लद्दाख की बर्फीली सरहद पर तैनात होंगे पैंतीस हज़ार जवान

चीन पर निगाह रखने के लिए ये कदम उठाना पड़ रहा है और लद्दाख की बर्फीली चोटियों पर भारतीय सेना के हज़ारों जवान हिन्दुस्तान की हिफाज़त करेंगे..  

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 31, 2020, 06:35 AM IST
    • लद्दाख में तनाव अभी समाप्त नहीं हुआ है
    • सर्दियों के लिये तैनात होंगे पैंतीस हजार सैनिक
    • इन सैनिकों के लिये सरकार कर रही है विशेष व्यवस्था
लद्दाख की बर्फीली सरहद पर तैनात होंगे पैंतीस हज़ार जवान

नई दिल्ली.  भारत चीन को समझ चुका है और कई बार परख चुका है. भारत अब चीनी धोखे के लिए किसी तरह तैयार नहीं है. इसी वजह से अब भारत ने बड़ा कदम  उठाया है और तय किया है कि अब सर्दियों और बदलते मौसम को देश की सुरक्षा में बाधा न बनने देते हुए पूर्वी लद्दाख स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर पैंतीस हज़ार सैनिकों को तैनात की जाएगी. 

 

तनाव अभी समाप्त नहीं हुआ है 

वास्तविकता ये है कि चीन के साथ सीमा पर सनीय गतिरोध अभी जारी है और यह काफी आगे तक खिंच सकता है. इस स्थिति में भारत पहाड़ों और सर्दियों के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित पैंतीस हज़ार जवानों की तैनाती करने वाला है. ये जवान बर्फीली चोटियों पर हर चुनौती और परिस्थिति का सामना करने के लिए विशेष रूप से प्रशिक्षित तथा मानसिक रूप से तैयार भी हैं. जबकि दूसरी तरफ चीनी सैनिक पहाड़ों पर बर्फीले मौसम से निपटने के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं.

सर्दियों में और भी कमजोर हो जायेंगे चीनी 

यहां तैनात चीन सैनिक चीन के जमीनी इलाकों से लाकर लद्दाख में तैनात किये गए हैं जो कि न तो इतनी  ऊंचाई वाले इलाकों के आदी हैं और न यहां की भीषण ठंड बर्दाश्त कर सकेंगे. ऐसे में भारतीय सैनिक सर्दियों में उन पर भारी भारी पड़ने वाले हैं. दूसरी तरफ भारत सरकार ने लद्दाख में तैनात अपने सभी सैनिकों को बर्फीली सर्दियों से बचाने के लिए एक्स्ट्रीम कोल्ड वेदर पोर्टेबल केबिन मुहैया कराने जा रही है.

चीनी सैनिक नाजुक-नागरिक हैं 

चीन की सेना याने पीएलए के लद्दाख में तैनात जवानों की जमीनी हकीकत ये है कि उन्हें न युद्ध का कोई विशेष प्रशिक्षण मिला है न ही वे पहाड़ और कड़कड़ाती सर्दियों के लिए किसी तरह से प्रशिक्षित हैं. ये वो चीनी सैनिक हैं जो चीन के अनिवार्य भर्ती कार्यक्रम के अंतर्गत सिर्फ तीन वर्षों के लिए सेना में भर्ती हुए हैं जिसके बाद वे अपने नागरिक जीवन में वापस चले जाएंगे.

ये भी पढ़ें. पेंटागन की नई योजना: जर्मनी से बुलाये जायेंगे अमेरिकी सैनिक

ट्रेंडिंग न्यूज़