2023 Janmashtami Date: जन्माष्टमी के लिए महज कुछ दिन ही अब बाकी हैं. ऐसे में लोगों ने त्योहार को व्यापक तौर से मनाने के लिए अभी से तैयारियां शुरू कर दी हैं. पूजा-सामग्री के दुकानों में जन्माष्टी के त्योहार के लिए खरीदारी करने के लिए भक्तों की भारी भीड़ जुट रही है. बाजार में लड्डू गोपाल की प्रतिमा से लेकर उनके वस्त्र और साज-श्रृंगार के लिए खरीदारी हो रही है. कई बार लोग पूजा के लिए सामान खरीद तो लाते हैं, लेकिन कुछ चीजें भूल जाते हैं. इस वजह से पूजा कई बार अधुरी रह जाती है. ऐसे में आज के लेख में आपके लिए जन्माष्टमी की पूजा सामग्री की पूरी लिस्ट और विधि लेकर आए हैं.  


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तिथि


भाद्रपद कृष्ण जन्माष्टमी तिथि शुरू- 6 सितंबर 2023 को दोपहर 3 बजकर 37 मिनट से.


भाद्रपद कृष्ण अष्टमी तिथि समाप्त- 7 सितंबर 2023 को शाम 4 बजकर 14 मिनट पर. 


भगवान कृष्ण का जन्म मध्यरात्रि में हुआ था. ऐसे में 6 सितंबर 2023 को जन्माष्टमी मनाना शुभ रहेगा. इस दिन रोहिणी नक्षत्र और रात्रि पूजा में पूजा का शुभ मुहूर्त भी बन रहा है. पूजा के दौरान कौन-कौन सी सामग्री चाहिए. 


पूजा सामग्री


धूप बत्ती, अगरबत्ती, कपूर, केसर, चंदन,सिंदूर, सुपारी, पान के पत्ते, पुष्पमाला, कमलगट्टे,  तुलसीमाला, खड़ा धनिया, यज्ञोपवीत 5, कुमकुम, अक्षत, अबीर, गुलाल, अभ्रक, हल्दी, आभूषण, नाड़ा, रुई, रोली, सप्तमृत्तिका, सप्तधान, कुशा व दूर्वा, पंच मेवा, गंगाजल, शहद, शक्कर, तुलसी दल, शुद्ध घी, दही, दूध, ऋतुफल, नैवेद्य या मिष्ठान्न, छोटी इलायची, लौंग मौली, इत्र की शीशी, सिंहासन, बाजोट या झूला (चौकी, आसन), पंच पल्लव, पंचामृत, केले के पत्ते, औषधि, श्रीकृष्ण की प्रतिमा या तस्वीर, गणेशजी की तस्वीर, अम्बिका जी की तस्वीर, भगवान के वस्त्र, गणेशजी को अर्पित करने के लिए वस्त्र, अम्बिका को अर्पित करने के लिए वस्त्र, जल कलश, सफेद कपड़ा, लाल कपड़ा, पंच रत्न, दीपक, बड़े दीपक के लिए तेल, बन्दनवार, ताम्बूल, नारियल, चावल, गेहूं, गुलाब और लाल कमल के फूल, दूर्वा, अर्घ्य पात्र. 


भोग  


कुट्टू के आटे की पूरी, मावे की बर्फी और सिंघाड़े के आटे का हलवा और धनिया की पंजीरी तैयार करें. इसके साथ दूध-दही, मक्‍खन का भोग भी जरूर रखें, क्योंकि कन्हैया को दूध-दही, माखन काफी पसंद है. पंचामृत जरूर बनाएं और सभी तरह के फल भी रखें.


पूजा विधि


जन्माष्टमी के दिन देवकी, वासुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा और मां लक्ष्मी का नाम लेते हुए पूजा शुरू करें. इस दिन विष्णु पुराण और भगवत गीता जरूर पढ़ना चाहिए. पूजा करने के बाद प्रसाद वितरण करें. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)