Rakhi: एक प्यार ऐसा भी, रक्षाबंधन पर राखी बांधने भारत-पाक की सीमा पर पहुंची महिलाएं
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Rakhi: एक प्यार ऐसा भी, रक्षाबंधन पर राखी बांधने भारत-पाक की सीमा पर पहुंची महिलाएं

Raksha Bandhan 2023: रक्षा बंधन पर राखी का शुभ पर्व मनाने के लिए मध्य प्रदेश से महिलाएं भारत-पाक सीमा पर पहुंची हैं.

Rakhi: एक प्यार ऐसा भी, रक्षाबंधन पर राखी बांधने भारत-पाक की सीमा पर पहुंची महिलाएं

Raksha Bandhan 2023: 1971 की भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान इस पोस्ट पर तैनात नायक कमलजीत सिंह का सिर काटकर पाकिस्तानी सेना तोहफे के तौर पर पेड़ से टांग दी थी. जिसके बाद उनकी बहन ने वहीं समाधि बनाई और हर साल रक्षाबंधन मनाने आती थीं.  हालांकि, बहन की मौत के बाद दूर-दूर से महिलाएं उस जगह पर राखी रखती हैं. 

इस बार इस पोस्ट पर कमलजीत सिंह कि समाधि को राखी बांधने के लिए मध्य प्रदेश मातृ शक्ति संगठन की महिलाएं विशेष रूप से पहुंची और भावुक हो गईं.  

बता दें, सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष कुंवर रविंद्र कुमार विक्की ने बताया कि 1971 की भारत पाकिस्तान युद्ध के दौरान सिंबबल पोस्ट पर तैनात नायक कमलजीत सिंह जोकि वायरलेस ऑपरेटर थे. उन्हें पाकिस्तानी सेना ने घेर लिया इसके बावजूद भी कमलजीत सिंह उनके साथ लड़ते रहे आख़िरी गोली तक उन्होंने लड़ाई लड़ी. 

सिंबबल के लोगों को सुरक्षित स्थान पर जाने के लिए कहा. हालांकि, आखिरकार सभी को बंधक बना लिया गया. वहीं, कमलजीत सिंह सबसे ज़्यादा ज़ोश से लड़ रहे थे.  इसलिए उनका सर क़लम कर. पेड़ के ऊपर लटका दिया गया था.  साथ ही माथे पर एक पर्ची चिपका दी थी. जिस पर लिखा था B S F के अधिकारियों को पाकिस्तान सेना का तोहफा. 

कंवलजीत सिंह की सूचना के चलते फिर इस पोस्टर को भारतीय सेना ने पाकिस्तानी फ़ौज से मुक्त करवाकर कर भारत में शामिल किया. बता दें, इस गांव से कुछ दूरी पर ही भारत पाकिस्तान सीमा पर लगी कांटेदार तार दिखाई देती है. 

जब कमलजीत सिंह की शहादत के बारे में उनकी इकलौती बहन को पता चला तो वह पोस्टर पर पहुंची और उन्होंने वहीं पर अपने भाई का संस्कार किया और समाधि बना दी. तब से लेकर 2016 तक यह हर राखी के पर्व पर इस पोस्ट पर आती हैं और अपने भाई के साथ-साथ पोस्ट पर तैनात अन्य जवानों को राखी बांध कर जाती हैं. 

बहन जीवन के अंतिम दौर के दौरान कैंसर से पीड़ित हो गई. जब वह अस्पताल में दाख़िल की गई थी, तो उन्होंने पूर्व सैनिक वेल्फेयर सुरक्षा परिषद से वचन लिया कि उनकी मौत के बाद उसके भाई के समाधि बार रक्षाबंधन का त्योहार पहले की तरह जारी रहे. जिसे वो सुरक्षा परिषद पिछले 7 वर्षों से निभा रही हैं.

विक्की ने बताया कि BSF के जवान और अधिकारी उनके साथ रहते हैं. गांव की लड़कियां आज भी उन्हें राखी बाधती हैं. मध्य प्रदेश से आई मातृ शक्ति संगठन की प्रधान सीमा चौहान ने बताया कि वह धन्य हो गई हैं. उनकी संस्था शहीद परिवारों के लिए पूरे देश में काम करती हैं. इसी दौरान जब समाधि पर रखा हुआ शहीद कमलजीत सिंह का टरंक खोला गया तो उसमें कपड़ों के साथ साथ बर्तन और जूते भी थे. जूतों को अपने हाथ में पकड़ कर सभी ने नमन किया. 

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