Shukra Ki Mahadasha: वैदिक ज्योतिष में सभी ग्रहों का अलग-अलग स्थान है. ये ग्रह मानव जीवन में विभिन्न तरह के प्रभाव डालते हैं. आज के लेख में शुक्र ग्रह और उनकी महादशा के बारे में बात करेंगे. शुक्र को लग्‍जरी जीवन, प्रेम-रोमांस, आकर्षण और सौंदर्य, भौतिक सुख-साधन का कारक ग्रह माना जाता है. शुक्र की महादशा किसी भी जातक की कुंडली में 20 साल तक चलती है. ये महादशा अन्य ग्रहों के मुकाबले सबसे अधिक होती है. इस दौरान शुक्र जिस जातक की कुंडली में मजबूत स्थिति में होते हैं, उनको 20 सालों तक खूब मौज कराते हैं.


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नकारात्मक प्रभाव


वहीं, अगर शुक्र किसी जातक की कुंडली में नीच स्थान पर होते हैं तो उसको इन 20 सालों के दौरान काफी कष्ट भोगने पड़ते हैं. पैसों के अभाव में उनका जीवन आर्थिक तंगी से जूझता है. लोगों के लिए आकर्षण का केंद्र नहीं रहते हैं. वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों में परेशानियां उत्पन्न होने लगती हैं.


उपाय 


महादशा के दौरान अगर शुक्र नीच को हो तो रोजाना 'शुं शुक्राय नम:' या 'शुं शुक्राय नम:' मंत्र का 108 बार जाप करना चाहिए. शुक्रवार को व्रत रखकर मां लक्ष्‍मी की विधि-विधान से पूजा करें. इसके बाद कन्‍याओं को खीर का प्रसाद खिलाएं. जरुरतमंद या ब्राहमणों को सफेद सामग्री जैसे दूध, दही, घी, कपूर, सफेद फूल का दान करें. ऐसा करने से जहां नीच शुक्र होने पर भी सकारात्मक फल मिलने लगेंगे. वहीं, कुंडली में शुक्र दोष से भी मुक्ति मिलेगी. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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