नई दिल्लीः उच्चतम न्यायालय (Supreme court) ने रियल एस्टेट फर्म महागुन को 40,000 वर्ग मीटर के भूखंड का 240 करोड़ रुपए 31 मार्च, 2021 तक उसकी रजिस्ट्री में जमा कराने का सोमवार को निर्देश दिया. यह भूखंड उसे आम्रपाली समूह ने बेचा था. न्यायमूर्ति उदय यू ललित और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ ने कहा कि महागुन फर्म को 31 अक्टूबर तक 35 करोड़ रुपए, 31 दिसंबर, 2020 तक 65 करोड़ रुपए और शेष 140 करोड़ रुपए 31 मार्च 2021 तक 9.25 प्रतिशत ब्याज के साथ जमा कराना होगा.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

कोर्ट ने कहा कि रियल एस्टेट फर्म अगर यह धनराशि जमा कराने में असफल रहती है तो इसे दिये गये लाभ रद्द हो जायेंगे और नोएडा प्राधिकरण इस जमीन की नीलामी करेगा. न्यायालय ने महागुन कंपनी के निदेशक मंडल को भुगतान करने की योजना के बारे में एक आश्वासन देने का निर्देश दिया और साथ ही नोएडा प्राधिकारी से कहा कि वह अपनी बकाया रकम के बारे में दस दिन के भीतर जानकारी दे.


शीर्ष अदालत ने इससे पहले महागुन रियल एस्टेट प्रा लि को छह सप्ताह के भीतर यह धनराशि जमा कराने का निर्देश दिया था. अब न्यायालय ने कहा कि रियल एस्टेट समूह तीन किस्तों में यह रकम जमा करायेगा. इस मामले की सोमवार ( 7 सितंबर) को सुनवाई के दौरान नोएडा के वकील ने महागुन के इस प्रस्ताव का विरोध किया कि उसे शुरुआती 35 करोड़ रुपए के भुगतान के बाद यह भूखंड गिरवी रखने की अनुमति दी जाये. नोएडा प्राधिकरण ने कहा कि जमीन गिरवी नहीं रखी जा सकती है.


न्यायालय द्वारा नियुक्त रिसीवर ने भी दलील दी कि नोएडा की बकाया राशि का भुगतान करने की बजाय यह रकम अब ठप हो चुकी आम्रपाली समूह की अधूरी परियोजनाओं को पूरा करने में इस्तेमाल किया जाना चाहिए. पीठ ने कहा कि 240 करोड़ रुपए शीर्ष अदालत की रजिस्ट्री में जमा कराने के बाद ही महागुन को इस जमीन को गिरवी रखने का अधिकार दिया जा सकता है.


महागुन ने इससे पहले न्यायालय से कहा था कि वे 31 अक्टूबर तक 35 करोड़ रुपए और शेष राशि का भुगतान 30 अप्रैल, 2021 तक करने के लिये तैयार है. पीठ ने 31 अगस्त को जमीन गिरवी रखने के महागुन के प्रस्ताव पर नोएडा प्राधिकरण से जवाब मांगा था.


आम्रपाली समूह नौ अक्टूबर, 2017 को महागुन को 40,000 वर्ग मीटर जमीन बेचने पर सहमत हुआ था. नोएडा प्राधिकरण ने सात सितंबर, 2019 को इस जमीन का पट्टा रद्द कर दिया था क्योंकि इसकी बकाया रकम का भुगतान नही किया गया था. न्यायालय ने 28 जून को कहा था कि नोएडा की बकाया राशि जमा कराने पर भूमि का पट्टा रद्द करने की कार्रवाई वापस ले ली गयी मानी जायेगी और वह महागुन समूह को परियोजना पूरी करने के लिये सात साल का समय देगा.


न्यायालय ने एक सितंबर को आम्रपाली समूह के हजारों मकान खरीदारों को बड़ी राहत देते हुये इसकी छह अधूरी परियोजनाओं के करीब 7000 फ्लैट के निर्माण के लिये एसबीआईकैप वेंचर्स को देय ब्याज का मुद्दा सुलझा लिया था. न्यायालय ने इस मामले में चार सप्ताह के भीतर एक कानूनी रूपरेखा पेश करने का निर्देश दिया था जिसके अंतर्गत एसबीआईकैप को 12 फीसदी की दर से ब्याज दिया जायेगा.


एसबीआईकैप ने पहले न्यायालय से कहा था कि उसने आम्रपाली समूह की छह अधूरी परियोजनाओं के निर्माण के लिये 625 करोड़ रुपए उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. एसबीआईकैप रियल एस्टेट सेक्टर में सरकार द्वारा प्रायोजित संकट कोष का प्रबंधन करता है.