Why Car Steering Wheel Not in Center: भारत में कारों का स्टीयरिंग व्हील दाईं तरफ होता है. जबकि विदेशों में कार का स्टीयरिंग व्हील बाईं तरफ होता है. लेकिन स्टीयरिंग व्हील बीचों-बीच क्यों नहीं होता? वास्तव में, स्टीयरिंग व्हील के डिजाइन को बनाते समय "McLaren F1" सुपर कार के डिज़ाइनरों को भी यह प्रश्न आया था. फिर उन्होंने इसी डिजाइन के साथ एक सुपर कार डिजाइन कर दी. उनकी गाड़ी में ड्राइवर सीट बीच में थी और जबकि दोनों तरफ एक-एक सीट दी गई थी. 


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इसका मतलब यह था कि दो लोग एक साथ बैठ सकते थे. इसमें स्टीयरिंग व्हील दाईं या बाईं तरफ नहीं था, जैसा कि आमतौर पर होता है. ऐतिहासिक रूप से, कुछ पुरानी कारों में स्टीयरिंग व्हील बीच में होता था. बाद में, कुछ डिजाइनरों ने इसे गाड़ी के एक तरफ रखा, जिससे ड्राइवर को विपरीत दिशा में लंबी दूरी तक देखने की सुविधा मिल सकती थी. स्टीयरिंग के एक तरफ रखने से कंट्रोल ज़्यादा अच्छा होता था.



आखिर में लगभग सभी पैसेंजर कारों में स्टीयरिंग व्हील एक ही तरफ आने लगा है. जहां बाईं तरफ चलना होता है, वहां सीधे हाथ पर स्टीयरिंग होती है और जहाँ दाईं तरफ चलना होता है, वहां उल्टे हाथ की तरफ स्टीयरिंग होती है.


स्टीयरिंग व्हील एक तरफ रखने के कुछ अन्य फायदे भी होते हैं, जैसे:


1. ड्राइवर को दूर तक और सड़क के सेंटर में अच्छी विजिबिलिटी मिलती है.


2. रियर व्यू मिरर से भी पीछे से आने वाली गाड़ियों को आसानी से देखा जा सकता है.


3. कार के केबिन का डिजाइन सिमेट्रिकल हो जाता है, जिससे डिजाइन बेहतर होता है.


4. केबिन में अधिक स्थान लगता है. स्टीयरिंग कॉलम एक तरफ होने से, डैशबोर्ड के नीचे और इंजन कम्पार्टमेंट में अन्य चीजों को अच्छी तरह संयोजित किया जा सकता है.