'किशोरियों को यौन इच्छाओं पर नियंत्रण करना चाहिए', SC ने हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर कहा- जजों से उपदेश की अपेक्षा नहीं

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के उस फैसले की शुक्रवार को कड़ी आलोचना की, जिसमें किशोरियों को ‘अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण’ रखने की सलाह दी गई थी.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 8, 2023, 02:19 PM IST
  • पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस
  • वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त किया गया न्याय मित्र
'किशोरियों को यौन इच्छाओं पर नियंत्रण करना चाहिए', SC ने हाई कोर्ट की इस टिप्पणी पर कहा- जजों से उपदेश की अपेक्षा नहीं

नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) ने कलकत्ता उच्च न्यायालय (Calcutta High Court) के उस फैसले की शुक्रवार को कड़ी आलोचना की, जिसमें किशोरियों को ‘अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण’ रखने की सलाह दी गई थी. शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय की इन टिप्पणियों को आपत्तिजनक और गैर-जरूरी बताया. 

पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस
न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि ये टिप्पणियां संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत प्रदत्त किशोरों के अधिकारों का पूरी तरह से उल्लंघन हैं. पीठ ने मामले में पश्चिम बंगाल सरकार और अन्य पक्षों को नोटिस जारी करते हुए कहा, 'हमारा प्रथम दृष्टया यह मानना है कि न्यायाधीशों से व्यक्तिगत विचार व्यक्त करने या उपदेश देने की अपेक्षा नहीं की जाती.'

वरिष्ठ अधिवक्ता को नियुक्त किया गया न्याय मित्र
शीर्ष अदालत ने इस मामले में अपनी सहायता के लिए वरिष्ठ अधिवक्ता माधवी दीवान को न्याय मित्र नियुक्त किया. न्यायालय ने न्याय मित्र की सहायता के लिए अधिवक्ता लिज मैथ्यू को अधिकृत किया है. 

सुप्रीम कोर्ट ने मामले में लिया स्वतः संज्ञान
बता दें कि शीर्ष अदालत ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर 2023 के उस फैसले का स्वत: संज्ञान लिया था, जिसमें टिप्पणी की गई थी कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और दो मिनट के सुख के लिए खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, हाई कोर्ट ने कहा था कि क्षणिक आनंद समाज की नजर में आपकी छवि को पूरी जिंदगी के लिए बर्बाद कर देगा. वहीं कोर्ट ने लड़कों को भी कहा था कि किशोरों को युवतियों, महिलाओं की गरिमा और शारीरिक स्वायत्तता का सम्मान करना चाहिए. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, हाई कोर्ट ने कहा था कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के बीच दोस्ती सामान्य है लेकिन कमिटमेंट और डेडिकेशन के बिना शारीरिक संबंध बनाना सामान्य नहीं है.

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