पंचांग के अनुसार हर महीना किसी न किसी देवता को समर्पित है, जैसे भाद्रपद का महीना भगवान कृष्ण, अश्विन का महीना देवी मां को समर्पित है उसी तरह से सावन का महीना भगवान शिव का महीना है. हर कोई भगवान भोले शंकर की आराधना कर उन्हें प्रसन्न करना चाहता है. भगवान शिव का एक नाम आशुतोष भी है, आशु का अर्थ है जल्दी और तोष यानी संतुष्ट होने वाला. नाम से ही स्पष्ट है कि भगवान शिव सबसे जल्दी प्रसन्न होते हैं. पूरे भाव और श्रद्धा तथा आस्था के साथ सावन के महीने में शिवलिंग पर रोज जल और बेलपत्र का अर्पण करें तो आपके जीवन में कैसी भी बाधा होगी, वह दूर हो जाएगी. भगवान शिव तो पूरी आस्था और विश्वास के साथ एक लोटा जल चढ़ाने से प्रसन्न हो जाते हैं और मनोवांछित फल प्रदान करते हैं. सावन के महीने में भगवान शिव का विशेष महत्व होता है. इसी महीने में उन्होंने  विष पान किया था,  विष की गर्मी को शांत करने के लिए भक्त जल अर्पित करते हैं, शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं. 


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भाग्य को चमकाना है तो इस उपाय को करना होगा


सावन में बारिश की जो बूंदें गिर रही हैं, बस समझ लीजिए आसमान से देवता बादलों के माध्यम से भाग्य की बारिश कर रहे हैं. इसका लाभ लेंगे तो निश्चित रूप से भाग्य चमकेगा. सावन के महीने में चंद्रमा और शुक्र दोनों स्वाभाविक रूप से मजबूत होते हैं इसलिए वह सरलता के साथ सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं. इन दोनों को मजबूत कर आसानी से भाग्य को मजबूत किया जा सकता है किंतु इस प्रयास के साथ ही भगवान शिव को अवश्य प्रसन्न करना होगा. धन और ऐश्वर्य के लिए चंद्र और शुक्र की पूजा तो करें ही, इनकी शक्ति के स्रोत शिव जी हैं इसलिए उनकी पूजा भी करें. इसके लिए अधिक कुछ नहीं करना है बल्कि रोज शिवलिंग पर पहले सुगंध, फिर बेलपत्र और फिर जल अर्पित करने के साथ ही प्रार्थना करें. यदि अपने लिए धन व ऐश्वर्य मांग रहे हैं तो  नमः शिवाय यदि किसी अन्य के लिए कामना है तो ओम नमः शिवाय का जाप करें. इसके साथ ही शिव पुराण का पाठ या अध्ययन करें. सावन का महीना श्रवण नक्षत्र से बना है, श्रवण यानी सुनना तो शिवपुराण का पाठ सुन भी सकते हैं.


 


जलतत्व से आती है मन में प्रसन्नता


 


सावन का महीना जल तत्व का महीना है. आपके शरीर में जो जल तत्व है, वह दरअसल हैप्पीनेस का एलिमेंट है. कुंडली में चंद्रमा और शुक्र जल तत्व के मालिक होते हैं और जब यह कमजोर होते हैं तो सब कुछ होने के बाद भी आप प्रसन्न नहीं होते हैं. आपको आनंद नहीं आता है, हैप्पीनेस नहीं फील होता है. सावन के महीने से ही आनंद के पर्व शुरु हो जाते हैं हरियाली तीज, नागपंचमी, सावन में झूले आदि सब खुशी के प्रतीक है, प्रकृति भी आनंद मनाती है. इन सबसे मन उन्माद, प्रेम और वासना की तरफ भागता है जिसे रोकने के लिए शिव जी की पूजा की जाती है,  शिवजी मन के कंट्रोलर माने जाते हैं. वह मन को नियंत्रण में रखते हैं.


 



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