CNG Cylinders Hydro Testing Rules: पेट्रोल के बढ़ते दाम के कारण बहुत से लोग सीएनजी की कारों पर शिफ्ट होने का विचार बना रहे हैं और बहुत बड़ी संख्या में लोग पहले से भी सीएनजी कारों का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन, जब आप सीएनजी कारों का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो आपको कुछ नियमों की जानकारी होनी जरूरी है. इन नियमों में सीएनजी सिलेंडर के हाइड्रा टेस्ट से जुड़े नियम भी शामिल हैं.


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मोटर वाहन अधिनियम 1988 की धारा 52 के अनुसार, प्रत्येक सीएनजी से चलने वाले वाहन की आरसी पर सीएनजी फ्यूल मोड का उल्लेख जरूरी है. वहीं, भारतीय मानक 8451: 2009 के अनुसार, यह अनिवार्य है कि सीएनजी पर वाहन चलाने वाले सभी वाहन मालिकों को हर तीन साल में अपने सीएनजी सिलेंडर का हाइड्रो टेस्ट करवाना चाहिए. हर तीन साल पर सीएनजी सिलेंडर का हाइड्रो टेस्ट कराना जरूरी होता है.


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सभी सीएनजी से चलने वाले वाहनों में वाहन पर उपयुक्त स्थान पर अनुपालन प्लेट लगी होनी चाहिए और गैस सिलेंडर नियम 2004 के अनुसार वैध हाइड्रो टेस्ट सर्टिफिकेट होना चाहिए. यह तीन साल पर सीएनजी सिलेंडरों का हाइड्रो परीक्षण कराने के बाद मिलता है. प्रत्येक सीएनजी सिलेंडर और अनुपालन प्लेट पर आखिरी सिलेंडर परीक्षण की तारीख लिखी होनी चाहिए.


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क्यों जरूरी है सीएनजी सिलेंडर का हाइड्रो टेस्ट?


दरअसल, हाइड्रो टेस्टिंग से यह सुनिश्चित हो पाता है कि वह सीएनजी सिलेंडर इस्तेमाल करने के लायक है या नहीं. अगर, सिलेंडर हाइड्रो टेस्ट पास नहीं कर पाता है तो वह इस्तेमाल करने के लायक नहीं है. ऐसे सीएनजी सिलेंडर को इस्तेमाल नहीं करना चाहिए क्योंकि उसके फटने का खतरा रहता है, जो कार में बैठे लोगों की जान के लिए जोखिम हो सकता है.


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