Car Insurance: कार का Zero Dep इंश्योरेंस लेने वाले ध्यान दें, इस गलती की वजह से आपको चुकाने पड़ेंगे पैसे
Zero Depreciation insurance: इस इंश्योरेंस के बारे में ग्राहकों को बहुत सारी गलतफहमियां भी हैं. जीरो डेप इंश्योरेंस लेने का यह मतलब कतई नहीं है कि आपसे किसी भी दुर्घटना के बाद कोई फीस नहीं ली जाएगी. इस इंश्योरेंस में कई नियम व शर्ते हैं...
What is Zero Depreciation Insurance: भारत में नई कार और बाइक खरीदने वाले ग्राहक जीरो डेप इंश्योरेंस (Zero Depreciation insurance) का चुनना ज्यादा पसंद करते हैं. इस इंश्योरेंस की खास बात है कि इसमें कार की वैल्यू नई जितनी ही रहती है, जिसके चलते डैमेज पार्ट्स के लिए ग्राहक को अतिरिक्त नहीं चुकाना पड़ता. यानी अगर आपकी गाड़ी को किसी हादसे में नुकसान पहुंचता है, तो इंश्योरेंस कंपनी दावे की सारी रकम का भुगतान करती है
हालांकि इस इंश्योरेंस के बारे में ग्राहकों को बहुत सारी गलतफहमियां भी हैं. जीरो डेप इंश्योरेंस लेने का यह मतलब कतई नहीं है कि आपसे किसी भी दुर्घटना के बाद कोई फीस नहीं ली जाएगी. इस इंश्योरेंस में कई नियम व शर्ते हैं, जिसके चलते आपको वाहन रिपेयर कराने के बदले पैसे देने पड़ सकते हैं. यानी हर तरह की दुर्घटना इस इंश्योरेंस में कवर नहीं की जाती है.
इन परिस्थितियों में देना होगा आपको पैसा
1. अगर गाड़ी का कोई ऐसा हिस्सा दुर्घटना ग्रस्त हुआ हो, जिसमें एल्युमीनियम पार्ट हो. उदाहरण के लिए कार का रेडिएटर वाला हिस्सा. ऐसी स्थिति में आपको उस पार्ट की 5% रकम चुकानी होगी.
2. यदि वाहन में मकैनिकल ब्रेकडाउन, ऑइल लीकेज या पानी घुसने के चलते कोई नुकसान हुआ हो. तब यह जीरो डेप में कवर नहीं होगा.
3. यदि गाड़ी के बिना इंश्योरेंस वाले पार्ट्स जैसे- गैस किट आदि के चलते डैमेज हुआ हो.
4. जीरो डेप इंश्योरेंस सिर्फ नई गाड़ियों के लिए लिया जा सकता है. इसकी लिमिट तीन साल है. यानी आप चौथे साल में जीरो डेप इंश्योरेंस नहीं ले पाएंगे.
5. यह भी ध्यान रखें कि आप एक साल में कितने क्लेम हासिल कर सकते हैं.
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