Last Sawan 2023: सावन का महीना अंतिम दौर में है. भक्त भगवान भोलेनाथ की आराधना में लीन हैं. कोई द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन कर अपने को धन्य मान रहा है. कोई अपने घर पर या घर के पास के मंदिर में रुद्र का पूजन करने मग्न है. एक बड़ा सवाल है कि क्या शिवजी की पूजा केवल सावन माह में करनी चाहिए या नित्य ही उनकी आराधना करनी है. 


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महादेव की आराधना से आत्मशुद्धि


शिव तत्व तो शाश्वत हैं, अविनाशी है, वह काल से परे हैं, उनकी महिमा अनंत है. वास्तव में सावन की महीना तो आंतरिक चिंतन और शुद्धि के लिए होता है, जिसमें व्यक्ति अपने भीतर के शिव-तत्व को सात्विकता के साथ जागृत करता है. भक्ति और भक्त का तो अटूट संबंध होता है. महादेव इसके देव हैं. शिव के समस्त गण देव, दानव, मानव, किन्नर, भूत, प्रेत आदि जो भी जीव एवं निर्जीव हैं सब शिव तत्व में ही समाहित हैं. सावन का महीना तो अपने अंदर भक्ति जगाने के लिए होता है. अब एक बार भक्ति जाग गई तो क्या उसे अगले साल तक के लिए रोक देंगे, नहीं ऐसा नहीं है. 


महादेव की आराधना तो सावन के बाद भी करनी है और जब तक इस शरीर में उनके द्वारा दी हुई प्राणवायु है तब तक करनी है. श्री राम चरित मानस में स्वयं प्रभु श्री राम ने कहा है कि जो भक्त उनके निकट आना चाहता है, वह पहले शिवजी की उपासना करे, वह तो शिवभक्त से ही प्रसन्न होते हैं. उन्होंने कहा “संकर भजन बिना नर, भगति न पावई मोरि” अर्थात बिना शिव जी का भजन किए कोई भी भी मेरी भक्ति नहीं पा सकता है.   


नियम 


शिव उपासना में नियम का महत्व हैं. नियम को अपना कर शि जी को प्रसन्न किया जा सकता है, क्योंकि ग्रहों में सूर्य ही शिव है. सूर्य सदैव समयबद्ध होते हैं और किसी के साथ पक्षपात नहीं करते. नित्य शिव के जलाभिषेक से उत्तम कुछ भी नहीं है. रोज नहीं तो सोमवार का नियम पकड़ लें. यह भी नहीं कर सकते तो प्रदोष का नियम बना लें, जो महीने में सिर्फ दो बार होता है.