Mahashivratri 2023: जानिए क्यों अर्पित की जाती हैं शिवलिंग पर ये चीजें? ये है मान्यताएं
Shivpuran: मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, पंचामृत और रूद्राभिषेक किया जाता है. इसके साथ ही भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र, गन्ना, बेर इत्यादि साम्रगी अर्पित की जाती हैं.
Lord Shiva: महाशिवरात्रि के कुछ ही दिन बचे हैं, हिंदू धर्म में देवों के देव महादेव की पूजा का विशेष महत्व है. शास्त्रों में बताया गया है कि सृष्टि के रचियता ब्रह्मा, विष्णु और महेश हैं. भोलेनाथ की आराधना के विशेष दिन महाशिवरात्रि, सावन के सोमवार और सोमवार माने गए हैं, मान्यता है कि इस दिन भगवान शंकर को प्रसन्न करने के लिए जलाभिषेक, दुग्धाभिषेक, पंचामृत और रूद्राभिषेक किया जाता है. इसके साथ ही भोलेनाथ को भांग, धतूरा, बेलपत्र, गन्ना, बेर इत्यादि साम्रगी अर्पित की जाती हैं लेकिन इसके पीछे क्या मान्यता है आइए जानते हैं.
शिवजी को क्यों अर्पित करते हैं भांग :
यह तो हर कोई जानता है कि भगवान शिव को बेलपत्र और भांग अति प्रिय है. मान्यता है कि शिवलिंग पर भांग अर्पित करने से हमारे मन के बुरे ख्याल और बुराइयां दूर होती है.
बेलपत्र:
धार्मिक कथाओं के अनुसार समुद्र मंथन के समय जब विष निकाला तो भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया. जिसके प्रभाव से उनका कंठ नीला हो गया और पूरा शरीर गर्म होने लगा. देखते ही देखते आसपास का वातावरण भी गर्म होने लगा. इसलिए विष के प्रभाव को कम करने के लिए भोलेनाथ को बेलपत्र अर्पित की जो उनके शरीर को ठंडा रखती है.
शमीपत्र:
शमीपत्र शनिदेव को अर्पित किया जाता है. लेकिन शमी के पत्ते भोलेशंकर को भी अर्पित किए जाते है. मान्यता है गंगाजल के साथ शमीपत्र अर्पित करने से आपकी सभी समस्याएं दूर रहती है और शनिदेव के साथ भोलेनाथ की भी कृपा बनी रहती है.
धतूरा:
धतूरे का फल और पत्ता औषधि के रूप में भी काम आता है. शिव पुराण में भी इस बात का वर्णन किया गया है कि महादेव को धतुरा अतिप्रिय है. मान्यता है कि भगवान शिव को धतुरा अर्पित करने से बुरे विचार नष्ट हो जाते हैं और सकारात्मक सोच बनी रहती है.
दुर्वा :
महादेव और गौरी पुत्र गणेश को दुर्वा अति प्रिय है. लेकिन मान्यता है कि यदि शिवजी को दुर्वा अर्पित की जाए तो आप पर किसी भी तरह का अकाल संकट नहीं आता है और अकाल मृत्यु का भय भी दूर होता है.
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)