मुसलमान काबा में काला पत्थर क्यों चूमते हैं?: हज यात्रा पर गए लोग मक्‍का मदीना के धर्म स्‍थल काबा की 7 परिक्रमा करते हैं. इसके अलावा कई अन्‍य धार्मिक रीति-रिवाज भी निभाते हैं. काबा के पूर्वी कोने में एक छोटा सा काला पत्‍थर लगा हुआ है, इस पत्‍थर का बड़ा महत्‍व है. इस काले पत्‍थर को लेकर कई कहानियां प्रचलित हैं, लेकिन यह पत्‍थर कहां से और कैसे आया, साथ ही मुसलमान इस पत्‍थर को चूमते क्‍यों है इसे लेकर कई बातें अब भी राज हैं. इस काले पत्‍थर को अरबी में अल-हजरु अल-अस्वद कहते हैं. 


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चांदी के फ्रेम में जड़ा है यह पत्‍थर 


काबा के पूर्वी कोने में चांदी के फ्रेम में जड़ा एक काला पत्‍थर लगा हुआ है. इस पत्‍थर को मुसलमान बेहद अहम मानते हैं. इस पत्‍थर को लेकर कई तरह की कहानियां प्रचलित हैं लेकिन सच्‍चाई के बारे में कोई ठोस प्रमाण नहीं है. एक कहानी के मुताबिक यह काला पत्‍थर धूमकेतु या चांद का टुकड़ा है. माना जाता है कि यह चांद से टूटकर गिरा टुकड़ा है. वहीं कुछ लोग इसे धरती पर आए धूमकेतु का टुकड़ा मानते हैं. 


कुरान तक में नहीं है इसका जिक्र 


इस्लाम में काबा के जिस काले पत्थर को सबसे पवित्र माना गया है उसका जिक्र कुरआन में नहीं मिलता है. माना जाता है कि यह पत्थर मुहम्मद साहब के धरती से जाने के बाद अस्तित्व में आया. हालांकि इसका हदीस समेत अन्‍य इस्‍लामिक ग्रंथों में इस काले पत्‍थर का जिक्र है. इतना ही इस काले पत्‍थर को इतना पवित्र माना गया है कि हज यात्रा पर आने वाले यात्री इसे चूमते हैं. हालांकि बढ़ती भीड़ के कारण अब ऐसा संभव नहीं हो पाता है इसलिए हाजी इस पत्‍थर की ओर मुंह करके दुआ मांगते हैं. 


क्‍या ये जीवित पत्‍थर है? 


कई हदीसों में इस पत्‍थर को जीवित बताया गया है. इन ग्रंथों के अनुसार पैगंबर इस पत्‍थर को खुदा का दायां हाथ मानते थे और इसे जीवित समझते थे. इसलिए लोग इसे चूमकर खुदा का शुक्रिया अदा करते हैं. पैगंबर ने खुद भी इस पत्थर को चूमा था इसलिए हाजियों द्वारा इस पत्‍थर को चूमने की परंपरा बन गई. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)