Karpur Gauram Karunavtaram Mantra importance: हिंदू धर्म में पूजा करते समय कई तरह के विधि-विधान किए जाते हैं. सबसे पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. फिर विधिवत पूजा और मंत्र जाप से भगवान को प्रसन्न किया जाता है. पूजा के समय मंत्रों के उच्चारण का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि यदि सच्चे मन और सही तरीके से और पूरे भक्ति-भाव से जाप किया जाए तो भगवान की कृपा मिलने में देर नहीं लगती है. शास्त्रों के मुताबिक हमारे जितने भी देवी देवता हैं उन सभी के अलग-अलग मंत्र हैं. ऐसे में दिन देवी या देवता की पूजा की जा रही हो उस समय उनके ही मंत्र पढ़ें जाने चाहिए. हालांकि कुछ मंत्र ऐसे शक्तिशाली होते हैं, जिनका पाठ करने से चमत्कारिक नतीजे मिलते हैं.


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आरती के बाद जरूर पढ़ें ये मंत्र


कहा जाता है कि कुछ मंत्रों के बगैर पूजा अधूरी मानी जाती है. ऐसे में हम आपको एक ऐसे ही मंत्र की जानकारी दे रहे हैं जिसका उच्चारण लगभग हर पूजा में किया जाना चाहिए. इस मंत्र में भगवान शिवजी की स्तुति की गई हैं. कहा जाता है कि माता पार्वती से विवाह के समय स्वयं भगवान विष्णु ने यह स्तुति गाई थी.


करपूर गौरं करुणावतारम


संसार सारम भुजगेन्द्र हारम |


सदा वसंतम हृदयारविंदे


भवम भवानी सहितं नमामि ||


इस मंत्र का अर्थ और महत्व


भगवान शिव की इस स्तुति में उनके सुंदर और दिव्य मनोहर स्वरुप का वर्णन किया गया है. इस मंत्र का एक साथ अर्थ होता है. जो कर्पूर के समान गौर वर्ण वाले, करुणा के अवतार हैं, संसार के सार हैं जो अपने गले में भुजंगों का हार धारण करते हैं, वे भगवान शिव माता भवानी सहित मेरे ह्रदय में सदैव निवास करें और उन्हें मेरा नमन है. आपको बताते चलें कि मंदिरों में लगभग हर पूजा के दौरान इस मंत्र का उच्चारण किया जाता है. कहा जाता है कि जीवन और मरण देवाधिदेव भगवान शिव के अधीन हैं. ऐसे में पूजा के बाद शिव जी की आराधना करना बेहद आवश्यक है. खासकर आरती के बाद ये मंत्र जरूर पढ़ा जाना चाहिए. 


मंत्र जाप का महत्व


मंत्र जाप करने का केवल धार्मिक ही नहीं बल्कि वैज्ञानिक महत्व भी है. मंत्र जाप से शरीर में एक प्रकार का खास कंपन उत्पन्न होता है, जिससे हमारे शरीर में ऊर्जा का प्रवाह होता है.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)