Adani-Uber Deal: भारत के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी और कैब एग्रीगेटर उबर के सीईओ दारा खोसरोशाही की मुलाकात के बाद अब दोनों कंपनियों के बीच इलेक्ट्रिक कारों को लेकर साझेदारी की चर्चा हो रही है. अडानी उबर के साथ मिलकर ईवी सेक्टर में बड़ा धमाका करने जा रहे हैं. इस डील से दोनों ही कंपनियों के साथ-साथ आपका भी फायदा छिपा है. अडानी जहां ग्रीन एनर्जी और इलेक्ट्रिक कार सेगमेंट में अपनी पकड़ मजबूत करेंगे तो वहीं उबर, जिसके लिए भारत एक कठिन बाजार है, वो यहां अपने पैर जमा सकेंगे. 


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कैसी होगी अडानी उबर की डील  


मार्केट कैप के हिसाब से देश की तीसरी सबसे बड़ी कंपनी अडानी ग्रुप की निगाहें अब इलेक्ट्रिक व्हीकल्स पर है. जिस तरह से ईवी व्हीकल्स की डिमांड बढ़ रही है अडानी इस मौके को छोड़ना नहीं चाहते हैं. ईवी सेक्टर में इंट्री के लिए अडानी उबर के साथ मिलकर साझेदारी पर काम कर रहे हैं. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस साझेदारी को जरिए अडानी उबर के राइड हेलिंग प्लेटफॉर्म पर अपनी ईवी पैसेंजर्स कारों को पेश कर सकते हैं. इतना ही नहीं अपने सुपर ऐप अडानी वन (Adani One) पर भी पकड़ मजबूत कर सकते हैं. यानी अडानी इस डील से उबर की सर्विसेस को अडानी वन ऐप के तहत लाएंगे.आपको बता दें कि साल 2022 में अडानी समूह ने अडानी सुपर ऐप लॉन्च किया था.  अब इसे बड़ा और पॉपुलर बनाने की दिशा में काम किया जा रहा है. 


तो क्या अडानी इलेक्ट्रिक कार बनाएंगे, डील से अडानी को क्या फायदा  


रिपोर्ट के मुताबिक उबर के साथ डील में अडानी इलेक्ट्रिक पैसेंजर व्हीक्लस के सेक्टर में धाक जमाने की तैयारी में है. अडानी पहले से ही इलेक्ट्रिक कॉमर्शियल व्हीक्ल्स में मौजूद है. अब वो पैसेंजर्स सर्विस में अपनी पकड़ को मजबूत करना चाहते हैं. खास बात ये है कि अडानी इलेक्टिक्ल व्हीक्ल्स बनाते नहीं है. उबर के साथ डील में भी अडानी कार मैन्युफैक्चरिंग नहीं करेंगे, बल्कि कार खरीदने के बाद उसकी ब्रांडिंग करेंगे और उन्हें उबर के नेटवर्क से जोड़ेंगे. अडानी समूह ने हाल ही में 3600 इलेक्ट्रिक बसों के लिए बोली भी लगाई है. उबर के साथ हाथ मिलाकर सिर्फ उबर को नहीं बल्कि अडानी को भी फायदा होने वाला है. अडानी अपने सुपर ऐप अडानी वन का विस्तार कर सकेंगे. अडानी ग्रुप ग्रीन एनर्जी के सेक्टर में अगले दस सालों में 100 अरब के निवेश का लक्ष्य लेकर चल रहा है. 


इस डील से उबर को क्या मिलेगा?  


अडानी के साथ डील से उबर को भी भारतीय बाजार में अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिलेगी. उबर ईवी सेक्टर में तेजी से बढ़ना चाहता है. उसका लक्ष्य 2040 तक से पहले खुद को जीरो एमिशन यानी शून्य उत्सर्जन मोबिलिटी प्लेटफॉर्म बनाना है. इसके लिए उसे अपने बेड़े में इलेक्ट्रिक वाहनों को शामिल करना होगा. अडानी के साथ साझेदारी से उसे इलेक्ट्रिक्ल पैसेंजर्स व्हीक्ल्स को अपने प्लेटफॉर्म पर बढ़ाने में मदद मिलेगी. आपको बता दें कि साल 2013 में जब उबर ने बारत में इंट्री की थी, तब से लेकर अब तक वो 3 अरब से ज्यादा राइट पूरी कर चुका है. अडानी के साथ साझेदारी बढ़ने से भारत में लोगों को रोजगार मिलेगा. वर्तमान में 8 लाख लोगों को उबर के जरिए रोजगार मिल रहा है. अडानी के साथ साझेदारी करने से रिन्युएबल एनर्जी को बढ़ावा मिल सकेंगे.