चिप संकट की चपेट में पूरी दुनिया, ऑटो के बाद अब बैंकिंग सेक्टर के सामने आईं ये चुनौतियां

रूस-यूक्रेन के बाद ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जारी तनानती के बीच पूरी दुनिया में चिप का संकट और गहरा गया है. कोरोना काल से ही पूरी दुनिया में पिछले दो वर्षों से चिप संकट हावी है, जिसकी वजह से कई सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं

Written by - Vikas Mani Tiwari | Last Updated : Sep 13, 2022, 08:23 PM IST
  • चिप के दामों में बढ़ोतरी से किल्लत बढ़ी
  • सेमीकंडक्टर चिप का गढ़ है ताइवान
चिप संकट की चपेट में पूरी दुनिया, ऑटो के बाद अब बैंकिंग सेक्टर के सामने आईं ये चुनौतियां

नई दिल्लीः रूस-यूक्रेन के बाद ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के बीच जारी तनानती के बीच पूरी दुनिया में चिप का संकट और गहरा गया है. कोरोना काल से ही पूरी दुनिया में पिछले दो वर्षों से चिप संकट हावी है, जिसकी वजह से कई सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. अब इसकी चपेट में बैंकिंग सेक्टर भी आ गया है.

चिप संकट की चपेट में 'बैंकिंग सेक्टर'
देश में ऑनलाइन पेमेंट और कैशलेस सुविधा मुहैया कराने के लिए बैंक पूरी तरह से चिप पर निर्भर हैं. सेमीकंडक्टर चिप शॉर्टेज की वजह से लाखों लोगों के डेबिट कार्ड अटके पड़े हैं, जो लोग नया कार्ड अप्लाई कर रहे हैं या जिनके कार्ड एक्सपायर हो गए हैं, उनको नया कार्ड मुहैया कराने में देरी हो रही है और बैंक इसका मुख्य कारण चिप संकट को बता रहे हैं. 

RuPay कार्ड जारी करने में भी परेशानी
सूत्रों की मानें तो बैंक प्रधानमंत्री जन धन योजना के खाता धारकों को चिप शॉर्टेज की वजह से RuPay ATM या डेबिट कार्ड नहीं जारी कर पा रहे हैं. इस वजह से उन्हें बीमा कवरेज देने में कई तरह की अड़चनें आ रही हैं. 

चिप के दामों में बढ़ोतरी से किल्लत बढ़ी
बैंकों को और बैंकिंग सुविधा देने वाली कंपनियों के साथ चिप सप्लाई करने वाली कंपनियों का लंबा करार होता है, लेकिन रूस-यूक्रेन युद्ध और चीन में कोरोना की वजह से सख्ती बढ़ने की वजह से कई वेंडर्स ने चिप के भाव बढ़ा दिए हैं और उन्हीं को चिप सप्लाई कर रहे हैं, जो महंगे भाव पर चिप खरीद पा रहे हैं. 

बैंकों ने इस मामले में सरकार से गुहार लगाई है और CCI से जांच की मांग की है. इसी सिलसिले में IBA यानी इंडियन बैंकिंग एसोसिएशन ने सरकार से पिछले महीने मुलाकात की थी. CCI की पड़ताल के बाद अगर चिप वेंडर दोषी पाए गए तो उन पर भारी जुर्माना लगाया जा सकता है.

सेमीकंडक्टर चिप का गढ़ है ताइवान
TSMC (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) दुनिया भर की तमाम बड़ी कंपनियों के लिए चिप बनाती है, जिसका घर यानी बेस ताइवान ही है. ऐपल, AMD, Nvidia, ARM जैसे बड़े ब्रांड्स इसके क्लाइंट हैं. कंपनी इन सभी के लिए एडवांस चिप तैयार करने का काम करती है, जिससे आपके स्मार्टफोन, कार, लैपटॉप और दूसरी इलेक्ट्रिक चीजें काम करती हैं. इन चिप्स की शॉर्टेज के चलते आपको नई कार से लेकर नए स्मार्टफोन या फिर नए लैपटॉप तक के लिए लंबा इतंजार करना होगा. 

क्षेत्रफल और जनसंख्या में ताइवान भले ही बहुत छोटा हो, लेकिन टेक्नोलॉजी और सेमीकंडक्टर वर्ल्ड में इसका रोल बहुत बड़ा है. दुनियाभर के 90% एडवांस सेमीकंडक्टर ताइवान में ही बनते हैं. एक रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले साल ताइवान ने 118 अरब डॉलर का एक्सपोर्ट सिर्फ सेमीकंडक्टर कैटेगरी में किया था, जो अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है. 

दुनिया में तनाव का 'चिप' उद्योग पर बुरा असर
भारत में इलेक्‍ट्रॉनिक उपकरण बनाने वाली कंपनियां चिप के लिए काफी हद तक आयात पर निर्भर हैं. ताइवान को लेकर अमेरिका और चीन के तेवर से इलेक्‍ट्रॉनिक्‍स उपकरण बनाने वाली भारतीय कंपनियों की समस्‍या और बढ़ गई है. चिप की आपूर्ति में संकट की वजह से दुनियाभर में कई प्रोडक्ट के उत्पादन पर असर पड़ा है, जिससे चिप की किल्लत और मांग दोनों बढ़ गई है. 

इसी बढ़ती मांग की वजह से लोकल वेंडर्स ने भी चिप के भाव बढ़ा दिए हैं. चिप संकट का ऑटोमोबाइल उद्योग पर भी बुरा असर पड़ा है. इसके चलते जहां नई गाड़ियों की डिलिवरी में देरी हो रही है. वहीं कंपनियों का उत्पादन भी प्रभावित हो रहा है.

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