Venus: शुक्र ग्रह पहुंचेंगे नीच राशि के घर, इन 2 राशियों को रहना होगा बेहद सावधान
Kamjor Shukra: वास्तव में शुक्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह है. शुक्र ग्रह असुरों के गुरु द्रोणाचार्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस तरह यह कलयुग की मेरुदण्ड है. आपके जीवन में जितने भी प्रकार की लग्जरी होती है. वह सब शुक्र के ही कारण है.
Shukra ka Prabhav: अंतरिक्ष में ग्रह विभिन्न राशियों में विचरण करते हैं. कुछ राशियों के वह स्वामी होते हैं तो कुछ राशियों के लिए वह मित्र होते हैं, लेकिन कुछ राशियां ऐसी भी हैं, जहां ग्रहों के जाते ही वह नीच हो जाते हैं. नीच होते ही उस ग्रह के प्रभाव में भी परिवर्तन आ जाता है. शुक्र 3 नवंबर को कन्या राशि में जाएंगे, जहां पर वह नीच के हो कर रहेंगे. शुक्र भौतिकता एवं मूल्यवान चीजों का कारक हैं, इसलिए नीच होने के गलत नहीं समझना चाहिए. वास्तव में यह भौतिक दृष्टि से अच्छा है. नीच के नाम से भयभीत होने की जरुरत नहीं है. नीच का अर्थ है कि अब ग्रह अपने मूल स्वभाव की कंफर्टेबल पोजीशन में नहीं है.
वास्तव में शुक्र एक बहुत ही महत्वपूर्ण ग्रह है. शुक्र ग्रह असुरों के गुरु द्रोणाचार्य का प्रतिनिधित्व करते हैं. इस तरह यह कलयुग की मेरुदण्ड है. आपके जीवन में जितने भी प्रकार की लग्जरी होती है. वह सब शुक्र के ही कारण है, साथ ही यह शुभ है. इसकी शुभता में कोई कमी नहीं है, लेकिन इसमें अभिलाषा भी खूब है. जीवन का रस लेना ही उद्देश्य है, इसलिए यह रसीली मिठाई का भी प्रतिनिधित्व करता है. शुक्र ग्रह स्त्रियों का भी कारक होता है.
शुक्र की नीच स्थिति में आपको चारित्रिक रूप से काफी बलवान रहना होगा. संस्कार से अधिक मूल्यवान कोई चीज नहीं है और संस्कार से ही चरित्र का निर्माण होता है. चरित्र से राष्ट्र का निर्माण है. सारी चीजें एक-दूसरे से चेन की तरह जुड़ी हैं. शुक्र की नीच स्थिति में आपको ऐसे आकर्षक ऑफर मिल सकते हैं, जिनसे आपको चारित्रिक लिहाज से कंप्रोमाइज करना पड़ सकता है, लेकिन आपको बहुत सोच-समझ कर निर्णय लेना चाहिए. हर एक चीज की वैल्यू को आंकने के बाद ही कोई निर्णय लेना चाहिए. उदाहरण के रूप में यदि आप हीरा खरीदने जा रहे हैं तो कंपनी की विश्वसनीयता देखें. उसके आकर्षक प्रचार और शोरूम को देखकर धोखा न खाएं.
शुक्र दो राशियों का स्वामी हैं और यह राशियां हैं वृष व तुला, इसलिए इस बीच वृष और तुला राशि के लोगों को सावधान रहने की आवश्यकता है, क्योंकि इनके स्वामी शुक्र नीच के हो गए हैं.