Shakti peeth ki kahani: आपने कई तरह की देवी के दर्शन किए होंगे, लेकिन क्‍या आपने कभी छिन्नमस्तिका देवी के दर्शन किए हैं. छिन्नमस्तिका यानी जिस देवी का सिर्फ धड़ विराजमान है. जी हां, भारत में ऐसा भी मंदिर है जहां देवी के धड़ की पूजा की जाती है. आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि देवी का सिर कहां गया? नवरात्रि जैसे खास मौके पर ही राजपरिवार के लोग कुम्‍हार से मिट्टी का सिर बनवाते हैं. देवी का सिर कहां गायब हुआ? इसकी कहानी भी दिलचस्‍प है. छिन्नमस्तिका मां की दिव्य शक्तियों के कारण लोग खिंचे चले आते हैं. जानते हैं इस मंदिर के बारे में. 


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मूर्ती का नहीं है सिर


सरगुजा की माहामाया की सबसे विचित्र बात यह है कि यहां मंदिर में स्थापित मूर्ति छिन्नमस्तिका है अर्थात मूर्ती का सिर नहीं है, सिर्फ धड़ विराजमान है और उसी की पूजा की जाती है, हर साल यहां राजपरिवार के द्वारा माता का सिर मिट्टी से बनवाया जाता है. 


दो जगह करने होते हैं दर्शन 


इस रियासत पर मराठाओं ने कई बार हमले किए थे, लेकिन वे हर बार हार जाते थे. इतिहासकारों के मुताबिक, उनकी नजर महामाया की महिमा पर थी. जानकार कहते हैं कि मराठा मूर्ती ले जाने का प्रयास कर रहे थे, लेकिन वे मूर्ति उठा नहीं पाए. वहीं माता की मूर्ती का सिर उनके साथ चला गया. उन्‍होंने वह सिर बिलासपुर के पास रतनपुर में रख दिया. तब से ही रतनपुर की महामाया की भी महिमा विख्यात मानी जाती है. ऐसा माना जाता है कि रतनपुर और अंबिकापुर दोनों जगह के दर्शन करने के बाद ही दर्शन पूरे माने जाते हैं. 


ऋषिमुनियों की तपोस्थली रही है ये जगह 


ऐसी मान्यता है कि ये मूर्ति बहुत ही प्राचीन है. राजपरिवार के जानकार बताते हैं कि रियासत काल में राजा इन्हें कुलदेवी के रूप में पूजते थे और अभी तक ये सिलसिला चला आ रहा है. ऐसा बताया जाता है कि यहां भगवान राम के आगमन के समय से ही ऋषि मुनि तप करते आ रहे हैं, जिस वजह से यहां कई प्राचीन मूर्तियां और यंत्र तंत्र रखे हुए थे. इन मूर्तियों को सिंह देव घराने ने संग्रहित कर लिया, ऐसा बताया जाता है कि ओडिशा में विराजी समलाया और डोंगरगढ़ में सरगुजा की मूर्तियां हैं. 


(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ZEE NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.)


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