डॉक्टरों ने कहा था कभी पैरों पर खड़ी नहीं होगी; खुद की कंपनी लगाकर दिया 20 लोगों को रोजगार
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डॉक्टरों ने कहा था कभी पैरों पर खड़ी नहीं होगी; खुद की कंपनी लगाकर दिया 20 लोगों को रोजगार

Sweety Jan a businesswoman of Kashmir: यह मामला कश्मीर का है, जहां स्वीटी जान नाम की एक लड़की ने बीमारी के बाद अपने जिस्म के नीचे के हिस्सों में मूवमेंट को खो दिया था, लेकिन हिम्मत और लगन से उसने उस हालत में भी खुद का र्स्टाटअप लगाकर न सिर्फ आत्मनिर्भर बनी बल्कि 20 दीगर लोगों को भी रोजगार देने का काम कर रही हैं.

स्वीटी

श्रीनगरः कहते हैं, जहां चाह है वहां राह है. यानी अगर आप कुछ करने की ठान लेते हैं, तो चाहे राह में जितनी भी मुश्किलें हों आप एक न एक दिन अपनी मंजिल पा ही लेते हैं. ऐसी ही हैं श्रीनगर की रहने वाली 33 वर्षीय स्वीटी जान. व्हीलचेयर पर चलने वाली स्वीटी जान दिव्यांग व्यक्तियों, विशेषकर महिलाओं के लिए एक उम्मीद की किरण हैं. श्रीनगर के इंद्रा नगर इलाके में रहने वाली स्वीटी जान एक मसाला फैक्ट्री चलाती हैं. इससे वह न सिर्फ खुद आत्मनिर्भर बनी हैं बल्कि कम से कम 20 दूसरे लोगों को भी रोजगार दे रही है. 

स्वीटी जान ने कभी अपनी विकलांगता को अपनी कमजोरी नहीं बनने दिया शुरू से ही उनका लक्ष्य एक कामयाब कारोबारी बनने का था और आखिरकार उन्होंने अपने इस मकसद और सपने को हकीकत में बदल दिया. 

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श्रीनगर के इंद्रा नगर इलाके की निवासी स्वीटी अपने जैसे लाखों विकलांग लोगों को अपनी अक्षमताओं पर विजय हासिल करने के लिए प्रेरित करती हैं. श्रीनगर के काहनमोह के औद्योगिक एस्टेट में उनकी मसाला निर्माण इकाई से कई लोगों के घर चलते हैं.  

स्वीटी भी कभी एक आम इंसान की तरह चलने-फिरने में सक्षम थीं, लेकिन उनकी जिंदगी में 2016 में एक नाटकीय मोड़ तब आया जब एक गंभीर बुखार ने उनके जिस्म के निचले अंगों को पूरी तरह से अपाहिज बना दिया. 
स्वीटी बताती हैं, “जब डॉक्टरों ने मुझे बताया कि मैं अब अपने पैरों पर नहीं चल सकती, तो मैं पूरी तरह से टूट गई थी और गहरे अवसाद में गिर गई. मुझे विश्वास हो गया कि मैं कभी कुछ हासिल नहीं कर पाऊंगी.“ हालाँकि, उनके परिवार, विशेषकर उनके पिता, जिन्होंने उनके इलाज के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी, के अटूट समर्थन ने स्वीटी को आशा की एक किरण दी. स्वीटी कहती हैं, ’’ जब मैं मुंबई के एक अस्पताल में बिस्तर पर पड़ी थी और मैंने वहां दूसरे मरीजों को देखा तो फिर मैंने अपनी जिंदगी के लिए अल्लाह का शुक्रिया अदा किया.’’ उन्होंने कहा, ’’फिर मैंने कभी उम्मीद न खोने का संकल्प लिया और आगे बढ़ती रहीं. मैंने जीवन से कभी हार नहीं मानी है और आज, मुझे दूसरों को राजेगार देने में खुशी मिलती है. मैं और ज्यादा लोगों को इस प्रयास में शामिल होने के लिए आमंत्रित करती हूं ताकि हम और भी ज्यादा लोगों को रोजगार दे सकें.’’ 

स्वीटी की कंपनी हल्दी, मिर्च और कई अन्य स्वादों सहित मसालों की एक विस्तृत श्रृंखला का उत्पादन करती है..उन्होंने कहा, “हम मसालों का विस्तृत रेंज पेश करते हैं." 
स्वीटी अपने कारोबार को और आगे बढ़ाने का सपना देखती हैं. इसके लिए वह हुकूमत से मदद चाहती हैं. उन्होंने कहा, “लगभग 20 घरों का भरण-पोषण इस कारोबार पर निर्भर करता है, और मैं हुकूमत से हर मुमकिन मदद की अपील करती हूं.’’ 

स्वीटी पिछले तीन सालों से इस कारोबार में हैं लेकिन हाल ही में वह औद्योगिक एस्टेट, खोनमोह में अपने कारोबार को शिफ्ट कर लिया है. यह एक रणनीतिक कदम है जिससे उन्हें उम्मीद है कि उनका कारोबार और आगे बढ़ेगा. खादी और ग्रामोद्योग बोर्ड से मिले 20 लाख रुपये ने उनके कारोबार को बढ़ाने में मील का पत्थर साबित हुआ है. उन्होंने कहा, “मैंने पैकिंग और ग्राइंडिंग मशीन जैसी कई मशीनें लगाई हैं.“ वह कहती हैं, मेरा कारोबार आशाजनक तरीके से चल रहा है, लेकिन मैं इसे और बड़ा करना चाहती हूं. मैं चाहती हूं कि वितरक आएं और मेरे उत्पादों की गुणवत्ता को महसूस करें. मैं सरकार से अपने उत्पाद के विपणन में मदद करने का आग्रह करती हूं, ताकि मेरे मसाले कश्मीर में एक पसंदीदा ब्रांड बन सकें.’’
 

Zee Salaam

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