SEBI Report On Adani: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की एक विशेषज्ञ समिति (Special Committee) ने बताया कि अडानी ग्रुप (Adani Group) के शेयरों के भाव में हेराफेरी का उसको कोई सबूत नहीं मिला है. अडानी ग्रुप की कंपनियों में विदेशी कंपनियों के इन्वेस्टमेंट में हुए कथित उल्लंघन की सेबी की जांच में 'कुछ नहीं मिला' है. विशेष समिति के इस निष्कर्ष को गौतम अडानी की नेतृत्व वाले ग्रुप के लिए बड़ी राहत के रूप में देखा जा रहा है. हालांकि, अडानी केस की जांच के लिए बनाई गई विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि अमेरिका की हिंडनबर्ग की रिपोर्ट से पहले अडानी ग्रुप के शेयरों में शॉर्ट पोजीशन बनाने का सबूत मिला है. विशेष समिति ने कहा है कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में अडानी ग्रुप पर शेयरों के भाव में हेराफेरी करने और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप लगाए जाने के बाद इन शेयरों के भाव में भारी गिरावट आने पर इन शेयर डील में मुनाफा कमाया गया.


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ऑर्गेनाइज्ड सेल के बारे में मिली खुफिया जानकारी


विशेषज्ञ समिति ने फाइनेंशियल क्राइम की जांच करने वाले ईडी से मिली जानकारी का हवाला देते हुए कह कि ईडी को हिंडनबर्ग रिपोर्ट से ठीक पहले खास पक्षों की तरफ से संभावित उल्लंघन और ऑर्गेनाइज्ड सेल के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी. यह इंडियन मार्केट को अस्थिर करने के संगठित प्रयासों के विश्वसनीय आरोप का इशारा करता है और सेबी को प्रतिभूति कानूनों के अंतर्गत इस प्रकार की गतिविधियों की जांच करनी चाहिए.


रिटायर्ड जज की अध्यक्षता में बनी टीम


रिपोर्ट के अनुसार, छह इकाइयों (Entities) की तरफ से संदिग्ध शेयर लेनदेन हुआ है जिनमें से 4 कंपनियां विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (FPI) हैं. वहीं, एक कॉरपोरेट इकाई और एक व्यक्ति है. सेबी अडानी ग्रुप के खिलाफ आरोपों की पहले से ही जांच कर रहा था. हिंडनबर्ग रिपोर्ट में गंभीर आरोप लगाए जाने के बाद शीर्ष अदालत ने विशेषज्ञ समिति की नियुक्ति की थी. इस विशेष समिति के प्रमुख सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज ए एम सप्रे बनाए गए थे जबकि ओ पी भट्ट, के वी कामत, नंदन नीलेकणि और सोमशेखर सुंदरेशन इसके मेंबर थे.


हिंडनबर्ग ने लगाया था ये आरोप


हिंडनबर्ग के आरोप सामने आने के बाद अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई थी. हालांकि, अडानी ग्रुप ने इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हुए खारिज कर दिया. विशेष समिति ने सुप्रीम कोर्ट को सौंपी 173 पन्नों की अपनी रिपोर्ट में कहा कि आंकड़ों के आधार पर सेबी के स्पष्टीकरण के मद्देनजर, विशेष समिति के लिए ये निष्कर्ष निकालना संभव नहीं होगा कि कीमतों में हेराफेरी के आरोप में किसी प्रकार की नियामकीय विफलता रही है.


(इनपुट- भाषा)


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