Which Car Variant to Buy: जब भी हम कोई कार खरीदने शोरूम पर जाते हैं तो वहां हमें ढेर सारे वेरिएंट देखने को मिलते हैं. ऐसे में अधिकतर ग्राहक कंफ्यूज हो जाते हैं कि उन्हें कौन सा वेरिएंट खरीदना चाहिए. सबसे बड़ा कन्फ्यूजन कार के बेस वेरिएंट और टॉप वेरिएंट (Base vs Top Model) में रहता है. जहां कुछ लोगों का मानना है कि बेस वेरिएंट खरीदना फायदेमंद होता है, तो कुछ टॉप वेरिएंट खरीदना ही समझदारी वाला फैसला मानते हैं. आज हम आपको कुछ पॉइंट्स के जरिए यह कंफ्यूजन दूर करने की कोशिश करेंगे कि कौन सा वेरिएंट खरीदने में आपको ज्यादा फायदा होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

1. कीमत
अगर आपकी प्रमुखता यह है कि आप को सस्ते में अपनी पसंदीदा गाड़ी खरीदनी है, तो बेस मॉडल सबसे बेहतर रहता है. यह किसी भी कार का सबसे सस्ता और निचला वेरिएंट होता है. उदाहरण के लिए मारुति ब्रेजा की बेस मॉडल की कीमत 8.29 लाख रुपए है, वहीं टॉप मॉडल आपको 14 लाख रुपए से ज्यादा का मिलेगा.


2. इंजन और ट्रांसमिशन
अगर किसी कार में सिर्फ एक ही इंजन का विकल्प है तब बेस वेरिएंट से लेकर टॉप वेरिएंट तक समान इंजन मिलेगा. हालांकि कई गाड़ियों में दो या तीन इंजन ऑप्शन भी मिलते हैं. ऐसे में वेस मॉडल में आपको सबसे कम पावरफुल इंजन दिया जाता है. इसके अलावा आमतौर पर बेस मॉडल मैन्युअल गियरबॉक्स के साथ आता है, जबकि टॉप मॉडल में मैनुअल के साथ ऑटोमेटिक गियरबॉक्स की सुविधा भी उपलब्ध रहती है.


3. सेफ्टी फीचर्स
भारत में कुछ सेफ्टी फीचर्स को अनिवार्य कर दिया गया है जो गाड़ी के हर वेरिएंट में कंपनी को देने ही पड़ते हैं. इन सेफ्टी फीचर्स में फ्रंट एयरबैग, एबीएस और रियर पार्किंग सेंसर शामिल हैं. हालांकि अगर आपको ज्यादा बेहतर सेफ्टी फीचर्स चाहिए तो टॉप वेरिएंट ज्यादा बेहतर रहता है. कई कंपनियां गाड़ियों के टॉप वेरिएंट में रियर कैमरा से लेकर 6 एयरबैग्स, टायर प्रेशर मॉनिटरिंग सिस्टम, इलेक्ट्रॉनिक स्टेबिलिटी प्रोग्राम, और 360 डिग्री कैमरा तक देती हैं. 


4. रीसेल वैल्यू
किसी भी कार की रीसेल वैल्यू भी एक महत्वपूर्ण पहलू होता है. जब आप कार बेचने जाते हैं तब इस बात से बेहद है कम फर्क पड़ता है कि वह बेस वेरिएंट है या फिर टॉप. ऐसे में आपने जो एक्स्ट्रा पैसे खर्च करके टॉप वेरिएंट खरीदा है वह एक प्रकार से बर्बाद हो जाता है.