Rules of Marriage in Hinduism: सनातन धर्म में होने वाली शादियों में आपने एक खास बात जरूर देखी होगी. वह खास बात ये है कि दुल्हन को हमेशा दूल्हे के बायीं ओर ही बिठाया जाता है. आखिर ऐसा क्यों किया जाता है. क्या यह पुराने वक्त से चली आ रही एक परंपरा मात्र है या इसके पीछे कोई खास वजह है. आज हम इसी रहस्य पर से पर्दा उठाने वाले हैं. आइए इस बारे में आपको विस्तार से बताते हैं. 


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व्यक्ति का हृदय होता है बायीं ओर  


असल में इंसान का दिल बायीं ओर होता है. इसलिए एक मान्यता ये है कि दुल्हन (Hindu Marriage Rules) को दूल्हे के बायीं ओर बिठाने से वह जीवनभर अपने पति के हृदय के करीब रहती है. जिससे दोनों का वैवाहिक जीवन सुखमय तरीके से गुजरता है और उनमें अच्छा सामंजस्य बना रहता है.


बायीं ओर बैठती हैं माता लक्ष्मी 


दूसरी मान्यता मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु से जुड़ी है. शास्त्रों और पुराणों के मुताबिक मां लक्ष्मी हमेशा भगवान विष्णु के बाईं तरफ ही विराजमान होती हैं. नई दुल्हन को भी घर की लक्ष्मी समझा जाता है, जबकि फेरों में बैठे दूल्हे (Hindu Marriage Rules) को भगवान विष्णु का रूप समझा जाता है. इसलिए दुल्हन को उसके बायें ओर ही बिठाया जाता है. 


बायां हाथ प्रेम का प्रतीक 


शास्त्रों में मनुष्य के दाहिने हाथ को कर्म और बायें हाथ को प्रेम-सौहार्द्र का प्रतीक माना गया है. कहा जाता है कि फेरों के वक्त दूल्हे के बायीं ओर बैठने से उन दोनों में पनपा प्रेम और सौहार्द्र जीवनभर बना रहता है. साथ ही वह बायें हाथ रूप में पति के हर काम में उसकी संगिनी बन जाती है. 


एक मान्यता ये भी


एक अन्य मान्यता ये है कि प्राचीन काल में विवाह के वक्त असुर विवाह में बाधा डालने के लिए पहुंच जाते थे. तब उनसे निपटने के लिए दूल्हे (Hindu Marriage Rules) के दाहिनी ओर अस्त्र-शस्त्र रखे जाते थे और बायीं ओर दुल्हन को विराजमान किया जाता था. जिससे कोई विपत्ति आने पर तुरंत उसका मुकाबला किया जा सके.


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.) 


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