नई दिल्लीः Maharashtra Political Crisis: उच्चतम न्यायालय की पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने महाराष्ट्र राजनीतिक संकट पर सर्वसम्मति से फैसला सुनाया. न्यायालय ने कहा कि इस तरह के मुद्दों पर अध्ययन की जरूरत है कि क्या विधानसभा अध्यक्ष को हटाने के प्रस्ताव से उनके अयोग्यता नोटिस जारी करने के अधिकार सीमित हो जाएंगे या नहीं.
विधानसभा अध्यक्ष के इस फैसले को गलत बताया
न्यायालय ने शिंदे गुट के भरत गोगावाले को शिवसेना पार्टी का सचेतक नियुक्त करने के विधानसभा अध्यक्ष के फैसले को गैरकानूनी बताया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष ने यह जानने की कोशिश नहीं की कि सुनील प्रभु या भरत गोगावाले में से राजनीतिक दल का अधिकृत सचेतक कौन है.
'राज्यपाल ने जिस प्रस्ताव पर भरोसा किया उसमें समर्थन वापसी का संकेत नहीं'
कोर्ट ने कहा कि विधानसभा अध्यक्ष को केवल राजनीतिक दल की ओर से नियुक्त सचेतक को मान्यता देनी चाहिए. न्यायालय ने कहा कि राज्यपाल ने जिस प्रस्ताव पर भरोसा किया उसमें यह संकेत नहीं था कि विधायक समर्थन वापस लेना चाहते हैं, उसमें सदन में शक्ति परीक्षण कराने के लिए भी कोई बात नहीं थी.
न्यायालय ने शिवसेना विधायकों के एक धड़े के उस प्रस्ताव को मानने के लिए राज्यपाल को गलत ठहराया जिसमें कहा गया कि उद्धव ठाकरे के पास बहुमत नहीं रहा.
उद्धव ठाकरे को बहाल नहीं किया जा सकताः कोर्ट
न्यायालय ने कहा कि उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री के रूप में बहाल नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने सदन में बहुमत साबित होने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था. न्यायालय ने कहा कि एमवीए सरकार को बहाल करने का आदेश देकर पूर्व की स्थिति नहीं लाई जा सकती क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री ठाकरे ने शक्ति परीक्षण का सामना नहीं किया.
कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल ने सदन में सबसे बड़े दल भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दावा पेश करने पर एकनाथ शिंदे को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करके सही फैसला किया.
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