मोदी-ओबामा की `आत्मीयता`
देश के 66वें गणतंत्र दिवस के मौके पर बतौर मुख्य अतिथि शामिल हुए अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने जब इस बार भारत की सरजमीं पर कदम रखा और एयरपोर्ट पर अगवानी के लिए पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जिस तरह गले लगाया, उससे यह साफ हो गया कि उनके मन में 'नमो' और भारत के प्रति अब कुछ खास लगाव है। ओबामा के इस बार के भारत दौरे पर पूरी दुनिया की निगहें टिकी हैं, इसका कारण यह है कि गणतंत्र दिवस समारोह में शामिल होने वाले वे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बन गए हैं। ओबामा ने जब मोदी के ओर से भेजा गया न्यौता स्वीकारा, उसी समय से यह स्पष्ट हो चला था कि उनके और नरेंद्र मोदी के बीच रिश्ते प्रगाढ़ हो चले हैं। अपने कार्यकाल के बहुत ही अल्प समय में मोदी अब तक ओबामा से चार बार मिल चुके हैं। मोदी और ओबामा पिछले चार माह में दूसरी बार मिल रहे हैं। दोनों के रिश्तों में आई मजबूती इस दौरे में अब तक कई बार महसूस की गई। मोदी ने भी अपनी ओर से ओबामा को इस दौरे पर 'खास' महसूस कराने की पूरी कोशिश की। ओबामा के भारत दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रिश्तों की नई गर्मजोशी दिख रही है। इस दौरे में परमाणु करार, रक्षा जैसे कई समझौतों के साथ ओबामा और मोदी के बीच दोस्ती की नई कहानी भी शामिल है। अमेरिका से जब एयरफोर्स-विमान चला, तब किसी को मालूम नहीं था कि दुनिया को ओबामा और मोदी के बीच ऐसी करीबियां देखने को मिलेंगी। लेकिन मोदी ने ओबामा तक को अपने हाथों से चाय पिलाकर अमेरिका से अपनी दोस्ती की नई तारीख लिख दी।
इस बार जब ओबामा भारत आए तो उनका अभूतपूर्व स्वागत हुआ और मोदी खुद प्रोटोकॉल तोड़कर उनकी अगवानी करने जा पहुंचे। इस दौरे में अब तक जितनी बार भी मोदी और ओबामा साथ साथ नजर आए, उनके बीच एक काफी स्पष्ट, सहज, प्रगाढ़ संबंध देखने को मिला। ओबामा जब हैदराबाद हाऊस में मोदी के साथ लॉन में टहलते हुए और ‘चाय पर चर्चा’ करते नजर आए तो यह कई संदेश दे गया। इससे न सिर्फ इन दोनों नेताओं के बीच के गहरे संबंध को देखने को मिला बल्कि एशियाई क्षेत्र में एक अलग समीकरण की पटकथा भी तैयार होती नजर आई। दरअसल भारत और अमेरिका के पास आने से चीन की ओबामा के इस दौरे पर काफी पैनी नजर है। एशियाई क्षेत्र में शक्ति संतुलन को लेकर भी ओबामा-मोदी की 'दोस्ती' एक नई रूपरेखा को तैयार कर रही है। वैसे भी चीन का पाकिस्तान की ओर झुकाव किसी से छिपा नहीं है। और यह भी दुनिया की नजरों से नहीं छिपा है कि पाकिस्तान आंतकियों की शरणस्थली बना हुआ है। इसकी बानगी अमेरिका के इस बयान से देखने को मिली, जब उसने पाकिस्तान को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि ओबामा के दौरे के समय हमले की स्थिति में उसे गंभीर अंजाम भुगतने होंगे। इस दौरे से एक बात साफ हो गई कि ओबामा और मोदी के बीच की दोस्ती चीन को रास नहीं आ रही है। तभी तो चीन ने इसे ‘सतही दोस्ती’ करार दिया है। हालांकि भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते रिश्ते से एशियाई क्षेत्र में चीन पर इसका क्या असर पड़ेगा, यह तो आने वाले समय में ही पता चलेगा लेकिन चीन इस गठबंधन से भयभीत जरूर है। विदेशी मामलों के कुछ जानकार यह भी कहने लगे हैं कि क्षेत्र में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने के लिए अमेरिका की कोई रणनीति हो सकती है। रणनीतिक तौर पर भी यदि ऐसा कुछ है तो यह भारत के हित में ही है।
मोदी ने जिस तरह दुनिया के सबसे ताकतवार देश के नेता ओबामा के साथ खास अंदाज में ‘चाय पे चर्चा’ की और हैदराबाद हाउस के लॉन में उनके लिए खुद चाय बनाई, उससे यह साफ हो गया कि दोनों नेताओं के बीच अब रिश्ते काफी गहरा चुके हैं। सोफे पर बैठने के बाद मोदी ने अपने मेहमान के लिए एक कप में चाय डाली और उन्हें थमाया। ओबामा और मोदी की यह निकटता खुद में काफी कुछ बयां कर रही थी। दोनों नेता हैदराबाद हाउस के लॉन में चाय पर चर्चा करने से पहले कुछ देर तक टहलते रहे और इससे दोनों नेताओं के बीच बढ़ती नजदीकी दिखाई दी। मोदी और ओबामा की चहलकदमी करते हुए एक-दूसरे के साथ गुफ्तगूं से उनके बीच सहजता और विश्वास का भी पता चलता है। इससे दोनों नेताओं के बीच बढ़ती दोस्ती का पता चलता है। हालांकि यह तो पता नहीं चल पाया कि इस दौरान दोनों नेताओं के बीच क्या बातचीत हुई, लेकिन अनुमान लगाया जा सकता है सामरिक, रणनीतिक, व्यापारिक आदि मसलों पर यह चर्चा केंद्रित रही होगी। चूंकि इसके कुछ देर बाद ही साझा बयान में दोनों नेताओं ने लंबे समय से अटके पड़े परमाणु करार पर ठोस प्रगति, रक्षा संबंधों और व्यापार में बढ़ोतरी की घोषणाएं की। मोदी तो यहां तक बोले कि असैन्य परमाणु करार दोनों देशों के बीच बदलते रिश्तों का एक केंद्र बिंदु है और एक नए विश्वास का प्रतीक भी है। दोनों देश के बीच आतंकवाद और आतंकी समूहों के खिलाफ द्विपक्षीय सुरक्षा सहयोग को और बढ़ाने से भी एक नई प्रतिबद्धता झलकती है, जिससे भारत को निश्चित ही मदद मिलेगी।
'चाय पे चर्चा' का कितना अधिक महत्व रहा, यह उस समय भी देखने को मिला अमेरिकी राष्ट्रपति ने मोदी के साथ साझा मीडिया कांफ्रेंस में 'चाय पे चर्चा' और मेजबानी के लिए आभार जताया। खुद ओबामा ने यह भी कहा कि हमने इस चर्चा के दौरान काफी 'प्रगति' की है। संभवत: प्रगति से उनका आशय दोनों देशों के बीच के मजबूत होते रिश्ते की ओर था। ओबामा खुद भी मोदी से प्रभावित होते नजर आए। दौरे की शुरुआत में ओबामा ने मोदी खूब तारीफ की और उन्हें काफी ऊर्जावान बताया। इससे पहले भी वे मोदी की तारीफ कर चुके हैं।
ओबामा के भारत दौरे पर मोदी ने कई बार निजी स्तर पर पहल की, जिससे विदेशी मेहमान के स्वागत में कोई कोर कसर न रह जाए। वहीं, ओबामा ने भी पिछले साल मोदी की अमेरिका यात्रा के दौरान बेहद निजी स्तर का भाव प्रकट किया था। वे मोदी को मार्टिन लूथर किंग जूनियर के स्मारक पर ले गए जहां दोनों नेताओं ने संयुक्त रूप से श्रद्धांजलि अर्पित की थी। साथ ही, मोदी के लिए निजी रात्रिभोज भी दिया था। वहीं, मोदी ने भी ओबामा को खास महसूस कराने का भरसक प्रयास किया। मोदी पहले अपने इस विशेष मेहमान की अगवानी के लिए सीधे एयरपोर्ट पहुंचकर गले मिले और फिर आधिकारिक वार्ता के बाद 'चाय पे चर्चा' के दौरान अपने हाथों से चाय पेश की और लॉन में साथ साथ चहलकदमी। मोदी ने खुद भी स्वीकारा कि दो देशों के बीच संबंध 'नेताओं के बीच संबंधों' पर ज्यादा निर्भर करता है। बराक और मेरे बीच एक संबंध है, मित्रता है। हमारी बातचीत में खुलापन है और एक-दूसरे से मजाक कर सकते हैं। मोदी के इस बयान झलकता है कि वॉशिंगटन और दिल्ली के बीच नजदीकियां बढ़ी हैं और दोनों नेताओं के बीच भी निकटता काफी बढ़ी है। ओबामा और मोदी के बीच उस समय आत्मीय संबंधों की झलक मिली जब भारतीय नेता ने उन्हें कई बार बराक कहकर संबोधित किया। इससे भी प्रगाढ़ रिश्ते की बानगी मिलती है। वहीं, ओबामा ने भी ‘चाय पे चर्चा’ का विशेष तौर पर जिक्र किया और बेहतर रिश्ते का संकेत दिया। ओबामा ने भी बेहद आत्मीयता दिखाते हुए भारतीय नेता को ‘मोदी’ के रूप में संबोधित किया और अपने निजी संबंधों का जिक्र किया।
हालांकि 'चाय पे चर्चा' कोई पहली दफा नहीं हुआ था और मोदी के लिए कोई नई बात नहीं थी, लेकिन इसके मायने काफी खास थे। इससे पहले, बीते लोकसभा चुनाव के दौरान नरेंद्र मोदी ने कई मर्तबा 'चाय पे चर्चा' की थी और उनका मतदाताओं से संपर्क करने का यह तरीका काफी लोकप्रिय रहा था। निश्चित तौर पर ओबामा की यह यात्रा भारत और अमेरिका के बीच मजबूत होते संबंधों को दर्शाती है और इस संबंध का काफी महत्व है। इस दौरे के समय कई कार्यक्रमों में ओबामा की भावभंगिमा और व्यवहार से यह लगा कि अमेरिका भारत के साथ अपने रिश्तों को अगले स्तर तक ले जाने के लिए प्रतिबद्ध है।