12 राज्यों के 30 जिलों और म्युनिसिपल इलाकों की पहचान, जहां नहीं मिलेगी छूट

अगर आप ये सोच रहे हैं कि केंद्र सरकार ने लॉकडाउन 4.0 में जिन छूट का ऐलान किया है, उसका लाभ हर किसी को मिलने वाला है तो आप बिल्कुल गलत हैं. क्योंकि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 राज्यों के 30 जिलों और म्युनिसिपल इलाकों की पहचान की हैं, जहां पर छूट नहीं मिलेगी...

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : May 18, 2020, 07:34 AM IST
    • 12 राज्यों के तीस शहरों को छूट नहीं
    • केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने की पहचान
    • जानिए, कहीं आपका शहर तो नहीं..
12 राज्यों के 30 जिलों और म्युनिसिपल इलाकों की पहचान, जहां नहीं मिलेगी छूट

नई दिल्ली: देश में लॉकडाउन थ्री प्वाइंट ओ की मियाद खत्म होने के साथ ही कोरोना संक्रमितों की संख्या 90 हजार के पार पहुंच गई है. हर हिंदुस्तानी लॉकडाउन 4.0 में छूट की उम्मीदें लगाए बैठा है. लेकिन देश में कई ऐसे जिले हैं जहां, लॉकडाउन 4.0 में कोई विशेष छूट नहीं मिलेगी.

12 राज्यों के तीस शहरों को छूट नहीं

आपको बता दें, 12 राज्यों के तीस ऐसे शहर हैं, जहां लॉकडाउन के अगले चरण में किसी भी तरह की छूट नहीं मिलने वाली. अलबत्ता यहां लॉकडाउन 4.0 और ज्यादा सख्त हो सकता है.

केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने 12 राज्यों के 30 जिलों और म्युनिसिपल इलाकों की पहचान की है. इनमें इन राज्यों के ये-ये जिले शामिल हैं.

महाराष्ट्र से मुंबई, नासिक, औरंगाबाद, ठाणेख् पालघर, सोलापुर और पुणे
गुजरात  से वडोदरा, अहमदाबाद, और सूरत
मध्यप्रदेश से भोपाल और इंदौर
आंध्र प्रदेश से कुरनुल
तमिलनाडु से विल्लुपुरम, चेंगलपट्टू, कुड्डालोर, अरियालुर, ग्रेटर चेन्नई और तिरुवल्लूर
राजस्थान से जयपुर, जोधपुर, उदयपुर
दिल्ली के ज्यादातर ​इलाके
ओडिशा का बरहमपुर
पश्चिम बंगाल से हावड़ा और कोलकाता
तेलंगाना का ग्रेटर हैदराबाद
पंजाब का अमृतसर
उत्तर प्रदेश से आगरा और मेरठ जैसे शहर

केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की इन 30 इलाकों के म्युनिसिपल कमिश्नर, DM से चर्चा की है और इन जिलों में किसी भी तरह की कोई रियायत नहीं देने का फैसला लिया गया है. दरअसल, देश में अब तक कोरोना वायरस के जितने मामले आए हैं. उनमें से 80 फीसदी केस इन्हीं शहरों के हैं.

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हेल्थ सेक्रेटरी प्रीती सुदन की राज्यों के मुख्य सचिवों और प्रशासकों को कोरोना से निपटने को लेकर चिट्ठी मिली है. जिसमें कहा गया है कि जिला, म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन, सब डिविजन या वार्ड को जोन तय कर सकते हैं. 200 से अधिक मामले, 14 दिन से कम डबलिंग रेट, मृत्यु दर 6% से अधिक होने पर ज़ोन को क्रिटिकल दायरे में रखा जाए. कंटेनमेंट जोन के साथ बफर जोन भी बने.

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