Dakshinavrati Shankh Puja: हिंदू धर्म में दिवाली बड़े त्योहारों में से एक है. सालभर लोगों को इसका इंतजार रहता है क्योंकि ये महीना मां लक्ष्मी को समर्पित होता है. इस पूरे माह की गई पूजा और उपायों से मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है. कार्तिक माह की अमावस्या तिथि को दिवाली का त्योहार मनाया जाता है. और इसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से होती है. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी के साथ कुबेर देव और धन्वंतरी देव की पूजा का भी विधान है. 


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बता दें कि इस बार दिवाली 24 अक्टूबर और धनतेरस 23 अक्टूबर के दिन मनाई जाएगी. लेकिन धनतेरस से भाई दूज तक दक्षिणावर्ती शंख का ये उपाय आपको मां लक्ष्मी की कृपा दिला सकता है. शास्त्रों के अनुसार शंख मां लक्ष्मी को बेहद प्रिय है. और ऐसे में मां लक्ष्मी के साथ उनकी प्रिय चीजों को पूजना भी शुभ फलदायी होता है. माना जाता है कि दक्षिणावर्ती शंख में मां लक्ष्मी का वास होता है. इसलिए धनतेरस से भाई दूज तक रोजाना इस तरह करें शंख की पूजा. 


शंख पूजन के लिए सामग्री


धनतेरस के दिन से शंख की पूजा करने के लिए पहले से ही पूजन सामग्री एकत्रित कर लें. इससे पूजन के दौरान किसी तरह का विघ्न या भूल नहीं होगी. बता दें कि धनतेरस के दिन दक्षिणावर्ती शंख में थोड़ा केसर, सिंदूर, गंगाजल, लाल रंग के वस्त्र, घी का दीपक और आगरबत्ती का इस्तेमाल करें.


शंख पूजा की सही विधि


धनतेरस के दिन एक चौकी पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं. इस पर मां लक्ष्मी और धन्वंतरी देव की मूर्ति स्थापित करें और साथ में दक्षिणावर्ती शंख रखें. इसके बाद विधिपूर्वक पूजा करें और शंख में गंगाजल में थोड़ा मिलाकर शंख में भर दें. शंख पर केसर से स्वास्तिक बनाएं. कुमकुम या सिंदूर से तिलक लगाएं. साथ ही, फूल चढ़ाएं. आसन पर बैठकर स्फटिक की माला से लक्ष्मी जी के मंत्र का जाप करें. ये आपको भाई दूज तक लगातार करना है. 


मंत्रः ऊं ह्रीं ह्रीं ह्रीं महालक्ष्मी धनदा लक्ष्मी कुबेराय मम गृह स्थिरो ह्रीं ऊं नमः


भैया दूज के बाद भूल चूक की माफी मांगें. इसके बाद शंख में भरें गंगाजल को पूरे घर में छिड़क दें और घर के हर सदस्य पर छिड़कें. बचे जल को तुलसी के पौधे में डालें. इसके बाद शंख को लाल रंग के कपड़ें में लपेटकर रख दें. शंख को ऐसी जगह रखें, ताकि कोई छू न सके. 


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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)