Rudraksha Pahnane ke Niyam: सावन का महीना अपने अंतिम दौर में हैं. यह पूरा महीना ही भगवान भोलेनाथ को समर्पित होता है. इस दौरान भोलेनाथ का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करते हुए शिव मंत्रों का जाप किया जाता है. इसके लिए रुद्राक्ष की माला का इस्तेमाल होता है. रुद्राक्ष भोलेशंकर को काफी पसंद है. हिंदू मान्यताओं के अनुसार, इसे भोलेनाथ का अंश माना जाता है. ऐसी मान्यता है कि भगवान शिव के आंसुओं से रुद्राक्ष की उत्पत्ति हुई थी. करोड़ों भक्त रुद्राक्ष को धारण करते हैं. इससे मन शांत रहता है. कुंडली में अशुभ ग्रहों के प्रभाव को शांत करने के लिए भी रुद्राक्ष की माला महत्वपूर्ण मानी गई है. हालांकि, रुद्राक्ष को धारण करने के भी कई नियम हैं. इसका पालन न करने से विपत्ति आ सकती है. ऐसे में जानते हैं कि किन परस्थितियों में रुद्राक्ष को धारण नहीं करना चाहिए.


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मांस-मदिरा के सेवन के समय


रुद्राक्ष की पवित्रता का हमेशा ख्याल रखना चाहिए. अगर आप मांस और मदिरा का सेवन करते हैं तो उस समय इसको जरूर उतार लेना चाहिए. मांस और मदिरा के सेवन करते समय इसे पहनने से पवित्रता खत्म होती है और जिंदगी में नुकसान उठाना पड़ सकता है. 


शव यात्रा के दौरान 


किसी की मौत होने पर अगर आप उनकी शव यात्रा में जा रहे हैं तो रुद्राक्ष को घर में उतार देना चाहिए. शव यात्रा, श्मशान घाट और अंतिम संस्कार के दौरान रुद्राक्ष पहनना वर्जित माना गया है.


बच्चे के जन्म पर


हिंदू धर्म के अनुसार, बच्चे के जन्म होने पर सूतक लग जाता है. जन्म के कुछ दिनों तक चीजें अपवित्र रहती हैं. ऐसे में अगर बच्चे के जन्म के बाद मां और बच्चे से मिलने जा रहे हैं तो वहां, जाने से पहले रुद्राक्ष लेना चाहिए. भूलकर भी वहां रुद्राक्ष पहनकर न जाएं.


सोते समय 


शास्त्रों के अनुसार, सोते समय रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए. इसको उतार देना चाहिए और तकिये के साथ रखना चाहिए. ऐसा करने से अच्छी नींद आती है. बुरे सपने नहीं आते. ऐसा माना जाता है कि सोने के दौरान शरीर में कुछ अशुद्धि आ जाती हैं, जिसका असर रुद्राक्ष की पवित्रता पर पड़ता है. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 
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