Makar Sankranti Traveling to Holy Place: यदि आप काफी समय से चारों धाम की तीर्थ यात्रा के बारे में सोच रहे हैं और किसी न किसी कारण से वहां पर नहीं जा पा रहे हैं तो आप केवल एक ही स्थान पर स्नान कर चारों धाम की यात्रा करने से मिलने वाला पुण्य प्राप्त कर सकते हैं. यह मौका आपको मकर संक्रांति पर मिल सकता है. बस आपको मकर संक्रांति पर प्रयागराज पहुंचकर पवित्र संगम में डुबकी लगानी होगी.


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स्नान का महत्व


धर्म शास्त्रों में अधिकांश पर्वों तथा पूर्णिमा और अमावस्या की तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान का विशेष महत्व बताया गया है, जिनमें गंगा यमुना सरस्वती, नर्मदा, कावेरी, गोदावरी आदि प्रमुख नदियां हैं. यही कारण है कि प्रमुख पर्वों पर इन पवित्र नदियों के तट पर मेला लगता है, जहां श्रद्धालु नदियों में स्नान करने के बाद पूजन और दान आदि के कर्म कर जीवन में सुख समृद्धि और आरोग्य आदि की कामना करते हैं. इस तरह संक्रांतियों के अवसर पर पवित्र नदियों में स्नान का विधान है, किंतु सभी संक्रांतियों में मकर संक्रांति का महत्व सबसे अधिक माना गया है.


पुण्य


मकर संक्रांति पर प्रयागराज में संगम पर स्नान करने का बहुत ही महत्व है. माना जाता है कि मकर संक्रांति के अवसर पर जो श्रद्धालु प्रयागराज में संगम पर स्नान करते हैं उन्हें इस पृथ्वी पर बार बार जन्म और मरण से मुक्ति मिल जाती है और वह मोक्ष को प्राप्त होते हैं. यही कारण है कि हर आस्थावान हिन्दू जीवन में एक बार मकर संक्रांति पर प्रयागराज के संगम में स्नान करना अपना कर्तव्य समझता है. मान्यता है कि प्रयागराज में मकर संक्रांति के पर्व पर संगम स्नान करने से चारों धामों की यात्रा का पुण्य प्राप्त होता है. यूं तो भारत में कई स्थानों पर पवित्र नदियां एक दूसरे से मिल कर संगम बनाती है किंतु प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती का मिलन होता है इसलिए इसे संगम या त्रिवेणी कहा जाता है. माना जाता है कि यहीं पर सरस्वती नदी इन दोनों नदियों में मिल कर विलुप्त हो गई. मकर संक्रांति पर प्रयागराज में स्नान और दान का बहुत ही महत्व है, यह बात तुलसी बाबा ने भी कही है.


माघ मकरगत रबि जब होई । 


तीरथपतिहिं आव सब कोई ।⁠।


देव दनुज किंनर नर श्रेनीं । 


सादर मज्जहिं सकल त्रिबेनीं ⁠।⁠।


अर्थात माघ में जब सूर्य मकर राशि पर जाते हैं, तब सब लोग तीर्थराज प्रयाग को आते हैं. देवता, दैत्य, किन्नर और मनुष्यों के समूह सब आदरपूर्वक त्रिवेणी में स्नान करते हैं. ⁠मकर संक्रांति के स्नान के साथ ही प्रयागराज में माघ मेले का प्रारंभ हो जाता है. माना जाता है कि इस दिन संगम में स्नान करने से सभी पापों का नाश होने के साथ ही मोक्ष की प्राप्ति होती है और तिलांजलि देने से पूर्वजों की आत्मा को शांति प्राप्त होती है. 


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