Inflation Rate: आने वाले समय में महंगाई से मिलेगी और राहत, RBI ने बताया असली कारण
RBI: आरबीआई (RBI) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में यह भी कहा गया है कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति के बने रहने और इसके बढ़ने से दबाव बना रह सकता है. खुदरा महंगाई आने वाले समय में और नीचे आ सकती है.
Retail Inflation: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा कि देश की खुदरा महंगर्इा जनवरी से लगातार संतोषजनक सीमा से ऊपर रहने के बाद अब नरम हुई है. इसे काबू में लाने के लिये जिस तरह कदम उठाये गये हैं, उससे इसके भविष्य में और नीचे आने की उम्मीद है. आरबीआई (RBI) की वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (FSR) में यह भी कहा गया है कि मुख्य (कोर) मुद्रास्फीति के बने रहने और इसके बढ़ने से दबाव बना रह सकता है. रिपोर्ट में कहा गया है, 'आरबीआई ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये तत्परता से कदम उठाये हैं. इससे मुद्रास्फीति के संतोषजनक दायरे और लक्ष्य के करीब आने की उम्मीद है. साथ ही इससे महंगाई को लेकर जो आशंकाएं हैं, उस पर भी लगाम लगेगी.'
अर्थव्यवस्था प्रतिकूल वैश्विक हालात का सामना कर रही
वित्तीय स्थिरता रिपोर्ट (Financial Stability Report) के अनुसार, भारतीय अर्थव्यवस्था प्रतिकूल वैश्विक हालात का सामना कर रही है. लेकिन मजबूत वृहत आर्थिक बुनियाद और वित्तीय एवं गैर-वित्तीय क्षेत्र के मजबूत बही-खाते के चलते वित्तीय प्रणाली बेहतर स्थिति में है. इसमें कहा गया है, 'हालांकि, मुद्रास्फीति ऊंची बनी हुई है, लेकिन तेजी से उठाये गये मौद्रिक नीति कदम और आपूर्ति के स्तर पर हस्तक्षेप से अब इसमें नरमी आ रही है.'
आयात महंगा होने के कारण महंगाई बढ़ी
आरबीआई ने कहा कि अमेरिकी डॉलर में मजबूती से आयात महंगा होने के कारण भी मुद्रास्फीति बढ़ती है. इससे खासकर उन जिंसों के दाम बढ़ते हैं, जिन वस्तुओं का आयात डॉलर में किया जाता है. रुपये की विनिमय दर में गिरावट से स्थानीय मुद्रा में जिंसों के दाम में तेजी अभी भी बनी हुई है और कई अर्थव्यवस्थाओं में यह औसतन पिछले पांच साल के मुकाबले ऊंची बनी हुई है.
मौद्रिक नीति को कड़ा किया गया
रिपोर्ट के अनुसार, गरीब अर्थव्यवस्थाओं के लिये यह दोहरा झटका है. इससे एक तरफ जहां जिंसों के दाम बढ़ते हैं, वहीं दूसरी तरफ इससे मानवीय संकट भी पैदा होता है. घरेलू वित्तीय स्थिति के बारे में आरबीआई ने कहा कि मुद्रास्फीति को लक्ष्य के अनुसार संतोषजनक दायरे में लाने के लिये मौद्रिक नीति को कड़ा किया गया है. आरबीआई को मुद्रास्फीति दो से छह प्रतिशत के बीच रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है.
केंद्रीय बैंक द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा के समय मुख्य रूप से खुदरा मुद्रास्फीति पर गौर करता है. खुदरा मुद्रास्फीति इस साल जनवरी से संतोषजनक स्तर की उच्च सीमा यानी छह प्रतिशत से ऊपर बने रहने के बाद नवंबर में नरम होकर 5.88 प्रतिशत पर आई है. (इनपुट पीटाआई)
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