आतंकी संगठन इस्‍लामिक स्‍टेट (आईएसआईएस) के बढ़ते वैश्विक प्रभाव की जद में अब भारत भी आने लगा है। यह आतंकी संगठन अब भारत में पैर पसारने की तैयारी में जुटा है। वैसे भी इस्लामिक स्टेट पिछले कुछ समय से लगातार भारत को निशाना बनाने के अपने इरादों को जाहिर करता आ रहा है। मौजूदा समय में आईएसआईएस अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने सबसे बड़ी चुनौतियों में से एक है। बीते महीने भारतीय युवाओं पर इस्लामिक स्टेट के बढ़ते प्रभाव के मद्देनजर केंद्र सरकार भी काफी सतर्क हो गई और कई कदम उठाने की योजना बनाई। इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि गृह सचिव की अध्यक्षता में सभी राज्यों के मुख्य पुलिस अधिकारियों को बुलाकर इस्लामिक स्टेट के खतरे और उसे रोकने की योजना पर विस्‍तृत चर्चा की गई थी।


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देश के पूर्वोत्‍तर राज्‍य असम में आईएसआईएस से जुड़ा कोई मामला अभी सामने तो नहीं आया है लेकिन इसके बावजूद एक बेहद चौंका देने वाला खुलासा हुआ है। असम में बड़ी संख्या में लोग आईएसआईएस के बारे में इंटरनेट से जानकारी जुटा रहे हैं। असम के पुलिस महानिदेशक ने बीते दिनों सनसनीखेज खुलासा किया कहा कि असम में आईएसआईएस के बारे में इंटरनेट पर जानकारियां खोजने के मामले जम्मू कश्मीर से भी अधिक हैं। बता दें कि आतंकी संगठनों की सामान्य रणनीति यह होती है कि कि ये पहले नई जगहों पर अपने पैर जमाते हैं और फिर कैडरों की भर्ती करते हैं। इसके बाद आतंकी हमलों की योजना को अंजाम देते हैं।


भारत के लिए चिंता की बात यह है कि पड़ोसी देशों बांग्लादेश और मालदीव में खूंखार आतंकी संगठन आईएसआईएस की बढ़ती पकड़ ने देश में इसके प्रभाव को लेकर चिंता को बढ़ा दिया है। यह आतंकी संगठन भारत के चारों तरफ स्थित छोटे-छोटे देशों में अपने पैर जमा रहा है। मालदीव और बांग्लादेश में हाल में हुए बड़े हमले इस तरफ इशारा कर रहे हैं। बांग्लादेश में सख्त सुरक्षा वाले राजनयिक इलाके में एक इतालवी राहत कार्यकर्ता की गोली मारकर हत्या कर दी गई। बांग्लादेश में हत्या की यह ऐसी पहली घटना है, जिसकी जिम्मेदारी दुर्दांत आतंकी संगठन आईएसआईएस ने ली। इस हमले के चलते पश्चिमी देशों के कई दूतावासों ने अपने राजनयिकों की गतिविधियों को सीमित कर दिया है। बांग्लादेश और मालदीव दोनों ही भारत के करीबी पड़ोसी देश हैं और इन देशों में आईएस के बढ़ रहे असर ने भारत की चिंता बढ़ाई है। यही नहीं, इन देशों के कई युवा आईएसआईएस में शामिल होने के लिए देश छोड़ चुके हैं।


भारत में आईएसआईएस से जुड़ी घटनाएं बीते साल से लगातार सामने आ रही हैं। हाल में आईएसआईएस के साथ कथित तौर पर संबंध रखने वाले 4 भारतीयों को यूएई ने डिपोर्ट किया। इससे पहले, यूएई ने 37 साल की महिला अफ्शा जबीन को भारत के हवाले किया था। जबीन कथित तौर पर आईएस के लिए लड़ाकों की भर्ती करती थीं। जनवरी महीने में हैदराबाद के सलमान मोइनुद्दीन को एयरपोर्ट से उस वक्त गिरफ्तार किया गया जब वह तुर्की के रास्ते सीरिया जाने के लिए दुबई की फ्लाइट पकड़ने जा रहा था। वहीं, बेंगलुरु में 24 साल के इंजीनियर मेहंदी मसरूर बिस्वास को दिसंबर 2014 में गिरफ्तार किया गया था। बिस्वास पर आरोप था कि वह कथित तौर पर आईएस की ऐक्टिविटीज को इंटरनेट के जरिए बढ़ा रहा था। बीते साल मुंबई के चार लड़के भी आईएस में शामिल होने के लिए इराक और सीरिया चले गए थे। इनमें से एक वहां लड़ते हुए मारा गया था जबकि एक कुछ महीने बाद वापस लौट आया।



मोदी सरकार भले यह कह रही हो कि आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट का देश के युवाओं पर बेहद कम असर है, लेकिन पिछले महीने सामने आया एक सर्वे इससे अलग तस्वीर पेश करता है। इससे पता चलता है कि देश के युवा इस आतंकी संगठन की गतिविधियों पर बेहद करीब से नजर रख रहे हैं और इस आतंकी संगठन की सोशल मीडिया गतिविधियों में भी हिस्सा ले रहे हैं। आईएसआईएस से जुड़े सामग्री (कंटेंट) के लिए राज्यों में सबसे ज्यादा ट्रैफिक जम्मू-कश्मीर से और शहरों में श्रीनगर से आ रहा है। वहीं मुंबई ऐसा पांचवां शहर है, जहां से आईएसआईएस का कंटेंट सर्च किया जा रहा है। आईएस से जुड़ा कंटेंट न सिर्फ पुरुषों और महिलाओं को, बल्कि सभी तरह के एजुकेशनल और सोशल बैकग्राउंड के लोगों को भी लुभा रहा है। बता दें कि आईएसआईएस से जुड़ा सोशल मीडिया कंटेंट जम्मू-कश्मीर में पोलराइजेशन की अहम वजह बन गया है। घाटी के हालात किसी से छिपे नहीं हैं और यहां के युवा आसानी से इस आतंकी संगठन के प्रति खिंचे जा रहे हैं। यही कारण है कि बीते कुछ महीनों में जम्‍मू कश्‍मीर में आईएसआईएस के झंडे कई बार लहराए जा चुके हैं। अब यह छिपा नहीं है कि जम्मू-कश्मीर के युवकों का कट्टरपंथ की तरफ तेजी से झुकाव हो रहा है। आईएसआईएस के प्रति झुकाव के चलते जम्मू-कश्मीर में खतरा और बढ़ गया है। इसे रोकने के लिए एक्शन प्लान बनाया जाना चाहिए ताकि इसका और प्रसार न हो पाए। पाकिस्‍तान के साथ तल्‍ख रिश्‍ते और अंतरराष्‍ट्रीय सीमा पर अशांति के चलते खुफिया एजेंसियों के सामने अब दोहरी चुनौती है। यदि जम्‍मू कश्‍मीर में आईएसआईएस के प्रति युवाओं का यूं ही बढ़ता रहा तो सुरक्षा के दृष्टिकोण से ये भारत के लिए बेहद घातक हो सकता है। वैसे भी भारतीय खुफिया एजेंसियां आईएसआईएस के बढ़ते खतरे को लेकर अलर्ट जारी कर चुकी हैं। इस्लामिक स्टेट के कुछ पर्चे अमेरिका ने हाल में पकड़े हैं, जिसके मुताबिक उसे भारत में लड़ाई शुरू करनी है। इस वाकये से भारतीय सुरक्षा एजेंसियां अब और चौकन्‍नी हो गई है।


राष्‍ट्रीय सुरक्षा एजेंसी (एनआईए) भी कह चुका है कि आईएसआईएस आने वाले समय में भारत विरोधी आतंकी समूहों से रिश्ते बढ़ा ले और हमलों को अंजाम दे, इस बात की संभावना है। ये आतंकी संगठन साजिश रच रहा है कि कैसे भारतीय युवकों को संगठन से जोड़कर इराक, सीरिया के साथ भारत और अन्य एशियाई देशों में आतंकी हमलों को अंजाम दिया जाए। भारत की चिंता इस मायने में और बड़ी हो जाती है, जब बीते दिनों ये खुलासा हुआ कि इराक, सीरिया समेत मध्य पूर्व के कई देशों में खूनखराबा कर रहा इस्लामिक स्टेट साल 2020 तक पूरे भारतीय उपमहाद्वीप के साथ दुनिया के बड़े इलाके में कब्जे करने के मंसूबे पाल रखा है। चार-पांच साल पहले आईएसआईएस के करीब 80 फीसदी नेताओं को या तो पकड़ लिया गया या मार दिया गया, लेकिन उसे पूरी तरह कुचला नहीं गया जो आज कैंसर की तरह फैल गया है।


आईएसआईएस किस कदर खतरा बनता जा रहा है, यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बयानों से भी पता चलता है। पीएम मोदी ने अमेरिकी दौरे में इस बात का जिक्र किया कि वर्तमान में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के समक्ष दुर्दान्त आतंकी समूह इस्लामिक स्टेट सबसे बड़ी चुनौती है। अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद और आईएस जैसे संगठनों के खतरे से निपटने के लिए वैश्विक कार्रवाई करने की जरूरत है। आईएसआईएस के बढ़ते खतरे के मद्देनजर भारत को और चौकसी बरतते हुए गंभीरता के साथ तुरंत सख्‍त कदम उठाने की जरूरत है। यदि इस दिशा में सरकारी स्‍तर पर थोड़ी सी भी चूक हुई तो भविष्‍य में इसके भयावह परिणाम सामने आ सकते हैं। वैसे भी भारत कई दशकों से आतंकवाद की पीड़ा झेल रहा है। इस आतंकी संगठन के नापाक मंसूबों से निपटने के लिए वैश्विक स्‍तर पर प्रमुख देशों को एक मंच पर आना होगा ताकि इन्‍हें जड़ से कुचला जा सके।