क्या Farmers Protest की भेंट चढ़ जाएगा भारत-कनाडा संबंध !

कृषि कानूनों (Agriculture Law) के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (PM Justin Trudeau) की टिप्पणी ने तूल पकड़ लिया है. विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर शुक्रवार को कनाडाई उच्चायुक्त (Canadian High Commissioner) को तलब किया है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Dec 4, 2020, 04:09 PM IST
  • विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कनाडाई उच्चायुक्त (Canadian High Commissioner) को तलब किया है.
  • ऐसी टिप्पणी जारी रहती है तो इसका भारत और कनाडा के बीच संबंधों पर गंभीर और बुरा प्रभाव पड़ेगा : विदेश मंत्रालय
क्या Farmers Protest की भेंट चढ़ जाएगा भारत-कनाडा संबंध !

नई दिल्लीः भारत में जारी Farmers Protest की आंच न जाने क्यों कनाडा पहुंच गई. इस मामले में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (PM Justin Trudeau) की न जाने क्या दिलचस्पी जगी कि उन्होंने इस आंदोलन को लेकर टिप्पणी कर दी. इसके बाद उनके कैबिनेट के मंत्री भी बोल पड़े. भारत को यह बात नागवार गुजरी है. देश में चल रहे किसान आंदोलन के बीच भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस मामले में एक्शन लिया है. 

विदेश मंत्रालय ने जताई आपत्ति
जानकारी के मुताबिक, कृषि कानूनों (Agriculture Law) के खिलाफ चल रहे किसानों के प्रदर्शन कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (PM Justin Trudeau) की टिप्पणी ने तूल पकड़ लिया है. विदेश मंत्रालय ने इसे लेकर शुक्रवार को कनाडाई उच्चायुक्त (Canadian High Commissioner) को तलब किया है.

इससे पहले भारत के विदेश मंत्रालय ने नाराजगी जताई थी और कहा था कि किसी लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामले में इस तरह की टिप्पणी और बयान बेहद गैरजरूरी और अनुचित हैं.

भारत-कनाडा के संबंधों पर पड़ेगा असर
विदेश मंत्रालय की ओर से इस मामले में चेतावनी भी दी गई है. मंत्रालय का कहना है कि यदि ऐसी टिप्पणी जारी रहती है तो इसका भारत और कनाडा के बीच संबंधों पर गंभीर और बुरा प्रभाव पड़ेगा. भारतीय विदेश मंत्रालय (MEA) ने बयान जारी कर कहा,

'इन टिप्पणियों ने कनाडा में हमारे उच्चायोग और वाणिज्य दूतावासों के सामने चरमपंथी गतिविधियों की सभाओं को प्रोत्साहित किया है जो सुरक्षा के मुद्दे पर सवाल खड़ा करता है. उन्होंने कहा कि हम कनाडा के सरकार से अपेक्षा करते हैं कि वह भारतीय राजनयिक कर्मियों की सुरक्षा सुनिश्चित करें. 

यह कहा था पीएम जस्टिन ट्रूडो ने 
किसानों के प्रदर्शन को लेकर कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो (Justin Trudeau) ने कहा था, 'हम परिवार और दोस्तों को लेकर परेशान हैं. हमें पता है कि यह कई लोगों के लिए सच्चाई है. कनाडा हमेशा शांतिपूर्ण प्रदर्शनों के अधिकार का बचाव करेगा. हम बातचीत में विश्वास करते हैं. हमने भारत के सामने अपनी चिंताएं रखी हैं. यह सभी के एक साथ आने का वक्त है.'

कनाडा के रक्षामंत्री ने भी की थी टिप्पणी
इससे पहले ट्रूडो कैबिनेट में अहम जिम्मेदारी संभालने वाले रक्षामंत्री हरजीत सिंह ने ट्विटर पर लिखा था, 'भारत में शांतिपूर्ण प्रदर्शनों पर क्रूरता परेशान करती है. मेरे क्षेत्र के कई लोगों के परिवार वहां हैं और उन्हें अपने लोगों की चिंता है. मैं इस मूलभूत अधिकार की रक्षा की अपील करता हूं.'

भारत ने जताया था कड़ा विरोध
कनाडाई पीएम की टिप्पणी के बाद भारतीय विदेश विभाग (MEA) के प्रवक्ता ने कहा था, 'हमने कनाडाई नेताओं द्वारा भारत में किसानों से संबंधित कुछ टिप्पणियों को देखा है. किसी लोकतांत्रिक देश के आंतरिक मामले में इस तरह की टिप्पणी और बयान बेहद गैरजरूरी और अनुचित हैं. हमारा मानना है कि राजनैतिक वार्तालापों को राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए गलत तरीके से प्रस्तुत नहीं किया जाना चाहिए.

भारत-कनाडा संबंध
कृषि कानूनों को लेकर शुक्रवार को नौवां दिन है और प्रदर्शन जारी है. इस बीच चार दौर की बातचीत के बाद भी मामले में कोई हल नहीं निकला है.  इस बीच कनाडा के प्रधानमंत्री की टिप्पणी ने एक बार फिर से भारत-कनाडा संबंध पर आघात किया है.

दरअसल, आज की वर्तमान स्थिति में भारत-कनाडा के बीच जैसे मजबूत राजनीतिक संबंध दिख रहे हैं, यह महज बीते 4 से पांच सालों का प्रभाव है. क्योंकि इसके पहले लंबे समय तक दोनों देशों के संबंध बुरे दौर से भी गुजरे हैं.

कहीं दोनों देशों में तल्खी तो नहीं आएगी?
भारत के परमाणु परीक्षण करने से दोनों देशों के बीच तल्खी आ गई थी. वहीं खलिस्तानी समर्थक आतंकियों ने  एयर इंडिया फ्लाइट 182 में विस्फोट कर दिया था. इससे बड़ी संख्या में कनाडाई नागरिकों की मृत्यु होने के बाद इन दोनों देशों के रिश्तों पर 20 वर्षों तक प्रभाव रहा. कनाडा और भारत के बीच समृद्ध व्यापारिक संबंध भी हैं.

दोनों देशों में और अधिक बेहतर करने की क्षमता है और दोनों ही इस ओर अग्रस हैं. लेकिन आशंका है कि किसान आंदोलन की आंच दो राष्ट्रमंडल देशों के बीच एक बार फिर से नई खाई न पैदा कर दे. 

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