Bilkis Bano Case में सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई के आधार पर उठाए सवाल
Advertisement
trendingNow,recommendedStories0/zeesalaam/zeesalaam1871981

Bilkis Bano Case में सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई के आधार पर उठाए सवाल

Bilkis Bano Case: बिलकिस बानों केस मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह जांच करना होगा कि सजा माफी की अर्जी को गुजरात सरकार ने कोई तरजीह दी थी.

 

Bilkis Bano Case में सुप्रीम कोर्ट ने 11 दोषियों की रिहाई के आधार पर उठाए सवाल

Bilkis Bano Case: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को कहा कि उसे इस बात की जांच करनी होगी कि क्या बिलकिस बानो मामले में मुजरिमों की सजा माफी की अर्जी को गुजरात सरकार ने कोई तरजीह दी थी. जज बी.वी. नागरत्‍ना और जज उज्‍ज्‍वल भुइयां की पीठ ने टिप्पणी की कि कुछ दोषी ऐसे हैं जो "अधिक विशेषाधिकार प्राप्त" हैं, क्योंकि आमतौर पर जल्दी रिहाई से इनकार करने के खिलाफ मामले दायर किए जाते हैं.

पीठ 2002 में गोधरा कांड के बाद हुए दंगों के दौरान बिलकिस के साथ गैंग रेप और उसके परिवार के मेंमबर के कत्ल के मामले में मुल्जिमों की जल्द रिहाई की अजाजत देने वाले गुजरात सरकार के फैसले के खिलाफ दायर अर्जियों पर सुनवाई कर रही थी. सुनवाई के दौरान एक मुल्जिम की तरफ से पेश सीनियर वकील सिद्धार्थ लूथरा ने कहा कि जुर्म की गंभीरता जल्दी रिहाई को चुनौती देने का एक कारक नहीं हो सकती है, क्योंकि छूट देना मुजरिमों के पुनर्वास और सुधार के लिए है.

मामले पर 20 सितंबर को भी सुनवाई होगी. पहले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने मुंबई में ट्रायल कोर्ट का दरवाजा खटखटाने और सुप्रीम कोर्ट के सामने दायर किए गए उनके अंतरिम आवेदन पर फैसले का इंतजार किए बिना उन पर लगाए गए जुर्माने को जमा करने के लिए मुजरिमों से सवाल किया था.

मुजरिमों ने कहा कि हालांकि जुर्माना जमा न करने से छूट के फैसले पर कोई असर नहीं पड़ता है, फिर भी "विवाद को कम करने" के लिए इसे जमा कर दिया गया है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जब गुजरात सरकार ने पिछले साल 15 अगस्त को अपनी माफी नीति के तहत इन 11 मुजरिमों को रिहा करने की इजाजत दी थी, तब जुर्माना नहीं भरा गया था. 

अर्जीगुजारों ने सुप्रीम कोर्ट के सामने कहा था कि मुजरिमों ने उन पर लगाए गए जुर्माने का भुगतान नहीं किया है और जुर्माना न चुकाने से छूट का हुक्म गैर कानूनी हो जाता है. मुजरिमों ने तर्क दिया था कि जल्द रिहाई की मांग करने वाले आवेदनों पर सुप्रीम कोर्ट के पहले के हुक्म के मुताबिक गुजरात सरकार की तरफ से विचार किया गया था और न्यायिक आदेश का सार रखने वाले माफी आदेश को संविधान के अनुच्छेद 32 के तहत रिट याचिका दायर करके चुनौती नहीं दी जा सकती है.

मामले में दोषी ठहराए गए 11 लोगों को पिछले साल 15 अगस्त को रिहा कर दिया गया था. गुजरात सरकार ने अपनी छूट नीति के तहत उनकी रिहाई की इजाजत दी थी और कहा था कि दोषियों ने जेल में 15 साल पूरे कर लिए थे.

Trending news