New year Totke 2023: सालों बाद बना ऐसा योग, न्यू ईयर पर इस तरह करें सूर्य की उपासना, चमक जाएगी किस्मत!
Surya Upasana in morning: इस साल रविवार के दिन ही न्यू ईयर है. ऐसे में आपको साल की शुरुआत सूर्यदेव की उपासना के साथ करना चाहिए. अगर आप इस तरह सूर्य भगवान की आराधना करेंगे तो आपका जीवन सकारात्मकता से भर जाएगा.
Astro tips: कई सालों बाद ऐसा योग बन रहा है, जब नए साल के दिन रविवार है. ऐसा पिछली बार 2017 में हुआ था. ऐसे में आपको नए साल की शुरुआत सूर्य देवता की पूजा के साथ करना चाहिए. कई लोग वैसे भी रोजाना सूर्य देवता की आराधना करते हैं लेकिन पूजा करते वक्त छोटी-छोटी गलतियां हो जाती है. अगर आप सूर्य भगवान का आशीर्वाद लेना चाहते हैं तो आपको सूर्य देवता की पूजा करने का सही तरीका पता होना चाहिए. सूर्य भगवान को अर्ध्य देने के अलावा आपको सही मंत्र का जाप भी करना चाहिए, तो चलिए जान लीजिए पूजा करने का सही तरीका और समय.
ऐसे करें सूर्य देव की पूजा
ज्यादातर लोग सूर्यदेव की पूजा सुबह उठकर ही करते हैं. ऐसे में आपको पूजा करने का सही तरीका पता होना चाहिए. सूर्य की पूजा ब्रह्ममुहर्त में करना शुभ माना जाता है. सबसे पहले आप सुबह उठकर स्नान करें. अपने मन को पवित्र कर ताम्बे के लौटे में जल ले और फूल मिलाकर सूर्यदेव को अर्पित कर दें. पूजा करने के साथ गायत्री मंत्र का उच्चारण भी करें.
ताम्बे को सूर्य की धातु माना गया है. ऐसे में आपको इससे ही जल चढ़ाना चाहिए. ऐसा करना शुभ माना जाता है. ध्यान रखें जब जल अर्पित कर रहे हैं, उस समय अपनी आंखे जल की धार से सूर्यदेवता को देखें. ऐसा बताया जाता है कि अगर आप इस तरह से पूजा करेंगे तो आंखो की रोशनी बढ़ेगी.
अगर आप सूर्योदय के समय सूर्य को प्रणाम करेंगे तो ये प्रगति की निशानी माना जाता है. सनातन धर्म में हर दिन किसी न किसी देवता को समर्पित होता है. आपको बता दें कि वेदों में सूर्यदेव को नेत्र माना गया है और ज्योतिष शास्त्र में सूर्य भगवान को ग्रहों का राजा कहा गया है. इसके अलावा रविवार के दिन आप आदित्य ह्रदय स्तोत्र का जाप भी करें. इससे आपको मनवांछित फल मिल जाएगा. इससे आपका स्वास्थ्य भी अच्छा बना रहेगा.
सूर्यदेव का जन्म कैसे हुआ?
वेदों के मुताबिक, सूर्य को जगत की आत्मा कहा जाता है. सूर्य की वजह से ही धरती पर जीवन संभव रहता है. जब सृष्टि की रचना हुई थी, तब ब्रह्मा के पुत्र मरीचि हुए जिसके बाद उनके बेटे ऋषि कश्यप हुए. ऋषि कश्यप का विवाह प्रजापति दक्ष की बेटी दिति और अदिति से किया गया. दिति ने सभी राक्षसों को जन्म दिया. वहीं अदिति ने सभी देवताओं को जन्म दिया. एक समय में दैत्यों ने स्वर्गलोक पर कब्जा कर लिया और सभी देवताओं को बाहर निकाल दिया. इस वजह से माता अदिति ने सूर्यदेव की पूजा की और उनसे वरदान मांगा कि उनकी कोख से सूर्यदेव जन्म लें. घोर तपस्या के बाद उनकी यह इच्छा पूरी हो गई. उसके बाद तेजस्वी बालक ने जन्म लिया, जिन्हें आदित्य के नाम से जाना गया. वे देवताओं के मसीहा बन गए और सभी राक्षसों को मार दिया.
पाठकों की पहली पसंद Zeenews.com/Hindi अब किसी और की जरूरत नहीं