Kaal Sarp Dosh Nivaran: कुंडली में शंखचूड़ कालसर्प दोष वासुकि कालसर्प दोष से ठीक उलटा बनता है. यानी इसमें केतु तृतीय स्थान में होता है, जबकि राहु नवम भाव में होता है और अन्य सभी ग्रह इसके बीच में रहते हैं. इसके दूसरी ओर वासुकि कालसर्प दोष में राहु तृतीय और केतु नवम स्थान पर होता है. इसे शंखनाद कालसर्प योग भी कहा जाता है. जिस भी व्यक्ति की कुंडली में यह दोष होता है, वहां पर इस तरह का योग उसके भाग्य को दूषित करता है. व्यापार में हानि एवं पारिवारिक सदस्यों तथा कार्यस्थल पर अधिकारियों से मनमुटाव कराता है. सरकार की तरफ से भी रुकावटें आती हैं और व्यक्ति के सुख में बहुत कमी आ जाती है. 


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शंखचूड़ दोष विवाह और साझेदारी को भी प्रभावित करता है. ऐसे लोगों के घर परिवार में कष्ट बना ही रहता है. पढ़ाई-लिखाई के क्षेत्र रुकावटों के कारण विद्यार्थी का पढ़ने में मन ही नहीं लगता है. किसी तरह से पढ़कर नौकरी लग गयी तो वहां पर प्रमोशन बहुत ही मुश्किल से मिल पाता है. बिजनेस करने वाले भी कोई विशेष तरक्की नहीं कर पाते हैं. ऐसे लोगों में ओवर कॉन्फिडेंस अधिक रहता है, जो उनके लिए ही नुकसानदेह होता है. पिता से तो कम सुख मिलता ही है, मित्र भी धोखा देने से बाज नहीं आते हैं.


उपाय


- इस दोष से होने वाली परेशानियों से बचने के लिए किसी भी माह के पहले शनिवार से व्रत आरंभ करें और लगातार 86 शनिवार तक व्रत जारी रखें. व्रत के दिन शनि जी की सिंबॉलिक उपासना के साथ हनुमान चालीसा का पाठ करें.


- महामृत्युंजय कवच का नित्य पाठ करना लाभदायक रहता है. सावन के महीने में सोमवार का व्रत रखने वाले शिवजी का रुद्राभिषेक अवश्य कराएं. 


- विवाह के लिए शिवजी का केसर मिले दूध से अभिषेक करना चाहिए. 


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