बजट सत्र और सरकार की चुनौतियां
मोदी सरकार के आज से शुरू होने वाले पहले संपूर्ण बजट पर देश ही नहीं, दुनिया की भी नजर है। सोमवार को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित कर बजट सत्र का शुभारंभ करेंगे। देश में करीब तीन दशक बाद एक पूर्ण बहुमत की सरकार है इसलिए देश की आम जनता, कॉरपोरेट जगत और विदेशी पूंजी निवेशकों को इससे काफी उम्मीदें हैं। संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में होने वाले अभिभाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के समावेशी विकास (सबका साथ सबका विकास) के नारे और राजग सरकार के सामाजिक-आर्थिक एजेंडा के सार की झलक मिलेगी। राष्ट्रपति के अभिभाषण के बारे में माना जा रहा है कि यह सरकार की नीति का रोडमैप रखेगा।
आज से शुरू होने वाले बजट सत्र के काफी हंगामेदार रहने की उम्मीद भी है जिसमें नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार को ऊपरी सदन में अध्यादेशों के स्थान पर छह विधेयकों को पारित कराना सुनिश्चित करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है। दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की करारी पराजय के बाद कई विपक्षी दलों ने ‘अध्यादेश राज’ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और विशेष तौर पर भूमि अधिग्रहण (संशोधन) कानून में बदलाव के खिलाफ उनका रूख सख्त है। इस सत्र के दौरान सरकार पूर्ण बजट पेश करेगी।
पिछले कुछ समय में कुछ भाजपा नेताओं, संघ परिवार और हिन्दू संगठनों के सदस्यों के विवादास्पद बयानों और मुद्रास्फीति समेत कई मुद्दों पर मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिए विपक्ष के पास कई मुद्दे हैं। सरकार ने जहां विभिन्न माध्यमों से विपक्षी नेताओं के साथ चर्चा की है, वहीं ऐसे कोई संकेत नहीं मिले हैं कि विपक्ष ने उसे कोई राहत दी हो। कॉरपोरेट जासूसी प्रकरण का मामला भी संसद में गूंज सकता है। सरकार को इसका कोई ठोस जवाब सदन में देना होगा।
23 फरवरी से शुरू होकर आठ मई को समाप्त होने वाले इस बजट सत्र के पहले भाग में सरकार को अध्यादेशों के स्थान पर छह विधेयक पारित कराने हैं। बीमा क्षेत्र और कोयला क्षेत्र से जुड़े अध्यादेशों को विधेयक का रूप देने के संबंध में राजग सरकार पर खासा दबाव है क्योंकि इससे बीमा क्षेत्र में एफडीआई आकर्षित करने के लिए नई व्यवस्था बनाई जा सकेगी और कोल ब्लॉकों की नीलामी बाधित नहीं होगी।
बजट सत्र के दौरान वित्तीय, विधायी और गैर विधायी कार्यों समेत सरकारी एजेंडे में 44 विषयों को शामिल किया गया है। एजेंडे में 11 विषय वित्तीय कार्यों से जुड़े हैं जिसमें 2015-16 का आम बजट और रेल बजट पेश करना, उन पर चर्चा करना और आम एवं रेल बजट पर अनुदान की मांगों एवं 2014-15 की अनुपूरक मांगों पर मतदान शामिल है। बजट सत्र के पहले भाग में 26 बैठकें होंगी जबकि दूसरे भाग में 19 बैठकें।
75 दिन के बजट सत्र में कुल 45 बैठकें इसलिए रखी गईं हैं कि भूमि अधिग्रहण अध्यादेश समेत कई और विधेयक तथा विधायी कार्य पिछले सत्र से लंबित चल रहे हैं। उसके ऊपर धर्मांतरण, भाजपा नेताओं व हिन्दू संगठन सदस्यों के विवादित बयानों और अध्यादेश की राजनीति को लेकर विपक्ष का हंगामा होना भी तय है। ऐसे में सत्र कार्यदिवस का अधिक होना लाजिमी है।
बजट सत्र के शुरू होने से एक दिन पहले से ही भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक के खिलाफ पूर्व ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश गौतमबुद्ध नगर जिले के चाउरोली गांव में किसान महापंचायत का आगाज कर विरोध शुरू कर चुके हैं। इसके अलावा विभिन्न किसान संगठनों के साथ गांधीवादी समाजसेवी अन्ना हजारे का जंतर मंतर पर विरोध प्रदर्शन करने का भी कार्यक्रम है। माना जा रहा है कि अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी भी भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन के खिलाफ हो रहे अन्ना के आंदोलन को समर्थन देगी।
भूमि अधिग्रहण अध्यादेश के खिलाफ विरोध तेज करते हुए कांग्रेस पार्टी ने भी 25 फरवरी को जंतर-मंतर पर धरना देने का फैसला किया है जिसमें राहुल गांधी के शामिल होने की उम्मीद है। अध्यादेश के जरिये भूमि कानून में बदलाव को ब्रिटिश राज के 1852 के कानून से भी बदतर करार देते हुए जदयू अध्यक्ष शरद यादव ने कहा था कि उनकी पार्टी निश्चित तौर पर संसद में इस मुद्दे को उठायेगी और इसका पुरजोर विरोध करेगी।
बहरहाल, बजट सत्र का आगाज ऐसे समय में हो रहा है जब केंद्र में सत्तारूढ़ भाजपा दिल्ली विधानसभा का चुनाव हार चुकी है। राज्यसभा में कोई भी बिल या अध्यादेश को पास कराने के लिए भाजपा के पास जरूरी संख्याबल नहीं है। 241 सदस्यों वाली राज्यसभा में फिलहाल 67 सांसदों के साथ कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी है। दूसरे नंबर पर भाजपा है जिसके पास अभी 46 सांसद हैं। समाजवादी पार्टी 15 सांसदों के साथ तीसरे नंबर पर और 12 सांसदों के साथ जनता दल युनाइटेड चौथे नंबर पर है। तृणमूल कांग्रेस और एआईएडीएमके के पास 11-11 सांसद हैं। शायद संख्याबल पक्ष में करने रणनीति के तहत ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को सैफई तक का दौरा किया है। ऐसे में राज्यसभा में मोदी सरकार को मुलायम और जयललिता की पार्टी को ही साधना होगा, वरना सरकार की हर रणनीति फेल होती रहेगी।