सावरकर तो बहाना, उद्धव पर निशाना! क्या शिवसेना तोड़ने की फिराक में हैं संजय राउत?

वीर सावरकर पर सियासी गलियारों में घमासान छिड़ गया है. लेकिन, सत्ता के लोभी उद्धव ठाकरे ने अपनी जुबान पर ताला जड़ रखा है, क्योंकि वो आजकर कांग्रेस प्रेम के चक्कर में पड़ गए हैं. लेकिन उनके सबसे करीबी नेता संजय राउत ने ये संकेत दे दिया है कि ऐसे चलता रहेगा तो उद्धव जी दिक्कत हो जाएगी.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Jan 3, 2020, 02:58 PM IST
    1. वीर सावरकर पर सियासी गलियारों में छिड़ा घमासान
    2. सत्ता के लोभी उद्धव ठाकरे ने जुबान पर जड़ा ताला
    3. क्या शिवसेना तोड़ने की फिराक में हैं संजय राउत?
    4. साथी पार्टी कांग्रेस को संजय राउत ने सुनाई खरी-खोटी
सावरकर तो बहाना, उद्धव पर निशाना! क्या शिवसेना तोड़ने की फिराक में हैं संजय राउत?

नई दिल्ली: राष्ट्रवाद के नायक विनायक दामोदर सावरकर के खिलाफ कांग्रेस ने ऐसी गंदी राजनीति को अपना हथियार बनाया कि उसे जमकर खरी-खोटी सुनने को मिल रही है. महाराष्ट्र सरकार में कांग्रेस की साथी दल शिवसेना नेता संजय राउत ने भी कांग्रेस की सोच में गंदगी होने की बात स्वीकार की है.

कांग्रेस को संजय ने लगाई लताड़

शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने सावरकर पर कांग्रेस पार्टी की करतूत को लेकर जोरदार हमला बोला है. राउत ने कहा है कि 'वीर सावरकर एक महान व्यक्ति थे और एक महान व्यक्ति बने रहेंगे. एक वर्ग उसके खिलाफ बात करता रहता है, यह उनके दिमाग में गंदगी को दिखाता है, जो भी वे हो सकते हैं.'

उद्धव पर राउत का निशाना!

अंदरखाने से ये जानकारी आ रही है महाराष्ट्र सरकार में मंत्री पद ना मिलने पर संजय राउत अपने नेता और सीएम उद्धव ठाकरे से बेहद नाराज हैं. ऐसे में सावरकर के बहाने उन्होंने ऐसी सोच को निशाना बनाया है. जाहिर है कि साथी दल होने के नाते शिवेसना कांग्रेस के हर कदम पर साथ हैं. सावरकर को लेकर कांग्रेस की आपत्तिजनक करतूत पर उद्धव ने अपनी जुबान पर ताला जड़ रखा है. ऐसे में उद्धव पर दबाव डालने के मकसद से संजय राउत ने ये बयान दिया है.

क्या है माजरा?

दरअसल, भोपाल में कांग्रेस सेवादल के राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर में विनायक दामोदर सावरकर पर विवादित साहित्य बांटा गया है. जिससे कांग्रेस की नीच पॉलिटिक्स एक बार फिर हर किसी के सामने आ गई. इसमें सावरकर को लेकर जो बातें लिखी गई हैं, उस पर बवाल खड़ा होना तय था.  सेवादल की बैठक में जो किताब बांटी गई है उसका नाम है 'वीर सावरकर कितने वीर?' इसमें भाजपा और आरएसएस को फासीवादी ताकतें करार दिया गया है.

शिवसेना की क्या मजबूरी है?

सत्ता का सुख भोगने के लिए शिवसेना ने अपने विचारों की बलि चढ़ा दी. सीएम की कुर्सी की खातिर हिन्दुत्व की हितैषी मानी जाने पाली पार्टी ने राष्ट्रवाद के नायक को दरकिनार करते हुए सावरकर के खिलाफ जहर उगलने वालों से गले मिल लिया. लेकिन, आज शिवसेना को अपनी इस गलती का पछतावा जरूर हो रहा होगा. क्योंकि, वो चाहकर भी कांग्रेस की जुबान पर ताला नहीं लगा पा रही है. कांग्रेसी बार-बार सावरकर को अपनी राजनीति चमकाने का जरिया बना रहे हैं.

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कांग्रेस पार्टी महाराष्ट्र की उद्धव सरकार में शामिल है. सावरकर की जन्मभूमि पर सरकार में होने के बावजूद कांग्रेस ओछी करतूत कर रही है और उद्धव ठाकरे बिल्कुल शांत हैं. वो दिन दूर नहीं है जब संजय राउत की ये नाराजगी खुलकर सामने आ जाएगी.

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