आखिर इतनी तेजी से कैसे फैल रहा है कोरोना वायरस? जापान ने किया खुलासा

आम तौर पर हमें लगता है कि कोरोना वायरस संक्रमित लोगों को छूने या फिर हाथ मिलाने से फैलता है. लेकिन जापानी वैज्ञानिकों की रिसर्च में एक नया ही सच सामने आया है. जिसने कोरोना वायरस फैलने का जिम्मेदार 'माइक्रो ड्रॉपलेट' को बताया है. आईए बताते हैं कि ये क्या है-   

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Apr 2, 2020, 07:04 PM IST
    • जापान के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
    • कोरोना वायरस के तेजी से प्रसार के लिए जिम्मेदार हैं माइक्रो ड्रॉपलेट्स
    • इनकी वजह से तेजी से फैल रहा हे कोरोना
    • ये हवा में घंटों तक रह सकते हैं
    • इनसे बचने के लिए मास्क है एकमात्र समाधान
आखिर इतनी तेजी से कैसे फैल रहा है कोरोना वायरस? जापान ने किया खुलासा

नई दिल्ली: कोरोनावायरस को लेकर दुनिया के हर हिस्से में रिसर्च चल रही है. ये ऐसा वायरस है जिसके बारे में बहुत कम जानकारी है. चीन ने दुनिया को मौका ही नहीं दिया कि वो इस वायरस के बारे में रिसर्च कर सके और जान सके कि आखिर इतनी तेज़ी से ये वायरस इंसानों में कैसे संक्रमण फैला रहा है. 

अभी तक वायरस के फैलाव के बारे में थी ये जानकारी
कोरोना वायरस के बारे में जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक हमें लगता था कि संक्रमण का पहला रास्ता है पास में किसी के खांसने या छींकने से. संक्रमण का दूसरा रास्ता है वायरस लगी सतह को छूने के बाद चेहरे को स्पर्श करने से. 

इन दो रास्तों को रोकने के लिए 5 तरीके अपनाए गए--
1. हाथ को साबुन से समय-समय पर धोना
2. कुहनी में खांसना या छींकना
3. चेहरे को बार-बार ना छूना
4. लोगों से दूरी बना कर रखना
5. बीमार महसूस करने पर घर पर रहना

लेकिन इतना ही पर्याप्त नहीं है
ये तरीके दुनिया भर में आजमाए जा रहे हैं. लेकिन फिर भी कोरोना तेजी से फैलता जा रहा है. लेकिन अब जापान के वैज्ञानिकों ने कोरोना की इस तेज़ी का राज़ खोल दिया है. 

जापानी वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस की वीडियो रिकॉर्डिंग कर के दुनिया को ये दिखा दिया है कि सिर्फ इन्हीं जाने पहचाने रास्तों से ही कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं फैल रहा है. कोरोना के संक्रमण के और भी तरीके हैं जो कि ज्यादा खतरनाक हैं

कोरोना के फैलने का जिम्मेदार है माइक्रो ड्रॉपलेट इनफेक्शन
कोरोना के फैलने की गति को समझने के लिए जापान में एक प्रयोग किया गया. रिसर्चर्स की टीम ने हाई सेंसटिव कैमरे का सेटअप लगाया और लेजर बीम से हवा में मौजूद कणों का अध्ययन किया. इसके जरिए  0.1 माइक्रोमीटर तक के ड्रॉपलेट्स को देखा जा सकता था. इसमें लोगों के छींकने को रिकॉर्ड किया गया. कैमरे की रिकॉर्डिंग से पता चला कि छींकने से बड़े ड्रॉपलेट्स निकल रहे हैं जो 1 मिलीमीटर व्यास के हो सकते हैं. ये ड्रॉपलेट्स तुरंत हवा से नीचे गिर जाते हैं.

लेकिन इससे छोटे पार्टिकिल्स हवा में मौजूद रहते हैं. ये पार्टिकिल्स बेहद छोटे होते हैं. ये 10 माइक्रोमीटर तक छोटे हो सकते हैं.  यानी 1 मिलीमीटर का 100वां हिस्सा जो आंखों से नज़र नहीं आता. यही हैं माइक्रो-ड्रॉपलेट्स-

ये माइक्रो ड्रॉपलेट्स बेहद ख़तरनाक हैं, जो हवा में तैरती रहती हैं और इंसान के छींक कर या खांसकर चले जाने के बाद भी वो हवा में ही रहती हैं और ये किसी भी इंसान को संक्रमित कर सकती हैं

जापान के वैज्ञानिकों ने किया खुलासा
जापानी संक्रमित रोग संघ के अध्यक्ष काजुहीरो तातेदा ने बताया कि जब आसपास के लोग इन माइक्रो ड्रॉपलेट को सांसों से अंदर लेते हैं और कोरोनावायरस को नया घर मिल जाता है. पूरी दुनिया में कोरोना वायरस इसी तरह से फैल रहा है. ये एक बिल्कुल नए तरह का खतरा है. 

सिर्फ मास्क ही कर सकता है बचाव
माइक्रो ड्रॉपलेट से बचने का एक ही रास्ता है मास्क. क्योकि अगर किसी एक व्यक्ति ने छींका तो हवा में माइक्रो ड्रॉपलेट्स रह जाते हैं, और दूसरे ने मास्क लगाया तो उससे वो ड्रॉपलेट्स बाहर नहीं निकले. यानी अगर किसी को सर्दी ज़ुकाम है या कोविड-19 का लक्षण है तो वो मास्क ज़रूर लगाए. 

अगर घर से बाहर किसी ज़रूरी काम से जा रहे हैं तो खुली हवा में मास्क ज़रूर लगाएं. सबसे अहम बात कि अगर आप किसी से भी बात कर रहे हैं तो भी मास्क लगाकर रखें. क्योंकि माइक्रो ड्रॉपलेट से बचने का यही तरीका है. 

क्योंकि ये माइक्रो ड्रॉपलेट्स कई घंटों तक हवा में रहते हैं. कोरोना वायरस से बचने के लिए सिर्फ एक मीटर की दूरी ही काफी नहीं है, एक इंसान अगर बीमार है तो उससे कम से कम 8-10 मीटर तक की दूरी होनी चाहिए. 

निजामुद्दीन में तबलीगी जमात के लोग माइक्रो ड्रॉपलेट से ही हुए होंगे संक्रमित
तबलीगी जमात के मरकज़ में भी तबलीगी जमात के लोग ऐसे ही संक्रमित हुए होंगे. क्योंकि चंद कमरों में ढेर सारे लोग भरे हुए थे.  वो सभी आपस में बात करते हुए  लगातार माइक्रो ड्रॉपलेट्स फैला रहे थे. 
अगर उनमें से एक भी बीमार रहा होगा, तो उसी से सैकड़ों या हो सकता है कि हज़ारों में कोरोनावायरस फैल गया होगा.
 ऐसे में लॉकडाउन का पालन करते हए घरों में बने रहना ज़रूरी है. 

 

 

 

 

 

 

 

 

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