क्या वाकई तीस साल पुराना इतिहास दुहरायेगा खुद को इस बार यूरोप में?

ये यूरोप के आकाश में मंडराता हुआ सबसे बड़ा सवाल है कि क्या सचमुच टूट जाएगा यूरोप की एकता का प्रतीक यूरोपियन यूनियन ? क्या जो तीस साल पहले हुआ फिर होगा और इस बार यूरोप में होगा?  कोरोना के अभिशाप से अगर यूरोप में यूरोपियन यूनियन टूट गया तो ये कोरोना की सबसे बड़ी चोट होगी यूरोप पर. इससे न केवल यूरोपियन देश कमज़ोर हो जाएंगे, वैश्विक शक्ति संतुलन पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा..

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 3, 2020, 12:42 AM IST
    1. कोरोना ने डरा के बनाया स्वार्थी
    2. आपसी मदद में कंजूसी हुई?
    3. नेशन फर्स्ट नुकसानदेह हो सकता है
    4. अलग अलग किया कोरोना से मुकाबला
क्या वाकई तीस साल पुराना इतिहास दुहरायेगा खुद को इस बार यूरोप में?

नई दिल्ली: सबसे बड़ी आज की तारीख की खबर यूरोप के लिए भी है ये और दुनिया के शक्ति-स्तम्भ बने हुए देशों के लिए भी. अगर कोरोना वायरस के संकट से यूरोपियन यूनियन बिखर गया तो तीस साल पहले की स्थिति होगी जब सोवियत संघ टूट कर टुकड़े टुकड़े हो गया था और वैश्विक शक्ति संतुलन बिगड़ा था.

कोरोना ने डरा के बनाया स्वार्थी

कोरोना ने यूरोप के देशों को इतना डराया की उन्होंने शुरू में मेडिकल किट के निर्यात पर रोक लगा दी और सरहद पर नियंत्रण को मजबूत करने के प्रयास किये. यूरोप के ही नागरिक इस स्थिति से अचम्भित रह गए वैसे बाद में जर्मनी, ऑस्ट्रिया और लग्जमबर्ग ने अपने अस्पताल सबके लिए खोल दिए ताकि कोरोना की चपेट में आए पड़ोसी देशों के नागरिकों का उनमें इलाज हो सके. फ्रांस और जर्मनी ने समझदारी दिखाई और इटली में चीन की तुलना में अधिक संख्या में मास्क भेजे.

आपसी मदद में कंजूसी हुई?

कोरोना के कत्लेआम से जूझ रहे इटली को पहले तो ईयू के देश मदद पहुंचाने में असफल रहे किन्तु ईश्वर ने उसकी मदद के लिए रूस और चीन को भेज दिया जिन्होंने इटली की ज्यादा मदद की. इस बात से इटली के नागरिक ईयू से बहुत नाराज़ हैं. इस हालत पर दुःख जताते हुए इटली के पूर्व पीएम ने ब्रिटेन के अखबार 'द गार्जियन' में इंटरव्यू देते हुए कहा  कि यूरोप का आपसी संबंध अब पिछले दस साल पहले की तुलना में कम हो गया है.

नेशन फर्स्ट नुकसानदेह हो सकता है

बहुत ही सामयिक समझदारी का परिचय देते हुए ईयू की विदेश नीति की पूर्व सलाहकार नैथली टोसी ने कहा कि नेशन फर्स्ट नुकसानदेह हो सकता है यूरोप को. उन्होंने कहा कि यदि हम सभी अपने अपने देश में नेशन फर्स्ट कर दें - अगर हर कोई बेल्जियम फर्स्ट, इटली फर्स्ट और जर्मनी फर्स्ट की रणनीति अपनाने लगे तो तय है कि हम सब एक साथ डूबेंगे. अब तो कोरोना-काल हमारे लिए फैसले का वक्त है  - या तो यूरोपियन यूनियन को तोड़ें या जोड़ें.

अलग अलग किया कोरोना से मुकाबला

मुसीबत में एकता काम आती है शायद कोरोना वायरस से डरे हुए यूरोप के देश ये ज़रूरी बात भूल गए और अब इसका खामियाजा को भुगतना पड़ सकता है यूरोपीय यूनियन को जो अब टूटने की कगार पर खड़ा है .   कोरोना वायरस के इस संक्रमणकाल  ने यूरोपीय यूनियन के कई पुराने जख्म ताज़े कर दिए हैं.

अब ऐसा लगता है हर देश मौका देख कर अपना ही भला करने में लगा है, एकता की परवाह किसी को नहीं है. ईयू के पूर्व एनलार्जमेंट कमिश्नर हीथर ग्रैबा ने सावधान करते हुए कहा कि बात आज की नहीं है, पिछले कई अलग अलग आये संकटों से यूरोपीय यूनियन के देशों के बीच आपसी यकीन कम हुआ है और अब ये खाई और बढ़ रही है.

आर्थिक मंदी ने बनाये दो खेमे

कोरोना वायरस के संकट से टूटने की कगार पर पहुंचा यूरोपीय यूनियन अब संक्रमण से पैदा हुई आर्थिक मंदी को लेकर यूरोप दो खेमों में बंट गया है.  फ्रांस, इटली और स्पेन के साथ कम से कम आधा दर्जन देश यूरोजोन के कर्ज से मिलकर निपटने की प्रस्ताव पर राज़ी नज़र नहीं आते और इस प्रस्ताव पर उनके विरोध में खड़े हैं जर्मनी, ऑस्ट्रिया और नीदरलैंड्स इसके उलट खड़े हैं.  कोरोना वायरस के संकट के कारण ईयू हाल ही में हंगरी सरकार के अलोकतांत्रिक कदम का विरोध करने की बजाये चुप रहा है.

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