक्ष ने पुरातत्व विभाग से जांच कराए जाने का अनुरोध किया है. जिससे सत्य सामने आ सके. वाद मित्र विजय शंकर रस्‍तोगी ने अदालत से संपूर्ण ज्ञानवापी परिसर का पुरातात्विक सर्वेक्षण रडार तकनीक से भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) से कराने की मांग की है. 

मुस्लिम पक्ष कर रहा है विरोध 
लेकिन हिंदू पक्ष की इन तार्किक दलीलों का विरोध प्रतिवादी अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी व अन्य के साथ साथ सुन्नी वक्फ बोर्ड लखनऊ भी कर रहा है. मंगलवार यानी 4 फरवरी को अंजुमन इंतजामियां कमेटी के वकील इखलाक अहमद और सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील तौहीद खां ने हाईकोर्ट में प्रकरण लंबित होने और स्थगन आदेश की दुहाई दी थी. उन्होंने कहा कि इस मामले में सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की अदालत को सुनवाई का अधिकार नहीं है. हाईकोर्ट का आदेश अब तक प्रभावी है, इसलिए प्रकरण की सुनवाई स्थगित की जानी चाहिए. मुस्लिम पक्ष इस मामले पर हमेशा के लिए रोक लगाने की मांग कर रहा है. 

अदालत ने दिया है ये आदेश 
लेकिन सिविल जज सीनियर डिवीजन फास्ट ट्रैक की अदालत ने इस मामले में अंजुमन इंतजामिया मस्जिद कमेटी और सुन्नी वक्फ बोर्ड की आपत्तियों को खारिज कर दिया है. सिविल जज आशुतोष तिवारी ने इस मामले में पुरातात्विक सर्वेक्षण की मांग पर सुनवाई शुरु कर दी है. अदालत ने इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 17 फरवरी तय की है. 

ट्रेंडिंग न्यूज़