Traffic Rule for Bikes: आजकल रॉयल एनफील्ड जैसी बाइक्स खरीदने के बाद ग्राहक पटाखों जैसी तेज आवाज करने वाले मॉडिफाइड साइलेंसर लगा लेते हैं. लेकिन ट्रैफिक नियमों के तहत इनपर भारी चालान का प्रावधान है. यह ट्रैफिक रूल सड़कों पर शांति बनाए रखने और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए लागू किया गया है. अगर किसी वाहन में ऐसा साइलेंसर लगा पाया गया जो तेज आवाज करता है, तो मोटर वाहन अधिनियम के अनुसार उसके मालिक पर कड़ी कार्रवाई की जा सकती है. 


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नियम और चालान:


1.मोटर वाहन अधिनियम 1988 के तहत ऐसे मॉडिफिकेशन गैरकानूनी हैं जो वाहन की आवाज को बढ़ाते हैं.


2.ऐसे मॉडिफाइड साइलेंसर से ध्वनि प्रदूषण होता है, जो सार्वजनिक स्थलों और रिहायशी इलाकों में शांति भंग करता है.


3.पटाखे जैसे तेज आवाज वाले साइलेंसर लगाने पर चालान ₹5,000 या इससे अधिक का भी हो सकता है.


4.यदि वाहन चालकों को बार-बार नियमों का उल्लंघन करते हुए पकड़ा जाता है, तो उनका ड्राइविंग लाइसेंस निलंबित भी किया जा सकता है और वाहन को जब्त किया जा सकता है.


ट्रैफिक पुलिस की सख्ती


देश के कई शहरों में पुलिस अब सड़कों पर ऐसे वाहनों की नियमित चेकिंग करती है. कई जगहों पर ध्वनि प्रदूषण मापक यंत्र (साउंड लेवल मीटर) का उपयोग करके इस तरह के वाहनों की आवाज को मापा जाता है.


इस नियम का उद्देश्य है कि सड़क पर शांति और सुरक्षित यातायात व्यवस्था बनाए रखी जा सके.


इंजन खराब करता है पटाखा साइलेंसर ? 


पटाखा साइलेंसर (मॉडिफाइड साइलेंसर) का उपयोग वाहन के इंजन पर ख़राब  प्रभाव डाल सकता है. इन साइलेंसरों को अक्सर अधिक आवाज पैदा करने के लिए मॉडिफाई किया जाता है, लेकिन इससे इंजन और अन्य मैकेनिकल पार्ट्स में कई तरह के प्रभाव हो सकते हैं:


इंजन पर दबाव बढ़ता है: पटाखा साइलेंसर एग्जॉस्ट सिस्टम में बैक प्रेशर (विपरीत दबाव) को बदल देता है. यह दबाव इंजन को सही तरीके से काम करने से रोक सकता है, जिससे इंजन की कार्यक्षमता और शक्ति पर असर पड़ता है.


इंजन का ओवरहीटिंग: बैक प्रेशर में बदलाव के कारण इंजन पर अधिक जोर पड़ता है, जिससे इंजन जल्दी गर्म हो सकता है. इस ओवरहीटिंग से इंजन के महत्वपूर्ण हिस्सों, जैसे सिलेंडर हेड, पिस्टन, और गास्केट को नुकसान हो सकता है.


माइलेज कम होना: पटाखा साइलेंसर से इंजन के बर्निंग प्रोसेस में बदलाव आता है, जिससे फ्यूल की खपत बढ़ जाती है. इसका सीधा असर माइलेज पर पड़ता है, और गाड़ी की फ्यूल एफिशिएंसी कम हो जाती है.


इंजन की उम्र पर असर: लगातार अधिक दबाव और खराब फ्यूल बर्निंग की वजह से इंजन के पार्ट्स पर असर पड़ता है और उसकी लाइफ कम हो जाती है. इंजन में जल्दी खराबी आना, सर्विसिंग की लागत बढ़ना जैसी समस्याएं सामने आ सकती हैं.