नई दिल्ली: यह अनुमान दुनिया के लिए चौंकाने वाला हो सकता है किन्तु चीन के लिए यह एक ऐसा सच है जो उनको पहले ही पता था. चीनी वायरस का विकास करते समय उन्होंने इस बात पर भी होमवर्क अवश्य कर लिया होगा कि इसके संक्रमण से किसी देश की अर्थव्यवस्था को कितनी चोट लग सकती है. हां, चीन ने अपने देश में होने वाले जान और माल - दोनों तरह के नुकसान के लिए शायद तैयारी नहीं की थी.
जीडीपी पर पड़ा है सीधा असर
अर्थशास्त्रियों ने फिलहाल दुनिया के दूसरे देशों के नुकसान का कोई आकलन अभी तक नहीं किया है क्योंकि महामारी ने अब तक अपनी यात्रा को विराम नहीं दिया है. किन्तु चूंकि चीन इस दौर से गुज़र चूका है इसलिए अब चीन पर कोरोना हमले से हुए नुकसान पर अनुमान है कि चीन की पूरे साल की जीडीपी वृद्धि दर 1.7 फीसद रहेगी.
अगर यह अनुमान सटीक बैठता है तो यह तीन दशकों बाद अब सबसे घातक अर्थात साल 1976 के बाद की चीन की सबसे कम वार्षिक जीडीपी ग्रोथ होने वाली है.
तीस सालों की सबसे बड़ी गिरावट
चीनी वायरस ने हालांकि अपने स्तर पर चीन को काफी चोट पहुंचाई है लेकिन दुनिया के बाकी देशों की अर्थव्यवस्थाओं पर आये नुकसान के मुकाबले वह कुछ भी नहीं. इस महामारी के चलते चीन की अर्थव्यवस्था में इस साल जो गिरावट आई है वह पिछले 30 सालों में नहीं आई थी.
मार्च की तिमाही में नज़र आई गिरावट
अमरीका के बाद दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है चीन की. चीन की इस दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में कोरोना ने सेंध लगा दी है और इस साल के पहले तीन महीनों में अर्थात मार्च तिमाही में गिरावट दर्ज की गई है.
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एक सर्वे के माध्यम से यह जानकारी मिली है और सर्वे ने इस आर्थिक गिरावट के लिए देश के लॉकडाउन को जिम्मेदार ठहराया है. सर्वे के अनुसार चीनी अर्थव्यवस्था में मार्च तिमाही में पिछले साल की समान अवधि से मुकाबला करने पर 8.2 प्रतिशत की कमी नज़र आई है.
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