Car Mirrors Adjustment: किसी भी कार में आम तौर पर पीछे देखने के लिए तीन मिरर- एक IRVM (इनसाइड रियर व्यू मिरर) और दो ORVMs (आउटसाइड रियर व्यू मिरर) होते हैं. ORVMs कार के बाएं और दाएं, दोनों तरफ होते हैं. कई कारों में इन्हें मैनुअली एडजस्ट किया जाता है और कई कारों में यह इलेक्ट्रिक एडजस्टमेंट के साथ आते हैं. लेकिन, क्या आप जानते हैं कि कार के रियर व्यू मिरर्स को कैसे एडजस्ट करना चाहिए? अगर हां तो अच्छी बात है लेकिन बहुत से लोगों को इसका सही तरीका नहीं पता होता है. वह कैसे भी और किसी भी तरीके से मिरर्स को एडजस्ट करते हैं, जो खतरनाक हो सकता है. 


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रियर व्यू मिरर का एडजस्टमेंट सही तरीके से होना चाहिए. इनके गलत तरीके से एडजस्टमेंट से ब्लाइंड स्पोट का दायरा बढ़ जाता है, जिससे हादसा होने का खतरा भी बढ़ जाता है. वहीं, रियर व्यू मिरर का सही तरीके से एडजस्टमेंट करके ब्लाइंड स्पोट के दायरे को कम किया जा सकता है. कहा जाता है कि अच्छी रियर विजिबिलिटी के लिए ओआरवीएम को ऐसे एडजस्ट करना चाहिए, जिससे उसमें पीछे की सड़क कम से कम दो-तिहाई दिखाई दे और बाकि के शीशे में (अंदर की ओर) थोड़ा सा कार का कोना दिखे. ऐसा दोनों ORVM के लिए करना है.


इसके बाद, IRVM को ऐसे एडजस्ट करें, जिससे पीछे की विंडस्क्रीन का ज्यादा से ज्यादा व्यू उसमें नजर आ सके. सही तरीके से एडजस्ट करने पर इसमें पूरी रियर विंडस्क्रीन दिख सकती है. ऐसा करने पर IRVM में पीछे का वो व्यू दिखेगा, जो शायद ORVM में न दिखे और ORVM में वो व्यू दिखेगा, जो IRVM में शायद न दिखे. इसके अलावा, ब्लाइंड स्पोट का दायरा काफी कम रह जाएगा.


यहां आपको बता दें कि मिरर एडजस्ट करने से पहले अपनी ड्राइविंग सीट को सही पोजिशन में एडजस्ट कर लें. इसके बाद मिरर को एडजस्ट करें. मिरर एडजस्टमेंट करने पर ब्लाइंड स्पोट मिट जाए तो बहुत ही अच्छा होगा.


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