Vastu Tips for Home Main Door: वास्तु में द्वार को मजबूत बनाने और उसके आकार और डिजाइन पर बहुत जोर दिया गया है. दरअसल, घर का मुख्य द्वार सभी सुखों को देने वाला होता है, जिस तरह मानव शरीर में मुख का महत्व होता है, उसी तरह एक घर का मुख वहां का मुख्य द्वार होता है. इसका सीधा संबंध घर के मुखिया यानी मालिक से होता है. मकान में मुख्य दरवाजा कहां पर हो,  इसकी निर्धारण कम्पास के माध्यम से किया जाता है. यदि सही मुख्य द्वार सही जगह पर होता है तो स्वास्थ्य, धन, लाभ, यश और कीर्ति में वृद्धि होती है तो आइए जानते हैं मुख्य द्वार कैसा हो और किन बातों का ध्यान रखना चाहिए.


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वैराग्य की ओर ले जाता है ऐसा दरवाजा


प्राचीन समय में राजा और महाराजा के महल में मुख्य द्वार वास्तु सम्मत होता था, तभी तो वह धन, सुख और संपदा के मालिक होते थे और उनकी यश कीर्ति चारों दिशाओं में फैलती थी. ऊपर से गोल दरवाजा या चौखट आध्यात्मिकता और वैराग्य की ओर ले जाता है. 


दरवाजे में न हो अधिक डिजाइन


टेढ़ा मेढ़ा या बहुत अधिक डिजाइनदार दरवाजा भी नहीं होना चाहिए, यह अमंगलकारी होता है. दरवाजे में न तो जोड़ होना ठीक होता है. चौकोर दरवाजा सबसे अच्छा माना जाता है. साउथ वेस्ट में द्वार है तो निश्चित रूप से घर के मालिक को कोई न कोई समस्या आने लगती है.


दरवाजे में न हो इस तरह की आवाज


दरवाजा भवन के अंदर लटक जाए तो बहुत कष्टकारी होता है. दरवाजा खोलते समय चर्र-चर्र की आवाज करना ठीक नहीं होता है. आवाज आने का मतलब है धन का आना रुकना. व्यापार करने वालों का पैसा क्लाइंट के यहां फंस जाता है.


जमीन से न खाए रगड़


दरवाजे का जमीन से रगड़ना भी अच्छा नहीं होता है. दरवाजे का सीधा संबंध राहु से है. राहु निगेटिव एनर्जी का प्रतीक है. हॉरर मूवी में दरवाजा खोलने पर आवाज आती सुनाई देती है, जो निगेटिव एनर्जी का द्योतक है.


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