51 Shakatipeeth Story: जहां गिरे माता सती के अंग, हर जगह मिलें देवी को अलग-अलग नाम; जानिए 51 शक्तिपीठ की रोचक कहानी
Chaitra Navratri 2023 : माता सती अपमान से क्रोधित होकर उसी यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी. जब भगवान शिव को इस बात की जानकारी मिली तो वो क्रोधित हो उठे और उनका तीसरा नेत्र खुल गया और तांडव करने लगे.
Navratri 2023: हिंदू धर्म में शक्तिपीठों का विशेष महत्व है. हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार माता सती के अंग जहां जहां गिरे वहां शक्तिपीठ की उत्पत्ति हुई. 51 शक्तिपीठों में 42 शक्तिपीठ भारत में, 4 बांग्लादेश में, 2 नेपाल में और 1-1 शक्तिपीठ श्रीलंका, पाकिस्तान और तिब्बत में हैं. माता सती से उत्पन्न हुई 51 शक्तिपीठों की अनोखी और रोचक कहानियां है. आइए जानते हैं कि शक्तिपीठ की पौराणिक कथा और भगवान शिव और माता सती से संबंधित है.
भगवान विष्णु के सुदर्शनचक्र से हुई शक्तिपीठ की स्थापना
पौराणिक कथा के अनुसार, माता सती के पिता दक्ष प्रजापति ने कनखल नाम का स्थान जिसे हरिद्वार के नाम से जाना जाता है वहां राजा दक्ष ने एक महायज्ञ कराया. जिसमें ब्रह्मा, विष्णु, इंद्र समेत सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया लेकिन भगवान शिव को आमंत्रित नहीं किया गया. माता सती को जब इसकी जानकारी मिली तो वह इस बात का जवाब मांगने अपने पिता के पास पहुंची. माता सती के सवाल पर उन्होंने भगवान शिव को अपशब्द कहे और उनका अनादर भी किया, माता सती अपमान से क्रोधित होकर उसी यज्ञ में अपने प्राणों की आहुति दे दी. जब भगवान शिव को इस बात की जानकारी मिली तो वो क्रोधित हो उठे और उनका तीसरा नेत्र खुल गया और तांडव करने लगे.
फिर, भगवान शिव ने माता सती को उठकर कैलाश की ओर रुख किया. इस दौरान भगवान शिव अपने सभी कामों को भूल रहे थे और पृथ्वी में बढ़ते प्रलय को देखते हुए भगवान विष्णु को चिंता हुई और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से माता सती के खंड-खंड किए और उनके शरीर के हिस्से अलग- अलग स्थान पर गिरे. इस तरह से 51 शक्तिपीठ की स्थापना हुई.
कौन सा अंग किस शक्तिपीठ के नाम से प्रसिद्ध है...
1. हिंगलाज शक्तिपीठ
हिंदू पुराणों के अनुसार कराची से 125 किमी उत्तर-पूर्व में हिंगलाज शक्तिपीठ स्थित है. मान्यता है कि यहां माता सती का सिर गिरा था इसकी शक्ति-कोटरी (भैरवी कोट्टवीशा) है.
2. शर्कररे (करवीर)
पाकिस्तान के ही कराची में सुक्कर स्टेशन के पास शर्कररे शक्तिपीट स्थित है. यहां माता सती की आंख गिरी थी और उसी के नाम पर इस शक्तिपीठ की स्थापना की गई थी.
3. सुगंधा-सुनंदा
बांग्लादेश के शिकारपुर में बरिसल से करीब 20 किमी दूर सोंध नदी है और इसी नदी के पास मां सुगंधा शक्तिपीठ स्थापित है. मान्यता है कि यहां मां की नासिका गिरी थी.
4. कश्मीर- महामाया
भारत के कश्मीर के पास पहलगांव में माता सती का गला गिरा और उन्हें महामाया के रूप में स्थापित किया गया.
5. ज्वालामुखी-सिद्धिदा
भारत में हिमांचल प्रदेश के कांगड़ा में माता की जीभ गिरी थी. जो ज्वालाजी स्थान के नाम से प्रसिद्ध हैं.
6. जालंधर-त्रिपुरमालिनी
पंजाब के जालंधर में छावनी स्टेशन के पास देवी तालाब स्थित है. यहां माता का बायां वक्ष गिरा था.
7. वैद्यनाथ- जयदुर्गा
झारखंड के देवघर में माता सती का हृदय गिरा था, जो कि वैद्यनाथधाम धाम नाम से प्रसिद्ध है.
8. नेपाल- महामाया
नेपाल में पशुपतिनाथ मंदिर के पास गुजरेश्वरी मंदिर स्थित है. जहां माता सती के दोनों घुटने गिरे थे.
9. मानस-दाक्षायणी
तिब्बत में कैलाश मानसरोवर के मानसा के पास एक पाषाण शिला पर माता का दायां हाथ गिरा था.
10. विरजा- विरजाक्षेतर
भारत के उड़ीसा में विराज में उत्कल स्थित जगह पर माता सती की नाभि गिरी थी.
11. गंडकी- गंडकी
नेपाल में गंडकी नदी के तट पर पोखरा नामक स्थान पर स्थित मुक्तिनाथ मंदिर है. यहां माता सती का मस्तक या गंडस्थल यानी कनपटी गिरी थी.
12. बहुला-बहुला (चंडिका)
भारत के पश्चिम बंगाल में वर्धमान जिला से 8 किमी दूर कटुआ केतुग्राम के पास अजेय नदी तट पर स्थित बाहुल स्थान पर माता का बायां हाथ गिरा था.
13. उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका
भारत में पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले से 16 किमी गुस्कुर स्टेशन से उज्जयिनी नामक स्थान है जहां पर माता की दाईं कलाई गिरी थी.
14. त्रिपुरा- त्रिपुर सुंदरी
भारतीय राज्य त्रिपुरा के उदयपुर के पास राधाकिशोरपुर ग्राम के माताबाढ़ी पर्वत शिखर पर माता का दायां पैर गिरा था.
15. चट्टल- भवानी
बांग्लादेश में चिट्टागौंग (चटगाँव) जिले के सीताकुंड स्टेशन के पास चंद्रनाथ पर्वत शिखर पर छत्राल (चट्टल या चहल) में माता की दायीं भुजा गिरी थी.
16. त्रिसोता- भ्रामरी
भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल के जलपाइगुड़ी के बोडा मंडल के सालबाढ़ी ग्राम स्थित त्रिस्रोत स्थान पर माता का बायां पैर गिरा था और वो भ्रामरी देरी कहलाईं.
17. कामगिरि - कामाख्या
भारतीय राज्य असम के गुवाहाटी जिले के कामगिरि क्षेत्र में स्थित नीलांचल पर्वत के कामाख्या स्थान पर माता का योनि भाग गिरा था. माता सती को देवी कामाख्या के रूप में जाना गया है.
18. प्रयाग - ललिता
भारतीय राज्य उत्तरप्रदेश के इलाहबाद शहर (प्रयाग) के संगम तट पर माता की हाथ की अंगुली गिरी थी.
19. युगाद्या- भूतधात्री
पश्चिम बंगाल के वर्धमान जिले के खीरग्राम स्थित जुगाड्या (युगाद्या) स्थान पर माता के दाएं पैर का अंगूठा गिरा था और उनका नाम देवी जुगाड्या पड़ा.
20. जयंती- जयंती
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के जयंतीया परगना के भोरभोग गांव कालाजोर के खासी पर्वत पर जयंती मंदिर है. यहां माता की बायीं जंघा गिरी थी. यहां उन्हें वहां देवी जयंती के नाम से जाना गया.
21. कालीपीठ - कालिका
कोलकाता के कालीघाट में माता के बाएं पैर का अंगूठा गिरा था . उस जगह को कालीपीठ और माता को मां कालिका के नाम से जाना गया.
22. किरीट - विमला (भुवनेशी)
पश्चिम बंगाल के मुर्शीदाबाद जिले के लालबाग कोर्ट रोड स्टेशन के किरीटकोण ग्राम के पास माता का मुकुट गिरा था. यहां उन्हें माता विमला के नाम से जाना गया.
23. वाराणसी - विशालाक्षी
उत्तरप्रदेश के काशी में मणिकर्णिक घाट पर माता के कान के मणि जड़ीत कुंडल गिरे थे.
24. कन्याश्रम - सर्वाणी
कन्याश्रम में माता का पृष्ठ भाग गिरा था.
25. कुरुक्षेत्र - सावित्री
हरियाणा के कुरुक्षेत्र में माता की एड़ी (गुल्फ) गिरी थी और वो माता सावित्री कहलाईं.
26. मणिदेविक - गायत्री
अजमेर के पास पुष्कर के मणिबन्ध स्थान के गायत्री पर्वत पर दो मणिबंध गिरे थे.
27. श्रीशैल - महालक्ष्मी
बांग्लादेश के सिल्हैट जिले के उत्तर-पूर्व में जैनपुर गांव के पास शैल नामक स्थान पर माता का गला (ग्रीवा) गिरा था.
28. कांची- देवगर्भा
पश्चिम बंगाल के बीरभुम जिले के बोलारपुर स्टेशन के उत्तर पूर्व स्थित कोपई नदी तट पर कांची नामक स्थान पर माता की अस्थि गिरी थी. उसे देवगर्भ के रूप में स्थापित किया गया.
29. कालमाधव - देवी काली
मध्यप्रदेश के अमरकंटक के कालमाधव स्थित सोन नदी तट के पास माता का बायां नितंब गिरा था, जहां एक गुफा है.
30. शोणदेश - नर्मदा (शोणाक्षी)
मध्य प्रदेश के अमरकंटक में कमलाधव जगह के पास सोन नदी के किनारे माता सती का बायां नितंब गिरा.
31. रामगिरि - शिवानी
उत्तरप्रदेश के झांसी-मणिकपुर रेलवे स्टेशन चित्रकूट के पास रामगिरि स्थान पर माता का दायां वक्ष गिरा था.
32. वृंदावन - उमा
उत्तरप्रदेश में मथुरा के पास वृंदावन के भूतेश्वर स्थान पर माता के गुच्छ और चूड़ामणि गिरे थे.
33. शुचि- नारायणी
तमिलनाडु के कन्याकुमारी-तिरुवनंतपुरम मार्ग पर शुचितीर्थम शिव मंदिर है। यहां पर माता के ऊपरी दंत (ऊर्ध्वदंत) गिरे थे.
34. पंचसागर - वाराही
पंचसागर में माता की निचले दंत गिरे थे.
35. करतोयातट - अपर्णा
बांग्लादेश के शेरपुर बागुरा स्टेशन से 28 किमी दूर भवानीपुर गांव के पार करतोया तट स्थान पर माता की पायल (तल्प) गिरी थी.
36. श्रीपर्वत - श्रीसुंदरी
कश्मीर के लद्दाख क्षेत्र के पर्वत पर माता के दाएं पैर की पायल गिरी थी. दूसरी मान्यता अनुसार आंध्रप्रदेश के कुर्नूल जिले के श्रीशैलम स्थान पर दक्षिण गुल्फ अर्थात दाएं पैर की एड़ी गिरी थी.
37. विभाष - कपालिनी
पश्चिम बंगाल के जिला पूर्वी मेदिनीपुर के पास तामलुक स्थित विभाष स्थान पर माता की बाईं एड़ी गिरी थी. यहां पर देवी कपालिनी के नाम से मंदिर बना.
38. प्रभास - चंद्रभागा
गुजरात के जूनागढ़ जिले में स्थित सोमनाथ मंदिर के पास वेरावल स्टेशन से 4 किमी प्रभास क्षेत्र में माता का उदर (पेट) गिरा था. यहां वो चंद्रभागा के नाम से जानी गईं.
39. भैरवपर्वत - अवंती
मध्यप्रदेश के उज्जैन नगर में शिप्रा नदी के तट के पास भैरव पर्वत पर माता के होंठ गिरे थे. यहां पर उन्हें माता अवंति के नाम से जाना गया.ॉ
40. जनस्थान - भ्रामरी
महाराष्ट्र के नासिक नगर स्थित गोदावरी नदी घाटी स्थित जनस्थान पर माता की ठोड़ी गिरी थी.
41. सर्वशैल स्थान
आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे. उन्हें विश्वेश्वरी देवी कहा गया.
42. गोदावरीतीर
आंध्रप्रदेश के राजामुंद्री क्षेत्र स्थित गोदावरी नदी के तट पर कोटिलिंगेश्वर मंदिर के पास सर्वशैल स्थान पर माता के वाम गंड (गाल) गिरे थे। गोदावरीतीर: इस जगह पर माता के दक्षिण गंड गिरे थे.
43. रत्नावली - कुमारी
बंगाल के हुगली जिले के खानाकुल-कृष्णानगर मार्ग पर रत्नावली स्थित रत्नाकर नदी के तट पर माता का दायां स्कंध गिरा था. इसकी शक्ति है कुमारी और भैरव को शिव कहते हैं।
44. मिथिला- उमा (महादेवी)
भारत-नेपाल सीमा पर जनकपुर रेलवे स्टेशन के पास मिथिला में माता का बायां स्कंध गिरा था. इसकी शक्ति है उमा और भैरव को महोदर कहते हैं.
45. नलहाटी - कालिका तारापीठ
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के नलहाटि स्टेशन के निकट नलहाटी में माता के पैर की हड्डी गिरी थी, हालांकि एक अन्य मान्यता अनुसार तारापीठ में देवी सती के नेत्र गिरे थे, इसलिए इस स्थान को नयन तारा भी कहा जाता है.
46. कर्णाट- जयदुर्गा
इस शक्तिपीठ में माता सती के दोनों कान गिरे थे.
47. वक्रेश्वर - महिषमर्दिनी
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के दुबराजपुर स्टेशन से सात किमी दूर वक्रेश्वर में पापहर नदी के तट पर माता का भ्रूमध्य गिरा था.
48. यशोर- यशोरेश्वरी
बांग्लादेश के खुलना जिला के ईश्वरपुर के यशोर स्थान पर माता के हाथ और पैर गिरे थे. बांग्लादेश का तीसरा सबसे प्रमुख शक्तिपीठ है.
49.अट्टाहास - फुल्लरा
पश्चिम बंगला के लाभपुर स्टेशन से दो किमी दूर अट्टहास स्थान है. जहां पर माता सती के होठ गिरे थे.
50. नंदीपूर - नंदिनी
पश्चिम बंगाल के वीरभूम जिले के सैंथिया रेलवे स्टेशन नंदीपुर स्थित चारदीवारी में बरगद के वृक्ष के पास माता का गले का हार गिरा था. यहां उन्हें मां नंदनी के नाम से जाना गया.
51. लंका - इंद्राक्षी
ऐसा माना गया है कि संभवत: श्रीलंका के त्रिंकोमाली में माता की पायल गिरी थी.
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(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)