Primary Agricultural Credit Societies: केंद्र की मोदी सरकार की तरफ से क‍िसानों के ल‍िए तमाम तरह की योजनाएं चलाई जा  रही हैं. सरकार ने प‍िछले कुछ सालों में पीएम क‍िसान सम्‍मान न‍िध‍ि (PM Kisan Samman Nidhi) और पीएम क‍िसान फसल बीमा योजना  (PM Fasal Bima Yojana) जैसी कई महत्‍वाकांक्षी योजनाएं शुरू की हैं. सरकार की तरफ से अब प्राथमिक कृषि साख समिति (पैक्स) के कंप्यूटराइजेशन पर काम क‍िया जा रहा है. सरकार ने बताया क‍ि केंद्र को 54,752 प्राथमिक कृषि साख समिति (PACS) के कंप्यूटरीकरण के लिए राज्यों / केंद्र शासित प्रदेशों से प्रस्ताव मिले हैं.


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63000 पैक्‍स का होगा कायाकल्‍प
इस पर सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा को एक लिखित उत्तर में बताया क‍ि केंद्र सरकार पैक्‍स के कंप्यूटराइजेशन पर 2,516 करोड़ रुपये खर्च करेगी. उन्‍होंने बताया देशभर के 63,000 प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) / वृहत क्षेत्र बहुउद्देश्यीय समितियों (लैम्प्स) / किसान सेवा समितियों (FSS) के कंप्यूटराइजेशन के लिए केंद्र प्रायोजित परियोजना लागू की जा रही है. इस वित्तीय परिव्यय को 29 जून 2022 को मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति (CCEA) ने मंजूरी दी थी.


201.18 करोड़ की केंद्रीय हिस्सेदारी जारी
शाह ने कहा, 'वर्तमान में, राज्यों व संघ शासित प्रदेशों से 54,752 पैक्स, लैम्प्स, एफएसएस के कंप्‍यूटरीकरण का प्रस्ताव प्राप्त हुए हैं और हार्डवेयर की खरीद, पुराने डाटा के डिजिटलीकरण और समर्थन प्रणाली स्थापित करने के लिए 201.18 करोड़ रुपये की केंद्रीय हिस्सेदारी जारी की गई है.' पैक्‍स एक सहकारी सम‍ित‍ि है, ज‍िससे किसानों को सस्ते ब्याज पर कर्ज, खाद, बीज और दवाइयां आद‍ि उपलब्ध कराई जाती हैं. इसके कम्प्यूटराइजेशन से क‍िसानों को म‍िलने वाली सुव‍िधा जल्‍दी म‍िलेगी और इसमें परदर्श‍िता आएगी.


पैक्स का दायरा बड़ा करने की तैयारी
आपको बता दें सरकार आने वाले समय में पैक्स का दायरा बड़ा करने की तैयारी कर रही है. इसी को लेकर इसके कम्प्यूटराइजेशन पर काम क‍िया जा रहा है. आने वाले समय में पैक्स के दायरे में कोल्ड स्टोरेज, गोदाम, लॉकर, बीज एवं फर्टिलाइजर वितरण, राशन की दुकान, कामन सर्विस सेंटर, मधुमक्खी पालन पैक्स, डेयरी पैक्स, गोबर गैस से ऊर्जा उत्पादन, ड्रिप सिंचाई, हर घर नल से जल मिशन आदि रहेंगे.


इतना ही नहीं पैक्स के ज्‍यादा काम करने से ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को रोजगार मि‍लेगा. लोकल लेवल पर ही क‍िसानों को बीज, दवाएं, कीटनाशक उपलब्ध हो पाएंगे. कर्ज मिलने में भी आम आदमी को सहूलियत होगी.


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