सम-विषम योजना: केजरीवाल की वोट बैंक की राजनीति?
दिल्ली में एक जनवरी 2016 से सड़कों पर सुबह से शाम रेंगती कारों के काफिले पर 15 दिनों के लिए विराम लग जाएगा क्योंकि हर सांस के साथ हमारे खून में जहर घोल रही प्रदूषित हवा पर ब्रैक लगाने के लिए दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने एक योजना बनायी है जिसके तहत प्रत्येक दिन दिल्ली की सड़कों पर चलने वाली आधी निजी कारें नजर नहीं आएंगी। दिल्ली सरकार का यह फैसला हाईकोर्ट की उस टिप्पणी के एक दिन बाद आया है जिसमें हाईकोर्ट ने दिल्ली में रहने के अनुभव को गैस चैंबर में रहने जैसा बताया था। राजनीति के माहिर खिलाड़ी केजरीवाल को हाईकोर्ट की टिप्पणी ने राजनीति का खेल खेलने के लिए एक बेहरीन मौका दे दिया, उन्होंने इस मौके को लपकने में जरा भी देरी नहीं की और एक दिन बाद ही दिल्ली की सड़कों पर दौड़ती-भागती चमचमाती कारों को निशाना बनाने का फैसला ले लिया।
नौकरशाह से सामाजिक कार्यकर्ता और सामाजिक कार्यकर्ता से राजनीतिज्ञ बने अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली को प्रदूषण मुक्त कराने के बहाने वोट बैंक की जबरदस्त राजनीति खेली है। उन्होंने प्रदूषण मुक्ति के बहाने दिल्ली की सड़कों से कार हटाने का जो फॉर्मूला बनाया है इससे उनका वोट बैंक को और मजबूत होता नजर आ रहा है। 2013 और 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लिए मसीहा के तौर सामने आये। खासकर इन तबकों के लोगों ने उनकी पार्टी आम आदमी पार्टी को जमकर वोट दिया जिसके चलते उनकी पार्टी को 70 विधानसभा सीटों में से 67 सीटें हासिल हुईं। उन्होंने भी जीत के बाद अपने वादे पर खड़े उतरने का प्रयास किया। गरीबों को 400 यूनिट बिजली आधे दाम पर और प्रतिदिन 700 लीटर फ्री पानी देने का वादा तुरंत पूरा किया। इतना ही नहीं रेहड़ी-पटरी पर रोजगार करनेवाले, सब्जी बेचने वाले, रिक्शा चलाने वाले और ऑटो चलाने वालों को पुलिसिया डंडे से निजात दिलाया।
पर केजरीवाल के चुनावी वादे के हिसाब से इतना ना काफी था। केजरीवाल पर बेरोगारी दूर करने का दबाव भी बढ़ रहा था ताकि दिल्ली के युवाओं को रोजगार मिल सके। प्रदूषण को लेकर हाईकोर्ट की टिप्पणी ने उन्हें संजीवनी दे दिया। इसके बहाने 10 हजार नए ऑटो के परमिट जारी करने का फैसला किया। 4 से 5 हजार बसें सड़कों पर उतारने फैसला किया। इससे साफ है निम्म वर्गों के हजारों लोगों को रोजगार मिलेगा। कई परिवारों की जिंदगी सुधरेंगी। इतना ही नहीं जिन इलाकों में कारें नहीं होंगी वहां बैट्री रिक्शा चलाने वालों की आय में भी इजाफा होगा। इससे उन तबकों में केजरीवाल के प्रति लोगों का भरोसा और जगेगा, जिन्हें दो वक्त की रोटी के लिए रोज जूझना पड़ता है। उनके इस राजनीति को विरोधी भले ही न समझ पाएं लेकिन उनका वोट बैंक और मजबूत होता दिख रहा है। हालांकि उन्होंने कहा, यह (सम-विषम योजना) 15 दिनों का ट्रायल है अगर सफल हुआ तो आगे जारी रहेगा नहीं तो इस बंद कर दिया जाएगा। अगर ऐसा होता है तो इससे केजरीवाल को ही फायदा होगा, वे कहेंगे हमने तो दिल्ली को प्रदूषण मुक्त करने का कदम उठाया लेकिन कार वालों ने इसे नहीं होने दिया। इससे भी उनके वोटरों में उनके प्रति सकारात्मक मैसेज जाएगा।
आपको याद होगा वर्ष 2011 में दिल्ली के जंतर-मंतर से लेकर रामलीला मैदान में भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन के दौरान केजरीवाल ने कहा था हम सिखाएंगे राजनीति कैसे की जाती है? उन्होंने भाजपा को अपनी पार्टी की तर्ज पर टोपी पहना दिया। भाजपाई कार्यकर्ता आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता की तरह टोपी पहनने लगे। इतना ही नहीं 2014 में 30 साल बाद केंद्र में प्रचंड बहुत से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा की सरकार बनी। 2014 के लोकसभा चुनाव में देश भर मोदी लहर चली लेकिन 2015 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा के स्टार प्रचार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जादू भी केजरीवाल के सामने फेल होगा। दिल्ली प्रदूषण मुक्त योजना सफल हो या ना हो लेकिन केजरीवाल की राजनीति सफल होगी उनके राजनीतिक विरोधियों को उनकी चाल को समझने की जरूरत है।