Vehicle scrapping policy: भारत साल 2022 में जापान को पीछे छोड़कर दुनिया का तीसरा बड़ा वाहन बाजार बन गया है. ऐसे में भारत सरकार इस इंडस्ट्री में रोजगार बढ़ाने और नई तकनीकों पर काम करने पर फोकस कर रही है. इस बीच केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने एक ऐसा फॉर्मूला बताया है जिससे कारों की कीमत काफी हद तक कम हो जाएगी. गडकरी ने दावा किया कि मेटल रीसाइक्लिंग (Metal Recycling) से ऑटो कंपोनेंट्स की लागत में 30 फीसदी की बड़ी गिरावट आ सकती है. मेटल रीसाइक्लिंग का यहां तात्पर्य स्क्रैप पॉलिसी से है, जिसमें पुरानी कारों को कबाड़ बना दिया जाता है. 


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गडकरी ने मेटल रीसाइक्लिंग पर आयोजित एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार ने ऑटो इंडस्ट्री के साइज को दोगुना कर 15 लाख करोड़ रुपये पर पहुंचाने और 5 करोड़ नए रोजगार पैदा करने का लक्ष्य रखा है. हालांकि, उन्होंने इस लक्ष्य को हासिल करने की समयसीमा के बारे में नहीं बताया. गडकरी ने कहा कि देश इस समय तांबा, एल्युमीनियम और इस्पात की किल्लत का सामना कर रहा है लेकिन विदेशी कंपनियों के साथ मिलकर धातुओं के पुनर्चक्रण (Metal Recycling) से इस समस्या को दूर किया जा सकता है.


इस स्कीम से मिलेगा फायदा
उन्होंने कहा, ‘‘हमें तैयार वाहन उत्पादों की लागत घटाने के लिए धातुओं के पुनर्चक्रण को प्रोत्साहन देने की जरूरत है. ऐसा होने पर हम अधिक निर्यात कर पाएंगे. यही कारण है कि सरकार पुराने वाहनों को कबाड़ में बदलने की नीति को बढ़ावा दे रही है. ज्यादा कबाड़ होने से ऑटो कंपोनेंट्स की लागत 30 प्रतिशत तक बच सकती है.’’


उन्होंने वाहन विनिर्माताओं से महाराष्ट्र के वर्धा, सांगली और कोल्हापुर में प्रस्तावित शुष्क बंदरगाहों में बड़े कबाड़ संयंत्र लगाने का न्योता देते हुए कहा कि उन्हें वहां पर कई रियायतें भी मिलेंगी. गडकरी ने कहा कि सरकार कबाड़ के अधिक आयात को प्रोत्साहित करने के लिए सब कुछ करेगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि अगले वित्त वर्ष में करीब नौ लाख पुराने सरकारी वाहनों को कबाड़ बना दिया जाएगा.


(भाषा इनपुट के साथ)


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